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तुलसी की वैज्ञानिक खेती और उसका महत्व  तुलसी का बैज्ञानिक नाम ओसिमुम तेनुइफ़्लोरुम (ऑसीमम सैक्टम) है| तुलसी लेमिएसी कुल का पौधा है|एक द्विबीजपत्री तथा शाकीय, औषधीय पौधा है। यह झाड़ी के रूप में उगता है और 1-3 फुट ऊँचा होता है। इसकी पत्तियाँ बैंगनीएबम हरी आभा वाली हल्के रोएँ से ढकी होती हैं। पत्तियाँ 1-2 इंच लम्बी सुगंधित और अंडाकार या आयताकार होती हैं। पुष्प मंजरी अति कोमल एवं 5-7  इंच लम्बी और बहुरंगी छटाओं वाली होती है, जिस पर बैंगनी और गुलाबी आभा वाले बहुत छोटे हृदयाकार पुष्प चक्रों में लगते हैं। बीज चपटे पीतवर्ण के छोटे काले चिह्नों से युक्त अंडाकार होते हैं। नए पौधे मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में उगते है और शीतकाल...

 इशबगोल के औषधीय गुण तथा उसका उत्पादन  इशबगोल एक प्रकार का औषधीय पौधा होता है,यह अधिकतर मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाया जाता है| यह भारत में मालवा एवं सिंध, अरब की खाड़ी और पर्शिया में पाया जाता है| इशबगोल को आयुर्वेद में अश्व्गोल या अश्वकर्ण  के रूप में जाना जता है, जिसका शाब्दिक अर्थ “घोड़े की तरह कान है| इशबगोल का वैज्ञानिक नाम प्लैन्तेगो ओवाटा  (Plantago ovata) तथा कुल प्लैंतिजिनेसी है| इशबगोल एक प्रकार की झाड़ी होती है जिसके पत्तें धान के पत्तों जैसे और डालियाँ पतली होती है| इसबगोल के बीज छोटे-छोटे नुकीले और बादामी रंग के होते हैं| प्रतेक बीज के ऊपर एक पतला सफ़ेद रंग का आवरण होता है जिसे औषधीय प्रयोग...

अश्वगंधा उगायें और अधि‍क लाभ पाऐं भारत में अश्वगंधा अथवा असगंध जिसका वानस्पतिक नाम वीथानीयां सोमनीफेरा है, यह एक महत्वपूर्ण औषधीय फसल के साथ-साथ नकदी फसल भी है। अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में प्रयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पौधा है। सभी ग्रथों में अश्वगंधा के महत्ता के वर्णन को दर्शाया गया है। इसकी ताजा पत्तियों तथा जड़ों में घोंड़े की मूत्र की गंध आने के कारण ही इसका नाम अश्वगंधा पड़ा। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में अश्वगंधा की माँग इसके अधिक गुणकारी होने के कारण बढ़ती जा रही है। अश्वगंधा एक औषधि है। इसे बलवर्धक, स्फूर्तिदायक, स्मरणशक्ति वर्धक, तनाव रोधी, कैंसररोधी माना जाता है। इसकी जड़, पत्ती, फल और बीज औषधि के रूप...

Bael (Wood apple) production technique. बेल भारत के प्राचीन फलों में से औषधीय गुणों से भरपूर एक महत्वपूर्ण फल है। स्थानीय स्तर पर इसे बेलगिरी, बेलपत्र, बेलकाठ या कैथा के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी भाषा में इसे वुड एप्पल (Wood Apple) कहतें हैं। यह एक पतझड़ वाला वृक्ष हैं, जिसकी ऊंचाई 6-8  मीटर होती है और इसके फूल हरे-सफ़ेद और मीठी सुगंध वाले होते हैं| इसके फल लम्बाकार  होते है, जो ऊपर से पतले और नीचे से मोटे होते हैं| बेल को पोषक तत्वों और औषधीय गुणों के कारण बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है| इसके फल में विभिन्न प्रकार के एल्कलाॅइड, सेपोनिन्स, फ्लेवोनाॅइड्स, फिनोल्स कई तरह के फाइटोकेमिकल्स विटामिन-ए, बी.सी., खनिज तत्व...

Rhododendron Arborium: A medicinal plant of Himachal Pradesh हिमाचल प्रदेश हिमालय की गोद में बसा हुआ एक सुंदर प्रदेश है । यहाँ की जलवायु परिस्थितियों में विविधता है क्योंकि औसत समुद्र तल से ४५० मीटर की  ऊचाई से लेकर ६५०० मीटर की ऊचाई तक अथवा  पश्चिम से पूर्व व दक्षिण से उत्तर तक यहाँ  भिन्नता है। ऊचाई  और जलवायु की विवधताओं के कारण यह राज्य  विभिन्न प्रकार के पौधों एवं जानवरों के रहने के लिए अनुकूल है । हिमाचल प्रदेश औषधीय एवं अन्य उपयोगी पौधों का एक समृद्ध भंडार है । इन पौधों में से अधिकांश पोधे पारंपरिक दवाओं, लोक उपयोग और आधुनिक उद्योगों में इस्तिमाल किए जाते है । हिमाचल प्रदेश में पाए...

