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Cultivation technique of Swarnamukhi or Sonamukhii or Senna सोनामुखी या सनाय बहुवर्षीय कांटे रहित झाड़ीनुमा, औषधीय पौधा है जो लैग्यूमीनेसी (दलहनी) कुल के अन्तर्गत आता है। पूर्णतया बंजर भूमि में उगाये जा सकने वाले इस पौधे के लिए ज्यादा पानी एवं खाद की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रकार भारत के बंजर भूमि वाले भागों में सोनामुखी की खेती करके पर्याप्त लाभ कमाया जा सकता है। सोनामुखी एक औषधीय पौधा है जो एक बार लगा देने के उपरान्त 4-5 वर्ष तक उपज देता है। इसका पौधा 4 डिग्री से 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सहन करने की क्षमता रखता है। एक बार लगा देने के बाद इस फसल के पौधों को न तो कोई जानवर एवं पशु...

Disease control in valuable drug Basil (Tulsi) तुलसी (Basil) एक द्विबीजपत्री तथा शाकीय, औषधीय पौधा हैं। यह झाड़ी के रूप में उगताहैं  और १ से ३ फुट ऊँचा होता हैं। इसकी पत्तियाँ बैंगनी आभा वाली हल्के रोएँ से ढकी होती हैं। पत्तियाँ १ से २ इंच लम्बी सुगंधित और अंडाकार या आयताकार होती हैं।  पुष्प मंजरी अति कोमल एवं ८ इंच लम्बी और बहुरंगी छटाओं वाली होती हैं, जिस पर बैंगनी और गुलाबी आभा वाले बहुत छोटे हृदयाकार पुष्प चक्रों में लगते हैं। तुलसी के बीज चपटे पीतवर्ण के छोटे काले चिह्नों से युक्त अंडाकार होते हैं। नए पौधे मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में उगते हैं और शीतकाल में फूलते हैं। पौधा...

Advanced cultivation of medicinal Amla इम्बेलिका आफिसिनेलिस भारत का एक अहम पौधा है। इसको संस्कृत में धात्री फल कहते है। यह वृक्ष पर उगता है तथा अनेकों गुणों से भरपूर होता है। ऑवला विटामिन सी का अनन्य स्त्रोत है । इस वृक्ष का मुख्य गुण यह है। कि यह उसर भूमि पर भी उग सकता है तथा इस वृक्ष को सिंचाई की आवष्यकता नही होती है। इसे आसानी से उगाया जा सकता है। खेती के लिए भूमि तैयार करना: ऑवला की बुआई हेतु पी.एच. मान तक की मृदा भी प्रयोग का जा सकती है। इसके लिए भूमि की कोई ज्यादा तैयारी नहीे करनी होती है। इसकी बुआई हेतु मई जून माह में 8-10 मीटर...

Improved agronomical techniques of Ashwagandha or Winter cherry cultivation अश्वगंधा (withania somnifera) की पौधा सीधा 1.25 मीटर उॅचा होता हैं तथा इसके तने में बारीक रोम पाये जाते हैं। इसके पत्तिायों का आकार अण्डाकार एवं पत्तिायों में रोम पाये जाते है जिसे छूने से मुलायम महसूस होता है। फूल छोटे हरे या हल्के पीले रंग के तथा फल छोटे गोले नारंगी या लाल रंग के होते है। जड़ो को मसलकर सूॅघने से अश्व (घोड़े) के पसीने एवं मूत्र जैसी गंध आती है। जड़ों का रंग सफेद सा भूरा होता हैं। इसका संस्कृत नाम: अष्वगंधा, हिन्दी नाम :  असगंध, अंग्रेजी : विन्टरचेरी (Winter cherry), इंडियनगिनसेंग  (Indian ginseng)  हैैै। । भोगौलिक वितरण: अशवगंधा  का वितरण अफ्रीका, भूमध्यसागरीय से भारत एवं...

