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चना की उन्नत कृषि तकनीक चना रबी ऋतु ने उगायी जाने वाली महत्वपूर्ण दलहन फसल है। विश्व के कुल चना उत्पादन का 70 प्रतिशत भारत में होता है। देश के कुल चना क्षेत्रफल का लगभग 90 प्रतिशत भाग तथा कुल उत्पादन का लगभग 92 प्रतिशत इन्ही प्रदेश से प्राप्त होता है। भारत में चने की खेती 7.54 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है जिससे 7.62 क्विं./हे. के औसत मान से 5.75 मिलियन टन उपज प्राप्त होती है। भारत में चने की खेती मुख्य रूप  से उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा बिहार में की जाती है। भारत में सबसे अधिक चने का क्षेत्रफल एवं उत्पादन वाला राज्य मध्यप्रदेश है तथा...

मुख्य दलहनी फसल चने की खेती चना बिहार के मुख्य दलहनी फसल है। इसकी खेती रबी के मौसम में होती है। चना की  बिहार में 58 हजार हे0 क्षेत्र में खेती की जाती है एवं इसकी औसत उत्पादकता 1015 किलोग्राम प्रति हे0 है। चना प्रोटीन का प्रमुख स्त्रोत है। इसके उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि लाकर कुपोषण की समस्या के समाधान में भी चना महत्वपुर्ण योगदान करने में समर्थ है। उन्नत किस्मों का चयन, ससमय बुआई, उन्नत तकनीक वाली सस्य क्रियाओं का उपयोग, राइजोबियम कल्चर एवं पी0एस0बी0से बीजोपचार, समुचित उर्वरता प्रबंधन, कीट ब्याधि एवं खरपतवार प्रबंधन तथा आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई सेे इसकी उत्पादकता में दुगूनी तक वृद्धि लायी जा सकती है। चना उगाने के...

उन्नत शस्य क्रियाओ द्वारा चने की खेती चना एक दलहनी व औषधीय गुण वाली फसल हैं। इसका उपयोग खून प्यूरिफिकेशन में होता हैं। चने में 21.1% प्रोटीन 61.1% कार्बोहाइड्रेट 4.5% वसा एवं प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, लोहा एवं नियासिन पाये जाते हैं। उत्तर प्रदेश के बाद चना उत्पादन करने में राजस्थान का नाम आता हैं। इसके प्रमुख जिले गंगानगर, अलवर, कोटा, जयपुर व सवाईमाधोपुर हैं। सबसे ज्यादा चने का उत्पादन गंगानगर जिले में होता हैं। राज्य का आधे से ज्यादा चना इन्ही जिलों में उत्पन्न किया जाता हैं। चना दलहनी फसल होने के कारण यह भूमि में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा को बढ़ाती हैं। इसके अलावा चने के पोधों की जड़ों में पायी...

चने का फाउंडेशन और प्रमाणित बीज उत्पादन करने की तकनीक  Gram or chickpea is leguminous crop and there are two distinct types of chickpea Desi chick pea  Coloured and thick seed coat.  Brown, yellow, green and black.  Small, angular and rough surface.  Flower pink with anthocyanin pigment  Some Desi variety have white flower with no anthocyanin pigment. Kabuli chick pea White or Beige – coloured seed Thin seed coat, smooth seed coat surface. White flower, lack of anthocyanin pigmentation on the Stem. High level of sucrose and lower level of fibre       General plant characteristics of Gram: Plant height generally varies from 30-70 cm. Lateral roots developed nodules with the symbiotic Rhizobium bacteria, capable of fixing atmospheric nitrogen in plant-usable form. Nodules appear/visible after one month /30days...

