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Different types of organic fertilizer for healthy soil and more crop production वर्तमान में भारत की जनसंख्या 1.35 अरब (विश्व बैंक, 2018) है तथा खाद्यान्न उत्पादन 285 मिलियन टन (2017-18) है। एक अनुमान के अनुसार भारत की जनसंख्या 2050 तक 1.67 अरब हो जायेगी। भारत की इस बढ़ती हुई जनसंख्या की खाद्यान्न आवश्यकता को पूरा करने के लिए खाद्यान्न उत्पादन को 2050 तक 333 मिलियन टन तक बड़ाना पडेगा। बडती हुई खाद्यान्न माॅग की पुर्ति के लिए अधिक से अधिक खाद्यान्न उत्पादन के प्रयास कि‍ए जा रहे है। खाद्यान्न उत्पादन बढाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध  प्रयोग किया जा रहा है जिससे प्रकृति में उपस्थित जैविक व अजैविक चक्र प्रभावित हो रहे...

Soil Health Management through Waste Management भारत में बड़ी संख्या में फसलें उगाई जाती हैं जिसके चलते प्रतिवर्ष लगभग 100 मिलियन टन फसल अवशेष रीसाइक्लिंग के लिए उपलब्ध होते हैं। इन फसलों के आर्थिक भागों का उपयोग करने के बाद, कुछ फसलों को छोड़कर, अक्सर अवशेषों को जलाकर निपटाया जाता है जिससे इनका ज्यादातर भाग बर्बाद हो जाता है एवं वातावरण प्रदूषित होता है। यह फसल अवशेष पौधों के पोषक तत्वों (क्रमशः 0.5, 0.6 और 1.5 मिलियन टन के लगभग नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश) का एक बड़ा भंडार हैं। घरों तथा खेतों में जो कूड़ा करकट पैदा होता है उसे अगर ऐसे ही इधर-उधर पड़ा रहने दें तो वह एक गंदगी का...

जैविक खेती के लिए अपशिष्ट अपधटक एक वरदान  सूक्ष्मजीव सेल्लुलोज खाकर बढ़ते हैं और फिर पोषक तत्व छोड़ते हैं जो जमीन के लिए उपयोगी हैं। ज्यादा रासायनिक उर्वरक डालने से पीएच बढ़ता जाता है और कार्बन तत्व कम होते जाते हैं, बाद में ऐसी जमीन उर्वरक डालने पर भी उत्पादन नहीं दे पाती है। खेती के लि‍ए जमीन मे जीवाश्‍म होना आवश्‍यक है यदि जमीन में जीवाश्वम नहीं होंगे तो लम्बे समय तक वहा फसल उत्पादन नहीं हो सकता। इसलिए खेत में गोबर, फसल अवशेष आदि डालने चाहि‍ए।जिनके अपगठन के द्वारा वेस्ट डीकम्पोजर जमीन में पड़े उर्वरकों के पोषक तत्व को घोलकर पौधे को उपलब्‍ध करवाते हैं। कचरा अपघटक या वेस्ट डीकम्पोजर यह उत्पाद देशी...

Improve environment with the help of micro-organisms. पर्यावरण शब्द संस्कृत भाषा के “परि” उपसर्ग (चारो ओर) और “आवरण” से मिलकर बना है जिसका अर्थ है ऐसी चीजो का समुच्चय जो किसी वयक्ति या जीव धारी को चारो ओर से आव्रत किये हुए है । पर्यावरण का सीधा सम्बन्ध प्रक्रति से है । अपने परिवेश में हम तरह तरह के जीव जंतु, पेड़- पौधे तथा अन्ये सजीव- निर्जीव वस्तुएँ पाते है । ये सुब मिलकर पर्यावरण की रचना करते है । मानव हस्तक्षेप के आधार पर पर्यावरण को दो भागो में विभाजित किया जाता है ,  प्राक्रतिक पर्यावरण और मानव निर्मित पर्यावरण । हालांकि पूर्ण रूप से प्राक्रतिक पर्यावरण (जिसमे मानव है हस्तक्षेप बिलकुल न...

Organic Farming: Land and Life Requirementsभारत वर्ष में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है और कृषकों की मुख्य आय का साधन खेती है। 60वें दशक की हरित क्रांति ने यद्यपि देश को खाद्यान्न की दिशा में आत्मनिर्भर बनाया लेकिन इसके दूसरे पहलू पर यदि गौर करें तो यह भी वास्तविकता है कि खेती में अंधाधुंध उर्वरकों के उपयोग से जल स्तर में गिरावट के साथ मृदा की उर्वरता भी प्रभावित हुई है एक समय बाद खाद्यान्न उत्पादन न केवल स्थिर हो गया बल्कि प्रदूषण में भी बढ़ोतरी हुई है और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हुआ है। इसलिए इस प्रकार की उपरोक्त सभी समस्याओं से निपटने के लिये गत...

