chilly Tag

Leaf curl disease in chilli and its control पर्ण कुंचन या मुरड़ा, मिर्च पौध की भारत में एक विनाशकारी बीमारी। यह बीमारी विषाणु से होता है और सफ़ेद मक्खी द्वारा फैलता है। उत्तर और मध्य भारत में यह बीमारी ज्यादा विनाशकारी थी परन्तु अब यह दक्षिण भारत में भी दर्ज की जाने लगी है। एक बार पर्ण कुंचन बीमारी लगने के बाद मि‍र्च के पोधे की पत्तियां मुड़ने लगती है और पौधों में फल लगना बंद हो जाते है। अगर फल बनते भी है तो विकृत होते है। बहुत छोटी अवस्था में बीमारी लगने पर पौधों का विकास रुक जाता है और एक भी फल नहीं बनते है। यह बीमारी मानसून या खरीफ...

 Nutritional benefits and medicinal uses of chilli मिर्च के फलों के आकार, रंग, स्वाद और तीखेपन में काफी भिन्नता है. यह भिन्नता मिर्च के पोषण सरंचना में भी पायी जाती है जो मिर्च के प्रजातियों पर, किस्मों पर, फसल उगाने के तरीके पर और फलों के परिपक्वता पर निर्भर करता है. साथ ही साथ पोषण तत्वों की भिन्नता तुड़ाई उपरान्त रखरखाव और उसके भण्डारण पर भी निर्भर करता है. यह पाया गया है की विटामिन ए, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा फलों के परिपक्वता के साथ ही सभी प्रजातियों और किस्मों में बढ़ जाती है. लाल मिर्च में विटामिन बी 6 हरी मिर्च की तुलना में काफी ज्यादा होता है.  विटामिन ए कई...

13 Major Insect pests and diseases of Chilli and their prevention measures मिर्च के फसल का सबसे घातक तथा ज्यादा नुकसान करने वाली बीमारी है पत्ता मोडक बीमारी। जिसे विभिन्न स्थानों में कुकड़ा या चुरड़ा-मुरड़ा रोग के नाम से जाना जाता है। यह रोग न होकर थ्रिप्स व माइट के प्रकोप के कारण होता है। थ्रिप्स के प्रकोप के कारण मिर्च की पत्तियां ऊपर की ओर मुड़ कर नाव का आकार धारण कर लेती है। माइट के प्रकोप से भी पत्तियां मुड़ जाती है परन्तु ये नीचे की ओर मुड़ती हैं। मिर्च में लगने वाली माइट बहुत ही छोटी होती है जिन्हें साधारणत: आंखों से देखना सम्भव नहीं हो पाता है। यदि...

Optimal planting geometry and fertilizer application method for drip irrigated vegetable crops फसलों की सिंचाई की विधियों में टपक सिंचाई पध्दति सर्वाधिक कुशल विधि है जिसमें जल का 80-90 प्रतिशत कुशल उपयोग होता है। इस पध्दति से सभी प्रकार की भूमि में कम समय एवं कम जल में सिंचाई की जा सकती  है। टपक सिंचाई पध्दति द्वारा सिंचाई में पौधों के सीमित नम क्षेत्र के कारण रोग की सम्भावना कम होती है तथा फसलों की पंक्तियों में खर-पतवार नहीं उग पाते हैं। सिंचाई की इस विधि का उपयोग पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रहा है। सीमित जल संसाधनों और दिनों-दिन बढ़ती हुई जलावश्यकता के कारण टपक सिंचाई तकनीक सर्वाधिक उपयुक्तहै। टपक तंत्र एक...

Advanced production technology of Capsicum सब्जियों मे शिमला मिर्च की खेती का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसको ग्रीन पेपर, स्वीट पेपर, बेल पेपर आदि विभिन्न नामो से जाना जाता है। आकार एवं तीखापन मे यह मिर्च से भिन्न होता है। शिमला मिर्च के फल गुदादार, मांसल, मोटा, घण्टी नुमा कही से उभरा तो कही से नीचे दबा हुआ होता है। शिमला मिर्च की लगभग सभी किस्मो मे तीखापन अत्यंत कम या नही के बराबर पाया जाता है। इसमे मुख्य रूप से विटामिन ए तथा सी की मात्रा अधिक होती है। इसलिये इसको सब्जी के रूप मे उपयोग किया जाता है। यदि किसान शिमला मिर्च खेती उन्नत व वैज्ञानिक तरीके से करे तो अधिक...

कुल्लू घाटी के सब्‍जी उत्पादकों के लिए शि‍मला मि‍र्च या कैप्सिकम में रोग प्रबंधन का मासि‍क कार्यक्रम Kullu valley in Himachal Pradesh is known for off season cultivation of vegetables. Capsicum (commonly known as Shimla Mirch) cultivation has gained popularity in the valley as an off-season vegetable crop fetching remunerative price in markets. Its cultivation is being taken up by farmers in summer-rainy season as poly house and open field crop. Depending upon an area, its nursery sowing begins in the months of March (Kullu) to April (Katrain) and transplanting in April to May that extend its cropping period up to September in open field conditions and February in polyhouse conditions of...

मि‍र्च की जैवि‍क खेती करने की वि‍धि‍।  Organic farming is a crop production method respecting the rules of the nature. It maximizes the use of on farm resources and minimizes the use of off-farm resources.  It is a farming system that seeks to avoid the use of chemical fertilizers and pesticides. In organic farming, entire system i.e. plant, animal, soil, water and micro-organisms are to be protected. Climate for Chilly cultivation: Chilli requires a warm and humid climate for its best growth and dry weather during the maturation of fruits. A temperature ranging from 20-25°C is ideal for chilli. In chilli fruit development adversely affected at temperatures of 37°C or more. Heavy rainfall...

भारत में मिर्च की उन्‍नत किस्‍में   Varieties प्रजाति Developed By विकसित की Average yield औसत उपज (q/ha) Characters गुण पूसा ज्‍वाला Pusa Jawala भाकृअसं 85 बौनी किस्‍म, झाडीदार, हल्‍का हरा,फल 9-10 सेंमी. लम्‍बा, पका फल हलका लाल, बहुत अधिक तिक्‍त, थ्रिप्‍स व माईट के लिए सहनशील। 1983 मे अनुमोदित हुई प्रजाति। भाग्‍यलक्ष्‍मी Bhagyalakshi Guntur Lam 45 Fruit length 8.2 cm & width 0.7cm. Duration 180 days Good for North Hills regions जे-218 J-218 Jabalpur 65 Plants dwarf, Fruits 10-11cm long. Suitable for Arid western plains. एआरसीएच 236 ARCH-236 Ankur Seeds,Nagpur 40-45 Plants are semi spreading and profused branching, Elongated fruits, undulated, pointed and green, turns red at maturity, good shelf life and good for fresh marketing, high capsicin content crop duration 210-240 days, Suitable for Punjab, Bihar & UP...