Cultivation of Mint to earn more Profits वर्तमान वैश्वीकरण के दौर में जहां एक ओर वैश्विक कृषि व्यवसायीकरण की ओर गतिशील दिखाई देती है। वहीं दूसरी भारतीय कृषि आज भी परंपरागत खेती को अपने युवा कांधों व तकनीकी दिमाग पर बोझ बनाये बैठी है। वर्तमान समय परंपरागत खेती से हटकर बाजार मांग के अनुसार फसल उत्पादन का है जहां नये कृषि उत्पादों का उत्पादन कर किसान अपने आय को उच्चतम स्तर तक पहुंचा सके। पुदीना लेमिएसी कुल से संबंधित एक बारह मासी खुशबुदार अत: भुस्वारी प्रकार का पौधा है। पुदीने की खेती मुख्यत: उनकी हरी, ताजा खुशबूदार पत्तिायों के लिये की जाती है। गांव-घरों में पनियारी के पास जहां पानी नियमित रूप से लगता है पुदीना...

Cultivation of Ashwagandha (Withania somnifera) to get more income अशवगंधा (असगंधा) जिसे अंग्रेजी में विन्टर चैरी कहा जाता है तथा जिसका वैज्ञानिक नाम विदानिया सोमनिफेरा है, भारत में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण औषधीय फसल है जिसमें कई तरह के एल्केलाइड्स पाये जाते है। अशवगंधा को शक्तिवर्धक माना जाता है। भारतवर्ष में यह पौधा मुख्यतया गुंजरात, मध्यप्रदेष, राजस्थान, पष्चिमी उत्तरप्रदेष, पंजाब, हरियाणा के मैदान, महाराष्ट्र, पष्चिमी बंगाल, कर्नाटक, केरल एवं हिमालय में 1500 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता हैं। मध्यप्रदेष में इस पौधे की विधिवत् खेती मन्दसौर जिले की भानपुर, मनासा एवं जावद तथा नीमच जिले में लगभग 3000 हेक्टर क्षेत्रफल में की जा रही है। भारत के अलावा यह औषधीय पौधा स्पेन,...

Sarpgandha cultivation technique सर्पगन्‍धा एक अत्‍यन्‍त उपयोगी पौधा है। यह 75 सेमी से 1 मीटर ऊचाई तक बढता है। इसकी जडे स‍िर्पिल तथा 0.5 से 2.5 सेमी व्‍यास तक होती हैं तथा 40 से 60 सेमी गहराई तक जमीन में जाती हैं। इसपर अप्रैल से नवम्‍बर तक लाल सफेद फूल गुच्‍छो मे लगते है। सर्पगंधा की जडों मे बहुत से एल्‍कलाईडस पाए जाते है जिनका प्रयोग रक्‍तचाप, अनिद्रा, उन्‍माद, हिस्‍टीरिया आदि रोगों के उपचार में होता है। इसका उपयोगी भाग जडें ही है। सर्पगंधा 18 माह की फसल है। इसे बलुई दोमट से लेकर काली मिट्टी मे उगाया जा सकता है। सर्पगन्‍धा उगाने के लिए खेत की तैयारी: जडों की अच्‍छी वृद्धि के...

सफेद मूसली कैसे उगाऐ। Safed Musli is a medicinal plant that is native to India. Its botanical name is chlorophytum borivilianum and belongs to Liliaceae family.  Safed Musli is a herb with linear leaves appearing over ground with the advent of summer rains. Flowers white. It perenates by fleshy roots/root-tubers. Tuberous root is used in ayurvedic medicin. Cultivation of safed musli is more profitable than many of the traditional crops. CULTIVATION OF SAFED MUSLI: Safed Musli can be grown in Foot Hills of Uttaranchal, Himachal Pradesh & Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Andhra Pradesh, Tamil Nadu, Kerala, Karnataka, Rajasthan, Gujarat and Maharashtra . SOIL AND CLIMATE Safed Musli requires well drained loamy to sandy loam soils rich in organic...