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सहजन (मोरिंगा ओलीफेरा): भेंड़ व बकरी के लिए पौष्टिक हरा चारा विकासशील देशों में जुगाली करने वाले छोटे पशु जैसे भेंड़ व बकरी की मांग बढ़ रही है। भारत  में भेड़ और बकरी की आबादी विश्व में तीसरे और दुसरे स्थान पर है। चरागाह भूमि के सिकुड़न और छोटे जुगाली करने वाले पशुओं की आबादी में वृद्धि, गुणवत्ता वाले हरे चारे की सीमित या अनुपलब्धता है जो इन पशुओं की उत्पादकता में बाधा उत्पन्न करने वाला एक प्रमुख कारण है। इसके अलावा, उपलब्ध चारा पोषक तत्वों में बहुत खराब है, इनमे रेशा की मात्रा सर्वाधिक होती है, जिससे इसका स्वैच्छिक सेवन और इसे पचाने की शक्ति कम हो जाती है जिसके परिणाम...

Goat rearing: a profitable business बकरी पालन प्राचीन समय से ही किसानों के लिए एक प्रचलित ब्यबसाय है। बकरी को मांस के साथ साथ दूध उत्पादन के लिए भी पाला जाता है। बकरियों के बहुआयामी उपयोग के कारण ही इसका महत्व गरीबी एवं बेरोजगारी उन्मूलन के लिए बढ़ जाता है। बकरी को गरीब आदमी की गाय की संज्ञा भी दी जाती है।  बकरीपालन के लाभकारी ब्यबसाय होने के निम्नलिखित कारण है बकरी को किसी भी जलवायु मे पाला जा सकता है। बकरी पालने मे कम खर्च की आवश्यकता होती है। बकरी पालने मे कम श्रम की आवश्यकता होती है। बूढ़े एवं बच्चे जो और कोई श्रम नहीं कर सकते उनका भी उपयोग बकरी पालन...

बकरी पालन - ग्रामीण किसानों के लिए आय का सबसे अच्छा स्रोत Goat production for milk and meat is an age old practice and goat is one of the first animals to be domesticated by men. Throughout the world goat is considered as ‘poor man’s cow’. Central Institute for Research on Goats (CIRG) projected as ‘Future Animal’ for rural and urban prosperity. The total goat population in India is 125.7 million, which is 14.6% of total world’s population. India produces 4.0 million MT goat milk by 30.2 million dairy goats.  India is the largest goat milk producer in the world, followed by Bangladesh (2.2 million MT) and Sudan (1.5 million MT). China...