Gram or chick pea crop cultivation चना रबी ऋतु में उगायी जाने वाली महत्वपूर्ण दलहन फसल है। चना भारत की सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसल है। चने को दालों का राजा कहा जाता है। पोषक मानक की दृष्टी से चने के 100 ग्राम दाने में औसतन 11 ग्राम पानी, 21.1 ग्राम प्रोटीन, 4.5 ग्रा. वसा, 61.5 ग्रा. कार्बोहाइड्रेट, 149 मिग्रा. कैल्सियम, 7.2 मिग्रा. लोहा, 0.14 मिग्रा. राइबोफ्लेविन तथा 2.3 मिग्रा. नियासिन पाया जाता है। विश्व के कुल चना उत्पादन का 70 प्रतिशत भारत में होता है। चने में 21 प्रतिशत प्रोटीन ए 61.5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट तथा 4.5 प्रतिशत वसा होती है। इसमें कैल्शियम आयरन व नियासीन की अच्छी मात्रा होती है। चने का...

Integrated pest management in gram चने में उखटा रोग (विल्ट) इस रोग का प्रभाव खेत मे छोटे छोटे टुकडों मे दिखाई देता है।प्रारम्भ मे पौधे की ऊपरी पतियाँमुरझा जाती हैव धीरे धीरे पूरा पौधा सुखकर मर जाता है! जड़ के पास तने को चीरकर दिखने परवाहक ऊतको मे कवक जाल धागेनुमा काले रंग की संरचनाके रूपमे दिखाई देता है। नियन्त्रण फसल चक्र अपनाये। रोगरोधी किस्म आर.एस.जी-888व आर.एस.जी-896की बुवाई करे। बीजों को कार्बेन्डाजिम 50 डब्लयू.पी. 2 ग्राम या ट्राइकोड्रर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोंपचार करे। 4 किलोग्राम ट्राइकोड्रर्माको 100 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद मे मिलाकर बुवाई से पहले प्रति हैक्टयरे की दर से खेत मे मिलाये। खड़ी फसल मे रोग के...

 चनेे की फसल के 6 प्रमुख रोग और उसका प्रबंधन Gram commonly known as 'chick pea' or Bengal gram is the most important pulse crop in India. Chick pea occupies about 38 per cent of area under pulses and contributes about 50 per cent of the total pulse production of India. It is used for human consumption as well as for feeding to animals. It is eaten both whole fried or boiled and salted or more generally in the form of split pulse which is cooked and eaten. Both husks and bits of the 'dal' are valuable cattle feed. Fresh green leaves are used as vegetable (sag). Straw of chick pea...

भारत में बोई जाने वाली चनें की उन्‍नत किस्‍में:   Varieties Institute Yield (q/ha) Characters देशी किस्‍में पूसा 09  Pusa 209 भा.कृ.अ.सं. 22-30 पंजाब, हरयाणा, राजस्‍थान, गुजरात, मध्‍यप्रदेश, उ.प्रदेश, प.बंगाल तथा बिहार के सिंचित व बारानी क्षेत्रों के लिए उत्‍तम किस्‍म है। पूसा 212 Pusa 212 भा.कृ.अ.सं. 18-28 मध्‍य भारत यानि राजस्‍थान, गुजरात, मध्‍यप्रदेश के बारानी क्षेत्रों के लिए सर्वोत्‍तम एक उकठा (wilt resistent) रोग रोधी किस्‍म है।  पूसा 240 Pusa 240 भा.कृ.अ.सं.   उ.प्रदेश, प.बंगाल तथा बिहार के सिंचित व बारानी क्षेत्रों के लिए उत्‍तम किस्‍म है।  पूसा 244 Pusa 244 भा.कृ.अ.सं. 18-26 मध्‍य भारत के राजस्‍थान, गुजरात, मध्‍यप्रदेश राज्‍यों के लिए अच्‍छी किस्‍म है । यह उकठा (wilt) तथा तना गलन (stemrot) रोधी, बडे दाने बाली किस्‍म है।  पूसा 256 Pusa 256 भा.कृ.अ.सं. 22-30 समस्‍त भारत के सिंचित व बारानी क्षेत्रों तथा सामान्‍य या देरी से बुआई के लिए...