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Red chilli: Harvest and Post Harvest Handling भारत मिर्च का विश्व में सबसे बड़ा निर्माता एवं उपभोक्ता है। इसका योगदान वैश्विक उत्पादन का लगभग २५ प्रतिशत है। इसकी खेती भारत के विभिन्न भागों में होती है और यह सालभर उपलब्ध रहता है। इसकी तुड़ाई ज्यादातर दिसंबर से मार्च तक होती है तथा इसकी आपूर्ति फरवरी से अप्रैल तक चरम पर होती है। इसके रोपाई का मुख्य समय खरीफ का मौसम है।  लाल मिर्च की तुड़ाई: लाल मिर्च की तुड़ाई सवेरे करनी चाहिए.  बारिश या बारिश के पश्चात् तुड़ाई से बचना चाहिए. तुड़ाई के समय फलों के डंठल को मजबूती से पकड़ कर ऊपर के तरफ खींचना चाहिए. इससे फलों का टूटना बचाया जा सकता...

Integrated management of Major diseases of Okra and Chilli 1. भिण्डी में पाऊडरी मिल्डयू अथवा चूर्ण फंफूदी रोग रोग के लक्षण - यह भिण्डी का एक प्रमुख रोग है जो देरी से बोई गई फसल पर अत्यधिक संक्रमण करता है। रोग के लक्षण की शुरूआत पुरानी पत्तियों पर सफेद चकते के रूप में दिखाई देते है। ये चकते कुछ ही दिनो में ऊपर की और अन्य पत्तियों पर फैल जाते है। संक्रमित पौधों की पत्तियों पर सफेद पाऊडर जैसा रोगजनक देखा जा सकता है जो पत्तियों के दानो तरफ तथा पौधे के सभी भाग पर (जड़ के अतिरिक्त) पर देखा जा सकता है बाद में पौधे का ऊपरी भाग पीला पड़कर सूखने लगता है। पौधे...

Scientific cultivation of capsicum. किसान भाई शिमला मिर्च की खेती करके लाखों कमा सकते हैं । शिमला मिर्च की उन्नतशील किस्मों की खेती की जाए तो किसानों को करीब-करीब 30 से 50 क्विंटल प्रति एकड़ फसल की प्राप्ति हो सकती है । शिमला मिर्च की खेती हरियाणा, पंजाब, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक आदि प्रदेशों में अच्छी तरह से की जा सकती है । तो जानते है कैसे शिमला मिर्च की खेती को वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है और कैसे आप इसे लाभदायक व्यवसाय बना सकते हैं | शिमला मिर्च की खेती एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें आप दो से चार महीने में अच्छा लाभ  कमा  सकते हैं । अगर  आप सही तरीके से...

13 Major Insect pests and diseases of Chilli and their prevention measures मिर्च के फसल का सबसे घातक तथा ज्यादा नुकसान करने वाली बीमारी है पत्ता मोडक बीमारी। जिसे विभिन्न स्थानों में कुकड़ा या चुरड़ा-मुरड़ा रोग के नाम से जाना जाता है। यह रोग न होकर थ्रिप्स व माइट के प्रकोप के कारण होता है। थ्रिप्स के प्रकोप के कारण मिर्च की पत्तियां ऊपर की ओर मुड़ कर नाव का आकार धारण कर लेती है। माइट के प्रकोप से भी पत्तियां मुड़ जाती है परन्तु ये नीचे की ओर मुड़ती हैं। मिर्च में लगने वाली माइट बहुत ही छोटी होती है जिन्हें साधारणत: आंखों से देखना सम्भव नहीं हो पाता है। यदि...

Capsicum (Shimla mirch) seed production technique  उत्तम बीज उत्‍पादन, सब्जी उधाोग का प्रमुख आधाार है।  सब्जी बीज उत्पादन एक विशिष्ट एवं तकनीकी कार्य है और बहुत कम किसान बीज उत्पादन क्षेत्र में कुशल और प्रशिक्षित होते है। इसी लि‍ए देश मे उच्च कोटि के बीज की प्रयाप्‍त उपलब्‍ध्‍ता नही रहती। फलदार सब्जियों में शिमला मिर्च का एक विशिष्ट स्थान है। हमारे देश में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे शिमला मिर्च, कैप्सिकम (capsicum), स्वीट पेपर, सागिया मिर्च, वैजिटेबिल पैपरिका आदि। शिमला मिर्च का बीजोत्पादन कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड एवं जम्मू कश्मीर में अधिाक होता है । शि‍मला र्मि‍च के आनुवंशिक शुध्दता, उचित अंकुरण क्षमता, रोगाणुओं से मुक्त स्वस्थ बीज को पैदा करने के लिये...

Advanced production technology of Capsicum सब्जियों मे शिमला मिर्च की खेती का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसको ग्रीन पेपर, स्वीट पेपर, बेल पेपर आदि विभिन्न नामो से जाना जाता है। आकार एवं तीखापन मे यह मिर्च से भिन्न होता है। शिमला मिर्च के फल गुदादार, मांसल, मोटा, घण्टी नुमा कही से उभरा तो कही से नीचे दबा हुआ होता है। शिमला मिर्च की लगभग सभी किस्मो मे तीखापन अत्यंत कम या नही के बराबर पाया जाता है। इसमे मुख्य रूप से विटामिन ए तथा सी की मात्रा अधिक होती है। इसलिये इसको सब्जी के रूप मे उपयोग किया जाता है। यदि किसान शिमला मिर्च खेती उन्नत व वैज्ञानिक तरीके से करे तो अधिक...

कुल्लू घाटी के सब्‍जी उत्पादकों के लिए शि‍मला मि‍र्च या कैप्सिकम में रोग प्रबंधन का मासि‍क कार्यक्रम Kullu valley in Himachal Pradesh is known for off season cultivation of vegetables. Capsicum (commonly known as Shimla Mirch) cultivation has gained popularity in the valley as an off-season vegetable crop fetching remunerative price in markets. Its cultivation is being taken up by farmers in summer-rainy season as poly house and open field crop. Depending upon an area, its nursery sowing begins in the months of March (Kullu) to April (Katrain) and transplanting in April to May that extend its cropping period up to September in open field conditions and February in polyhouse conditions of...

मि‍र्च की जैवि‍क खेती करने की वि‍धि‍।  Organic farming is a crop production method respecting the rules of the nature. It maximizes the use of on farm resources and minimizes the use of off-farm resources.  It is a farming system that seeks to avoid the use of chemical fertilizers and pesticides. In organic farming, entire system i.e. plant, animal, soil, water and micro-organisms are to be protected. Climate for Chilly cultivation: Chilli requires a warm and humid climate for its best growth and dry weather during the maturation of fruits. A temperature ranging from 20-25°C is ideal for chilli. In chilli fruit development adversely affected at temperatures of 37°C or more. Heavy rainfall...