papita ki kheti Tag

Improved cultivation method of Papaya पपीता बहुत ही पौष्टिक एवं गुणकारी फल है। पपीता स्वास्थ्यवर्द्धक तथा विटामिन ए व कई औषधियों गुणों से भरपूर होता है, साथ ही सेहत के लिए भी बहुत लाभदायक होता है. पपीते की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये बहुत कम समय फल दे देता है I पपीते का फल थोड़ा लम्बा व गोलाकार होता है तथा गूदा पीले रंग का होता है। गूदे के बीच में काले रंग के बीज होते हैं। कच्चा पपीता हरे रंग का और पकने के बाद हरे पीले रंग का होता है। एक पपीते का वजन 300, 400 ग्राम से लेकर 1 किलो ग्राम तक हो सकता है। पपीता न...

Integrated crop disease and pest management in Papaya  पपीता एक प्रमुख उष्ण एवं उपोष्ण कटिबंधीय फल है। पपीते की  खेती गर्म एवं नम जलवायु में सफलता पूर्वक की जा सकती है। पपीता की अच्छी वृद्धि के लिए 22-26 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त पाया गया है। पपीता पकने के समय शुष्क एवं गर्म मौसम होने से फलों की मिठास बढ़ जाती है। पपीता का उपयोग कच्चे एवं पके फल के रूप में किया जाता है। कच्चे फल का उपयोग पेठा, बर्फी, खीर, रायता, सब्जी आदि बनाने के लिए किया जाता है, जबकि पके फलो से जैम, जैली, नेक्टर एवं कैंडी इत्यादि बनाये जाते हैं । क्षेत्रफल की दृष्टि से पपीता हमारे देश का पाँचवा...

7 Major diseases of papaya crop and their control पपीते का बिहार की कृषि में प्रमुख स्थान है। पपीते में 20 से अधिक रोगों का आक्रमण होता है, जिनमें कवक एवं विषाणु जनित रोग प्रमुख हैं। बिहार राज्य में सबसे अधिक समस्या विषाणु जनित रोगों की है जिसके कारण किसान पपीते की खेती में कम रूचि ले रहे हैं। पपीते के कवक जनित रोग: 1. आर्द्र गलन (डैम्पिंग आॅफ): यह पौधशाला में लगने वाला गम्भीर रोग है जिससे काफी हानि होती है। इसका कारक कवक पीथियम एफैनिडरमेटम है जिसका प्रभाव नये अंकुरित पौधों पर होता है। इस रोग में पौधे का तना प्रारम्भिक अवस्था में ही गल जाता है और पौधा मुरझाकर गिर जाता है। नियंत्रण...