Cultivation of Isabgol (Plantago ovata) through scientific techniques Plantago ovata Forsk. एक अत्यंत महत्वपूर्ण औषधीय फसल है।औषधीय फसलों के निर्यात में इसका प्रथम स्थान हैं। वर्तमान में हमारे देश से प्रतिवर्ष 120 करोड़ के मूल्य का ईसबगोल निर्यात हो रहा है। विश्व में इसके प्रमुख उत्पादक देश ईरान, ईराक, अरब अमीरात, भारत, फिलीपीन्स इत्यादि हैं। भारत में इसका उत्पादन प्रमुख रूप से गुजरात,राजस्थान,पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश में करीब 50 हजार हेक्टयर में हो रहा हैं। म. प्र. में नीमच, रतलाम, मंदसौर, उज्जैन एवं शाजापुर जिले प्रमुख हैं। ईसबगोल का उपयोग ईसबगोल का औषधीय उपयोग अधिक होने के कारण विश्व बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। ईसबगोल के बीज पर पाए...

Zero calories medicinal plant- Stevia or sweet leaf Cultivation आजकल मधुमेह व मोटापे की समस्या के कारण न्युन कैलोरी स्वीटनर्स हमारे भोजन के आवश्यक अंग बन चुके है। बाजार मे उपलब्‍ध कृत्रि‍म उत्पाद सेहत के लि‍ए पुर्णतया सुरक्षित न होने के कारण, मधु तुलसी या स्‍टीवि‍या (Stevia) के पौधे को न्‍यून क्‍ैलोरी मि‍ठास का उत्‍तम प्राकृतिक स्त्रोत माना जाता है। यह शक्कर से लगभग 25 से 30 गुना अधिक मीठा , केलोरी रहित है व मधुमेह व उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए शक्कर के रूप मे पुर्णतया सुरक्षित है । इसके पत्तों मे पाये जाने वाले प्रमूख घटक स्टीवियोसाइड, रीबाडदिसाइड व  अन्य योगिकों में इन्सुलिन को बैलेन्स करने के गुण पाये जाते है। जिसके...

रसभरी या केप करौदा: भारत में एक नई नकदी फसल Introduction and adaptations of new crops contribute to an increase in diversity of agricultural systems. It offers new opportunity and alternatives to farmers and markets. New crops can result in an increase of income for farmers. The Cape gooseberry (Physalis peruviana L.) करौदा is a new herbaceous crop which comes under minor fruit. The genus Physalis, of the family Solanaceae, contains around more than 100 species of annual and perennial herbs. Several species of Physalis are grown for their edible fruits like, P. peruviana L. (Cape gooseberry) , P. pruinosa L. (strawberry tomato), or P. ixocarpa Brot. (husk tomato). This crop can be grown successfully in kitchen garden....

Cultivation technique of Swarnamukhi or Sonamukhii or Senna सोनामुखी या सनाय बहुवर्षीय कांटे रहित झाड़ीनुमा, औषधीय पौधा है जो लैग्यूमीनेसी (दलहनी) कुल के अन्तर्गत आता है। पूर्णतया बंजर भूमि में उगाये जा सकने वाले इस पौधे के लिए ज्यादा पानी एवं खाद की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रकार भारत के बंजर भूमि वाले भागों में सोनामुखी की खेती करके पर्याप्त लाभ कमाया जा सकता है। सोनामुखी एक औषधीय पौधा है जो एक बार लगा देने के उपरान्त 4-5 वर्ष तक उपज देता है। इसका पौधा 4 डिग्री से 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सहन करने की क्षमता रखता है। एक बार लगा देने के बाद इस फसल के पौधों को न तो कोई जानवर एवं पशु...

Disease control in valuable drug Basil (Tulsi) तुलसी (Basil) एक द्विबीजपत्री तथा शाकीय, औषधीय पौधा हैं। यह झाड़ी के रूप में उगताहैं  और १ से ३ फुट ऊँचा होता हैं। इसकी पत्तियाँ बैंगनी आभा वाली हल्के रोएँ से ढकी होती हैं। पत्तियाँ १ से २ इंच लम्बी सुगंधित और अंडाकार या आयताकार होती हैं।  पुष्प मंजरी अति कोमल एवं ८ इंच लम्बी और बहुरंगी छटाओं वाली होती हैं, जिस पर बैंगनी और गुलाबी आभा वाले बहुत छोटे हृदयाकार पुष्प चक्रों में लगते हैं। तुलसी के बीज चपटे पीतवर्ण के छोटे काले चिह्नों से युक्त अंडाकार होते हैं। नए पौधे मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में उगते हैं और शीतकाल में फूलते हैं। पौधा...