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चाइना एस्टर की आधुनिक खेती चाइना एस्टर एक बहूत ही महत्वपूर्ण वार्षिक फूल है । वार्षिक फूलो में गुलदावदी तथा गेंदा के बाद तीसरे स्थान पर आता है | हमारे देश के सीमांत और छोटे किसान बड़े पैमाने पर पारंपरिक फसल के रूप में इसकी खेती करते हैं। चाइना एस्टर नारियल के बागानों में मिश्रित फसल के रूप में भी उपयुक्त होता  है | भारत में चाइना एस्टर की खेती मुख्य रूप से कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल में की जाती है | चाइना एस्टर फूलों का उपयोग विभिन्न उद्देश्य जैसे कट फ्लावर, ढीले फूल, धार्मिक उद्देश्य और आंतरिक सजावट के लिए किया जाता है | चाइना एस्टर अन्य फूलो जैसे चमेली...

भारत में उगाई जाने वाली चाईना एस्‍टर  की उन्‍नत प्रजातियॉ चाइना एस्टर के किस्मों को लम्बाई के आधार पर तीन वर्गो में बाँटा गया है। (1) लम्बेे पौधे वाली: इस वर्ग के पौधे की ऊँचाई 70 से 90 सें. मी. होती हैं तथा फूल बड़े खिलते हैं। इसके किस्म हैं: अमेरिकन ब्रान्चिंग, वकेट पाउडरपफ, चिकुमा स्टोन, कम्पीमेंट सिरीज, मैट सुमोटो, जाइन्ट मासागनो, जाइन्ट ऑफ़ कैलिफोर्निया, पाइओनी, टोटेम पोल। (2) मध्यम लंबाई वाली : इस वर्ग के पौधे की ऊँचाई 50-60 सें.मी. होती है तथा फूल मध्यम आकार के नीले, गुलाबी, सफेद, लाल इत्यादि रंगों के होते हैं। इसके किस्म हैं: जाइन्ट कोमेट, जाइन्ट ग्रीगो, क्योटो पोमपोम, ओस्ट्रीच प्लम, युनिकम। (3) कम लंबाई वाली: इस वर्ग के पौधे की ऊँचाई 20 सें. मी....