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मुख्य दलहनी फसल चने की खेती चना बिहार के मुख्य दलहनी फसल है। इसकी खेती रबी के मौसम में होती है। चना की  बिहार में 58 हजार हे0 क्षेत्र में खेती की जाती है एवं इसकी औसत उत्पादकता 1015 किलोग्राम प्रति हे0 है। चना प्रोटीन का प्रमुख स्त्रोत है। इसके उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि लाकर कुपोषण की समस्या के समाधान में भी चना महत्वपुर्ण योगदान करने में समर्थ है। उन्नत किस्मों का चयन, ससमय बुआई, उन्नत तकनीक वाली सस्य क्रियाओं का उपयोग, राइजोबियम कल्चर एवं पी0एस0बी0से बीजोपचार, समुचित उर्वरता प्रबंधन, कीट ब्याधि एवं खरपतवार प्रबंधन तथा आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई सेे इसकी उत्पादकता में दुगूनी तक वृद्धि लायी जा सकती है। चना उगाने के...

Integrated pest management in gram चने में उखटा रोग (विल्ट) इस रोग का प्रभाव खेत मे छोटे छोटे टुकडों मे दिखाई देता है।प्रारम्भ मे पौधे की ऊपरी पतियाँमुरझा जाती हैव धीरे धीरे पूरा पौधा सुखकर मर जाता है! जड़ के पास तने को चीरकर दिखने परवाहक ऊतको मे कवक जाल धागेनुमा काले रंग की संरचनाके रूपमे दिखाई देता है। नियन्त्रण फसल चक्र अपनाये। रोगरोधी किस्म आर.एस.जी-888व आर.एस.जी-896की बुवाई करे। बीजों को कार्बेन्डाजिम 50 डब्लयू.पी. 2 ग्राम या ट्राइकोड्रर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोंपचार करे। 4 किलोग्राम ट्राइकोड्रर्माको 100 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद मे मिलाकर बुवाई से पहले प्रति हैक्टयरे की दर से खेत मे मिलाये। खड़ी फसल मे रोग के...

भारत में बोई जाने वाली चनें की उन्‍नत किस्‍में:   Varieties Institute Yield (q/ha) Characters देशी किस्‍में पूसा 09  Pusa 209 भा.कृ.अ.सं. 22-30 पंजाब, हरयाणा, राजस्‍थान, गुजरात, मध्‍यप्रदेश, उ.प्रदेश, प.बंगाल तथा बिहार के सिंचित व बारानी क्षेत्रों के लिए उत्‍तम किस्‍म है। पूसा 212 Pusa 212 भा.कृ.अ.सं. 18-28 मध्‍य भारत यानि राजस्‍थान, गुजरात, मध्‍यप्रदेश के बारानी क्षेत्रों के लिए सर्वोत्‍तम एक उकठा (wilt resistent) रोग रोधी किस्‍म है।  पूसा 240 Pusa 240 भा.कृ.अ.सं.   उ.प्रदेश, प.बंगाल तथा बिहार के सिंचित व बारानी क्षेत्रों के लिए उत्‍तम किस्‍म है।  पूसा 244 Pusa 244 भा.कृ.अ.सं. 18-26 मध्‍य भारत के राजस्‍थान, गुजरात, मध्‍यप्रदेश राज्‍यों के लिए अच्‍छी किस्‍म है । यह उकठा (wilt) तथा तना गलन (stemrot) रोधी, बडे दाने बाली किस्‍म है।  पूसा 256 Pusa 256 भा.कृ.अ.सं. 22-30 समस्‍त भारत के सिंचित व बारानी क्षेत्रों तथा सामान्‍य या देरी से बुआई के लिए...