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अश्वगंधा उगायें और अधि‍क लाभ पाऐं भारत में अश्वगंधा अथवा असगंध जिसका वानस्पतिक नाम वीथानीयां सोमनीफेरा है, यह एक महत्वपूर्ण औषधीय फसल के साथ-साथ नकदी फसल भी है। अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में प्रयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पौधा है। सभी ग्रथों में अश्वगंधा के महत्ता के वर्णन को दर्शाया गया है। इसकी ताजा पत्तियों तथा जड़ों में घोंड़े की मूत्र की गंध आने के कारण ही इसका नाम अश्वगंधा पड़ा। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में अश्वगंधा की माँग इसके अधिक गुणकारी होने के कारण बढ़ती जा रही है। अश्वगंधा एक औषधि है। इसे बलवर्धक, स्फूर्तिदायक, स्मरणशक्ति वर्धक, तनाव रोधी, कैंसररोधी माना जाता है। इसकी जड़, पत्ती, फल और बीज औषधि के रूप...

Indigenous Turmeric Processing Methods छत्तीसगढ़ में हल्दी की फसल कि खेती विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग समय में की जाती है। इस फसल के लगभग 50% उत्पादक किसान आदिवासी होते हैं और आम तौर पर अपने बड़ियो में स्वदेशी तरीकों के माध्यम से फसल उत्पादन करते हैं। वार्षिक रिपोर्ट, 2015-16 के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य का पुरे भारत में हल्दी उत्पादन के क्षेत्र में लगभग 11.80 प्रतिशत योगदान रहा है। राज्य में हल्दी का उत्पादन 9, 747 हेक्टेयर भूमि से लगभग 83,470 लाख टन का था तथा साल दर साल राज्य का उत्पादन क्षेत्र बढ़ रहा है,   हल्दी उत्पादन के मुख्य जिले धमतरी, कोरबा, जगदलपुर, सरगुजा, जशपुर, कोंडगाँव, बालोद, सूरजपुर और बलरामपुर है। किए...

Advanced production technology of aromatic Pamaroja grass in Arid regions  रोशा घास या पामारोजा एक बहुवर्षीय सुगंधित घास है, जिसका वानस्पतिक नाम सिम्बोपोगान मार्टिनाई प्रजाति मोतिया है। जो पोएसी कुल के अन्तर्गत आता है। पामारोजा की खेती पामारोजा तेल केे आर्थिक उत्पादन के लिए उगाया जाता है | पूर्णतया शुष्क क्षेत्रों में उगाये जा सकने वाले इस पौधे के लिए ज्यादा पानी एवं खाद की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रकार भारत के शुष्क क्षेत्रों वाले भागों में पामारोजा की खेती करके पर्याप्त लाभ कमाया जा सकता है। पामारोजा एक सुगन्धित पौधा है जो एक बार लगा देने के उपरान्त 4 से 6 वर्ष तक उपज देता है। पामारोजा 4 वर्ष तक अधिक...

Improved Techniques of Turmeric Cultivation  हल्दी एक महत्वपूर्ण मसाले वाली फसल है जिसका उपयोग औषधि से लेकर अनेकों कार्यो में किया जाता है। इसके गुणों का जितना भी बखान किया जाए थोड़ा ही है, क्योंकि यह फसल गुणों से परिपूर्ण है हल्दी की खेती आसानी से की जा सकती है तथा कम लागत तकनीक को अपनाकर इसे आमदनी का एक अच्छा साधन बनाया जा सकता है। यदि किसान भाई इसकी खेती ज्यादा मात्रा में नहीं करना चाहते तो कम से कम इतना अवश्य करें जिसका उनकी प्रति दिन की हल्दी की मांग को पूरा किया जा सकें। निम्नलिखित शास्त्र वैज्ञानिक पद्धतियों को अपना कर हल्दी की खेती सफलता पूर्वक की जा सकती...

गुग्‍गल की खेती कैसे करें गुगल एक छोटा पेड है जिसके पत्‍ते छोटे और एकान्‍तर सरल होते हैं। यह सिर्फ वर्षा ऋतु में ही वृद्धि करता है तथा इसी समय इस पर पत्‍ते दिखाई देते हैं। शेष समय यानि सर्दी तथा गर्मी के मौसम में इसकी वृद्धि अवरूद्ध हो जाती है तथा पर्णहीन हो जाता है। सामान्‍यत: गुग्‍गल का पेड 3-4 मीटर ऊंचा होता है। इसके तने से सफेद रंग का दूध निकलता है जो इसका का उपयोगी भाग है। प्राकृतिक रूप से गुग्‍गल भारत के कर्नाटक,राजस्‍थान,गुजरात तथा मघ्‍यप्रदेश राज्‍यों में उगता है। भारत में गुग्‍गल विलुप्‍तावस्‍था के कगार पर आ गया है, अत: बडे क्षेत्रों मे इसकी खेती करने की...

गुुगल उगानें की विस्‍तृत जानकारी  Guggal or Indian bdellium, is a large spinescent shrub to a small tree, inhabiting drier parts of western India. Guggal cultivation is done mainly in  Rajasthan and Gujarat. Its gum-resin is used in Ayurvedic medicines as a remedy to reduce cholesterol content in blood. It has also utility in treatment of arthritis and obesity.  A large plantation of guggal exist in Ajmer district of Rajasthan. Description of Guggal Plant The plant is a woody shrub with knotty, crooked, sping brown bracties, leaves 1-3 foliate leaf lets, sessile with serrated margin. Flowers are pinkish unisexual. Fruit is drops red, ovate with two celled stone. The ash coloured bark comes...