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Role of nutrition in reproductive health and management of dairy animals Fertility of dairy animals is influenced primarily by a nexus of genetic, environmental, and management indicators, and their complex interactions make it even more difficult to isolate the exact cause of this decline. The physical condition and reproductive capacity of dairy animals depend on nutrition.  Role of nutrition in reproductive health and management of dairy animals दूध और उसके उत्पाद एक पोषण का महत्वपूर्ण स्रोत हैं और उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में यह ग्लोबल स्तर पर बढ़ेगा, जो बढ़ती वैश्विक जनसंख्या के साथ मेल खाता है। हालांकि आनुवांशिक उन्नति ने पशु उत्पादकता को बढ़ावा दिया है, डेयरी गायों की विफलता...

दुधारू पशुओं में टीकाकरण का महत्व  भारतीय किसान सह-व्यवसाय के तौर पर  मुख्यतः पशुपालन पर निर्भर रहता है। पशुधन से स्वच्छ दुग्ध उत्पादन हेतु उसे विभिन्न संक्रामक रोगों से बचाना आवश्यक है।  संक्रामक रोगों की चपेट मे आने से पशुओं के दुग्ध उत्पादन मे कमी होना, गर्भपात, फुराव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और अगर समय रहते इलाज ना किया जाये तो पीड़ित पशु की मृत्यु भी हो सकती  है। संक्रामक रोगों से बचाव के लिए पशुओं  का टीकाकरण एकमात्र प्रभावी उपाय है जो कि पशुओं की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर उनकी संक्रामक रोगों से रक्षा करता है।  मुँहपका खुरपका रोग - यह एक विषाणुजनित रोग है, जो गाय, भैंस,...

दूधारू पशुओं में बाँझपन की समस्या के कारण एवं उनका निवारण  पिछले कई दशकों से यह पाया गया है कि जैसे-जैसे दूधारू पशुओं के दुग्ध उद्पादन में वृद्धि हुई है वैसे-वैसे प्रजनन क्षमता में गिरावट हुई है । दूधारू पशुओं की दूध उत्पादन की क्षमता प्रत्यक्ष रूप से उनकी प्रजनन क्षमता पर निर्भर करती है । दूधारू पशुओं में बाँझपन की स्थिति पशुपालकों के लिए बहुत बड़े आर्थिक नुकसान का कारण  है । पशुओं में अस्थायी रूप से प्रजनन क्षमता के घटने की स्थिति को बाँझपन कहते है । बाँझपन की स्थिति में दुधारू गाय अपने सामान्य ब्यांत अंतराल  (12 माह) को क़ायम नहीं रख पाती । सामान्य ब्यांत अंतराल को क़ायम...