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 लोकप्रिय दलहनी फसल मसूर की खेती  मसूर बिहार की बहुप्रचलित एवं लोकप्रिय दलहनी फसल है तथा इसका कुल क्षेत्रफल 1.71 लाख हे0 एवं औसत उत्पादकता 880 किलोग्राम/हे0 है। मसूर की खेती, भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखने मेें सहायक होती है। असिंचित क्षेत्रों के लिए अन्य रबी दलहनी फसलाेें की उपेक्षा मसूर अधिक उपयुक्त हैं। मसूर उगाने के लि‍ए मि‍ट्टी- दोमट मिट्टी मसूर के लिए सर्वोतम पायी जाती है। मिट्टी भुरभूरी होना आवश्यक है। इसलिए 2-3 बार देशी हल अथवा कल्टीवेटर से जुताई कर ऐसी अवस्था प्राप्त किया जा सकती है। उन्नत प्रभेद या प्रजाति‍यॉं: ऽ     छोटे दाने वाले प्रजातियाँ: पी.एल.-406, पी.एल. 639, एच.यु.एल. 57 ऽ     बड़े दाने वाले प्रजातियाँ: अरूण, मल्लिका, आई.पी.एल.406 ऽ     अन्य प्रभेद: शिवालिक,...

Scientific cultivation of Lentil pule मध्यप्रदेश के असिंचित क्षेत्रों में चने की फसल के बाद रबी में उगाई जाने वाली दलहनी फसलों में, मसूर मुख्य फसल है। मसूर (lentil) की संरचना ही कुछ ऐसी है कि ये पानी का उपयोग इसके जीवनकाल में कम से कम करती है। इसकी पूरी ब्राहयाकृति छोटी सी झाड़ी जैसी है, तने पर सूक्ष्म रोयें पाये जाते है एवं पत्तियां भी बारीक व लंबी होती है, यही कारण है कि अन्य दलहनी फसलों की अपेक्षा मसूर की खेती को प्रति इकाई उत्पादन में पानी की कम मात्रा की आवश्‍यकता होती है। मसूर की फसल पाले तथा ठंड के लिये अति संवेदनशील है, फिर भी अन्य रबी दलहन फसल...

भारत में बोई जाने वाली मसूर की उन्‍नत किस्‍में    बुवाई का समय नवम्‍बर से दि‍सम्‍बर तथा बीज की दर 30 से 40 कि‍लोग्राम प्रति हैक्‍टेयर Varieties Yield (q/ha) Characters पूसा वैभव (L-4147) 17 Suitable for cultivation in North western plain zone with rainfed and irrigated conditions. Variety has medium tall growth habit with small pubescent leaves.It is small seeded variety. It is resistant to wilt and rust and matures in 120-125 days. Seeds are small with orange cotyledons. It has yield potential of 20-25 q/ha शि‍वालि‍क (L 4076) 15 Suitable for cultivation in North western plain zone in rainfed and irrigated conditons. It is resistant to wilt and rust. Bold seeded variety एल. - 4596 (L-4596) 21 The plant of lentil variety...