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पशुधन उत्पादन में गैर-पारंपरिक चारे के रूप में मक्के की खेती Maize (Zea mays) is one of the most widely cultivated cereal crops worldwide, primarily used for human consumption and industrial purposes. However, its suitability as a feedstuff for livestock has gained attention due to its nutritional richness, affordability, and availability.  This paper explores maize cultivation techniques, its nutritional composition, and its diverse applications as a feed resource for various livestock species. Additionally, it discusses the benefits, challenges, and prospects associated with integrating maize into livestock diets to enhance animal nutrition and promote sustainable farming practices. This paper aims to provide insights into maize cultivation, its nutritional attributes, and its utilization as a non-conventional...

बाकला की उन्नत खेती बाकला (विसिया फाबा, एल) एक अल्प उपयोगी रबी मौसम की दलहनी फसल है जो फेवेसी कुल के अन्तर्गत  आती है। बाकला की खेती मुख्यतः मिश्र, सीरिया, चीन और अमेरिका की जाती है। भारत में इसकी खेती हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ जाती है। भारतवर्ष में प्रतिदिन  दाल की आवश्यकता प्रति आदमी 200 ग्राम है जबकि दालों की उपलब्धता 42.9 ग्राम प्रति व्यक्ति है। इस प्रकार बहुत सारे भारतीय लोग संतुलित आहार से वंचित रह जाते हैं और प्रोटीन की कुपोषणता का शिकार हो जाते हैं। बाकला  के बीजों को दाल के रूप में प्रयोग किया जाता है इसमें प्रचुर मान्ना में कार्बोहाडड्रेट एवं प्रोटीन पाया...

चारा फसल जायद बाजरा की वैज्ञानिक खेती बाजरा शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में उगाई जाने वाली प्रमुख अनाजवर्गीय फसल है| इसकी खेती गर्मी और वर्षा ऋतू दोनों में की जाती है| यह अन्य चारा फसलो की अपेक्षा शीघ्रता से बढने वाली रोग निरोधक तथा अधिक कल्ले फूटने वाली चारे की फसल है। हरे चारे के लिए इससे कई कटाई ली जा सकती है| यह घनी पत्तीदार व सुकोमल होती है तथा इसका चारा स्वादिष्ट व पौष्टिक होता है| इसके चारे में प्रूसिक अम्ल नहीं होता है तथा ओक्सेलिक अम्ल भी कम होता है, इस वजह से गर्मियों में पशुओ के लिए यह अधिक सुरक्षित चारा रहता है| खरीफ के अलावा जायद...

ग्वार की वैज्ञानिक खेती तकनीक दलहन फसलों में ग्वार (क्लस्टर बीन) का विशेष योगदान है। यह गोंद (गम) और अन्य उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण औद्योगिक फसल है। ग्वांर का उपयोग हरे चारे एंव इसकी कच्ची फलियों को सब्जी के रूप में किया जाता है। इसकी खेती राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में की जाती है। भारत में राजस्थान ग्वार के क्षेत्र और उत्पादन में पहले स्थान पर है। ग्वार से ग्वार गम का उत्पादन होता है और जिसका निर्यात किया जाता है। इसके बीजों में 18 प्रतिशत प्रोटीन, 32 प्रतिशत फाइबर और भ्रूणपोष में लगभग 30-33 प्रतिशत गम होता है । खेत का चुनाव एंव तैयारी ग्वार की खेती मध्यम से हल्की बनावट...

चारा फसलों पर जैव उर्वरक का उपयोग पिछले ५० सालो में कृषि क्षेत्र में फसलों के लिए रासायनिक उर्वरको का अधिक उपयोग किया गया है जिसके प्रभाव से मिटटी की उपजाऊ क्षमता में कमी, पौधों में पोषक तत्वों की ज्यादा मात्रा, पौधों में रोग तथा किटो का आना , फलिय पौधों में नोडूलेसन की कमी, मिटटी के जीवाणुओं में कमी और प्रदुषण हुआ है| जिसके कारण किसानो को बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है | फसल की उत्पादकता कम हो गई है जिससे कि‍सानों की आमदनी कम हो गयी| ऐसी स्थिति में किसानो ने रासायनिक उर्वरक के बदले जैव उर्वरक का प्रयोग करना शुरू किया जो उनकी आशाओं पर खड़े...

राजस्थान में ग्रीष्मकालीन बाजरे की खेती खरीफ के अलावा जायद में भी बाजरा की खेती सफलतापूर्वक की जाने लगी है, क्योंकि जायद में बाजरा के लिए अनुकूल वातावरण जहॉ इसके दाने के रूप में उगाने के लिए प्रोत्साहित करता है वहीं चारे के लिए भी इसकी खेती की जा रही है। बाजरे के दानो की पौष्टिक गुणवत्ता ज्वार से अधिक होती है इसमें लगभग 67-68 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 11-12 प्रतिशत प्रोटीन , 2.7 प्रतिशत खनिज लवण , 5 प्रतिशत वसा आदि पाए जाते है | भूमि की चुनाव :- बलुई दोमट या दोमट भूमि जिसका पी.एच. मान 6.5-8.5 हो बाजरा के लिए अच्छी रहती है। व जीवांश वाली भूमि में बाजरा की खेती करने से...

चारा फसल के रूप मे शहतूत की खेती पशु आहार के पूरक के रूप में हरी पत्तियों की भूमिका का महत्व निर्विवाद है। विकासशील देशों में, अनाज फसलों के भूसे और घास को पशुओं को खिलाया जाता है, लेकिन इनके कम पोषक मान के कारण पशुओं अपनी उत्पादक क्षमता का पूर्ण प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं। इस कारण अधिकांश स्थानों पर पशुओं को चारे के साथ रातिब (दाना)भी खिलाया जाता है, परन्तु पशु आहार, रातिब से भी संतुलित नहीं हों पाता है। अत:इन परिस्तिथियों में शहतूत की पत्तियों को पशु आहार में मिलकर आहार की दक्षता में सुधार किया जा सकता है। बढ़ती मानव आबादी की भोजन आपूर्ति को पूरा करने के लिए...

अल्फाल्‍फा वीविल (Hypera postica Gyllenhal) के फैलने के लिए जिम्मेदार कारक का विश्लेषण   Alfalfa adult weevil   Forage production occupies a top priority by a farmer in cold arid region because long severe winter of 7-8 months is devoid of any vegetation greenery. Alfalfa (Medicago sativa L.) also called as the "Queen of fodder or Green Gold" is the most important fodder crop grown in Ladakh region owing to its well adaptability in the region. It is locally named as 'Buksukh". The crop being highly suited to the farming community, the cropping area has picked up and covered almost the entire area under fodder crops. It is a very important leguminous fodder grown as a...