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आंतरिक परजीवी: भेड़ और बकरियों में रोकथाम और नियंत्रण के उपाय As we all know that, Indiais a paradise of many parasites due to its hot and humid climatic condition. Though most of our indigenous breeds are well adapted to the harsh environment, low nutrition and tropical disease, but animal welfare and productivity are highly affected by internal parasite infestation, mainly during rainy season. Internal parasitism is one of the major problems in the small ruminant’s sector because it exhibits major health issues, which have deleterious effects on the animal performance and cause great economic loss to the producer. In fact, most of the economic losses produced by internal parasites are actually...

Important Disease occurring in Goat and its control रोगग्रस्त बकरियों की पहचान के लिए उनका ध्यान से अवलोकन करना चाहिए। बीमार बकरी केे हाव-भाव, चाल तथा बर्ताव में बदलाव आता है वह दूसरों से अलग हटकर खड़ी, बैठी या सोती मिलती है । बकरी का खाना कम कर देना या छोड़ देना, जुगाली न करना। थूथन पर पसीना नही रहना और सूख जाना भी बीमारी के संकेत है।  इसके अलावा शरीर के तापमान सामान्य (102.5 डिग्री फारेनहाइट या1 डिग्री सेन्टीग्रेट) से ज्यादा या कम होना। नाड़ी तथा सास के गति में बदलाव आना। तथा पैखाना और पेशाब के रूप रंग में बदलाव आना। इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देने पर उसे अलग...

Pig farming an introduction हमारा देश तेजी से बढती आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा से संबंधित चुनौतियों का सामना कर रहा है, इनके समाधान के लिए पशु पालन हेतु समन्वित दृष्टिकोण अपनाने की जरुरत है। विभिन्न पशुधन प्रजातियों में, सुअर पालन मांस उत्पादन के लिए सबसे अधिक संभावनापूर्ण स्त्रोत है और सुअर ब्रायलर के बाद आहार को सबसे अधिक मांस में परिवर्तित करने वाले पशु हैं मांस उपलब्ध कराने के अलावा, ये शूक (कडे बाल) और खाद के भी स्त्रोत हैं. सुअर पालन मौसमी रुप से रोजगार प्राप्त करने वाले ग्रामीण किसानों को रोजगार के अवसर प्रदान करेगा और अनुपुरक आय भी पैदा होगी जिससे उनके जीवन स्तर...

Role of goat farming in doubling farmer’s income बकरी पालन ग्रामीण भारत में किसानों के लिए गरीबी कम करने की तकनीकों में से एक है। 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य के साथ, संयुक्त राष्ट्र (यू.एन.) की एक विशेष एजेंसी, इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट (आईएफएडी) के सहयोग से भारत सरकार किसानों को गरीबी से बाहर निकालकर भारत में बकरी पालन का विकास कर रही है। बकरियां पालना एक आमदनी पैदा करने वाली गतिविधि है, जिसमें विशेषकर दूरदराज के, आदिवासी और पारिस्थितिक रूप से कमजोर क्षेत्रों के लिए आय बढ़ाने और पोषण में सुधार करने की काफी संभावना है। ऐसी खेती में न्यूनतम निवेश और इनपुट लागत की...

Goat rearing: a profitable business बकरी पालन प्राचीन समय से ही किसानों के लिए एक प्रचलित ब्यबसाय है। बकरी को मांस के साथ साथ दूध उत्पादन के लिए भी पाला जाता है। बकरियों के बहुआयामी उपयोग के कारण ही इसका महत्व गरीबी एवं बेरोजगारी उन्मूलन के लिए बढ़ जाता है। बकरी को गरीब आदमी की गाय की संज्ञा भी दी जाती है।  बकरीपालन के लाभकारी ब्यबसाय होने के निम्नलिखित कारण है बकरी को किसी भी जलवायु मे पाला जा सकता है। बकरी पालने मे कम खर्च की आवश्यकता होती है। बकरी पालने मे कम श्रम की आवश्यकता होती है। बूढ़े एवं बच्चे जो और कोई श्रम नहीं कर सकते उनका भी उपयोग बकरी पालन...

दूधारू पशुओं में बाँझपन की समस्या के कारण एवं उनका निवारण  पिछले कई दशकों से यह पाया गया है कि जैसे-जैसे दूधारू पशुओं के दुग्ध उद्पादन में वृद्धि हुई है वैसे-वैसे प्रजनन क्षमता में गिरावट हुई है । दूधारू पशुओं की दूध उत्पादन की क्षमता प्रत्यक्ष रूप से उनकी प्रजनन क्षमता पर निर्भर करती है । दूधारू पशुओं में बाँझपन की स्थिति पशुपालकों के लिए बहुत बड़े आर्थिक नुकसान का कारण  है । पशुओं में अस्थायी रूप से प्रजनन क्षमता के घटने की स्थिति को बाँझपन कहते है । बाँझपन की स्थिति में दुधारू गाय अपने सामान्य ब्यांत अंतराल  (12 माह) को क़ायम नहीं रख पाती । सामान्य ब्यांत अंतराल को क़ायम...

Influence, treatment and management of Ranikhet disease in poultry farming रानीखेत एक अत्यधिक घातक और एक संक्रामक रोग है, यह रोग  कुक्कुट-पालन की सबसे गंभीर विषाणु बीमारियों में से एक है। इस रोग के विषाणु ‘पैरामाइक्सो’ को सबसे पहले वैज्ञानिकों ने वर्ष १६३९-४० में उत्तराखंड (भारत) के 'रानीखेत' शहर में चिन्हित किया था। रानीखेत रोग बहुत से पक्षियों जैसे मुर्गी, टर्की, बत्तख, कोयल, तीतर, कबूतर, कौवे, गिनी, आदि में देखने को मिलता है, लेकिन यह रोग मुर्गियों को प्रमुख रूप से प्रभावित करता है। मुर्गियों में रानीखेत रोग अक्सर किसी भी उम्र तक हो सकता है, परन्तु इस रोग का प्रकोप प्रथम से तीसरे सप्ताह ज्यादा देखने को मिलता है। रानीखेत रोग...

बकरी पालन: एक आय संवर्धक और ग्राम संगत उद्यम Goat farming plays a prominent role in the rural economy in supplementing the income of rural household particularly the landless, marginal and small farmers. Goat is considered as poor man's cow and it can be profitably be reared with low investment under semi-intensive as well as the extensive systems of management.  They provide quick return on account of their short generation intervals, high rate of prolificacy and making the related products. Goats' importance is indicated by various functional contributions like milk, meat, skin, socio-economic relevance, security, income generation, human nutrition and stability of farming system. Goats are the backbone of rural people's economy of arid,...