Methods and precautions for making perfect quality compost, an alternative of toxic chemicals आज के युग में कृषि की पैदावार बढ़ाने में अच्छी भूमि, स्वस्थ बीज, आधुनिक कृषि यंत्र, उन्नत खाद, उपुक्त कीट व रोग नाशक दवाएं तथा समुचित पानी की आवश्कयता होती है। पिछले कई वर्षो से गोबर की खाद की जगह रासायनिक खादों ने ले ली है जिसके परिणाम स्वरूप भूमि की उर्वरा शक्ति तथा उसमे पाय जाने वाले अनेको जीव-जंतु व सूक्ष्म जीवो में भरी कमी पाए जाने लगी है तथा भूमि से पैदावार पर असर पड़ने लगा है जो कृषि वैज्ञानिको व किसानो के लिए एक समस्या बनने लगी है। अतः भूमि की गुणवत्ता को पुनः प्राप्त करने के...

Vermicompost: useful manure for crop cultivation हमारे देष का एक बड़ा भाग कृषि उत्पादन पर निर्भर करता है। भारतवर्ष में 60 के दषक में हरित क्रांति के प्रारंभ होने के साथ ही खाद्यान्नों के उत्पादन में वृध्दि हुई है। लेकिन अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए रासायनिक उर्वरको का अधिक एव अनियमित प्रयोग किया जाता रहा है। रासायनिक उर्वरक व कीटनाषको के अत्याधिक प्रयोग से भूमि के भौतिक व रासायनिक गुणों पर विपरीत प्रााव पडता है तथा पर्यावरण संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हो रही है। मृदा को स्वस्थ बनाए रखने, उत्पादन लक्ष्य प्राप्त करने के लिए पर्यावरण और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से जैविक खादों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। मृदा उर्वरता...

बायोडैनेमिक खेती और इसकी तैयारी के तरीकों Biodynamic Farming is a view of agriculture, based on a holistic and spiritual understanding of nature and humans role in it, which considers a farm as a self-contained evolving organism, relying on home-produced feeds and manures with external inputs kept to a minimum. Preparation The first group of preparation material includes 6 different herbal substances; they are numbered 502-507 and are added in small amounts to manures and composts. So they are collectively called as compost preparations. These numbers are arbitrary, having been chosen by those who first produced the preparations. The second group includes the sprays; they are numbered as 500 and 501. Although not...

How to make quality compost from garbage?  भारतीय कृषि क्षेत्र में पिछले चार दषकों से फसल उत्पादन में जो वृध्दि आई है, इसका मुख्य कारण उन्नत तकनीकों को अपनाया जाना और अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाषकों का प्रयोग है। अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इन कृत्रिम पदार्थों का भारी मात्रा में प्रयोग किया जा रहा है। मिट्टी की स्थिति की अनदेखी की जा रही है। इसके कई दुष्परिणाम हमारे समक्ष धीरे-धीरे प्रकट हो रहे हैं। मिट्टी के प्राकृतिक गुण्ा धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। इसके अलावा प्राकृतिक गुण के अभाव में उत्पादन लागत में वृध्दि हो रही है। मिट्टी में जीवांष या कार्बनिक पदार्थों की कमी...

What is vermi-Compost वर्मी-कम्‍पोस्‍ट को वर्मीकल्‍चर या केंचुआ पालन भी कहते हैं। केंचुओं के मल से तैयार खाद ही वर्मी कम्‍पोस्‍ट कहलाती है। यह सब प्रकार की फसलों के लिए प्राकृतिक, सम्‍पूर्ण एव्र संतुलित आहार है।वर्मी-कम्‍पोस्‍ट का उत्‍पादन तथा विपणन एक अच्‍छा पर्यावरण हितैसी रोजगार है। प्राइज़ काल से ही केचुआ किसान का मित्र माना जाता है। खेतो की मिट्टी को भुरभुरी बनाकर यह प्राकृतिक हलवाहे का काम करता है। प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्‍तू ने केंचुओ को धरती की ऑतें कहा है और डारविन ने तो इसे भूमी की उपजता का बैरोमीटर कहा केचुओं से खेती में लाभ: केचुओं के द्वारा भूमि की उर्वरकता, पी.एच., भौतिक अवस्‍था, जैव पदार्थ एवं लाभदायक जीवाणूओं मे वृद्धि...