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Management of Root-knot Nematode in Pomegranate सूत्रकृमि (निमेटोड) एक तरह का पतला धागानुमा कीट होता है। यह जमीन के अन्दर पाया जाता है। इसे सूक्ष्मदर्शी की सहायता द्वारा आसानी से देखा जा सकता है। इनका शरीर लंबा बेलनाकार तथा बिना खंडों वाला होता है। मादा सूत्रकृमि गोलाकार एंव नर सर्पिलाकार आकृति का होता है। इनका आकार 0.2 मि.मी. से 10 मि.मी. तक हो सकता है। सूत्रकृमि कई तरह के होते हैं और इनमें से प्रमुख जड़गांठ सूत्रकृमि है। इनका प्रकोप फसलों पर ज्यादा देखा गया है। ये परजीवी सूत्रकृमि के रूप में मृदा अथवा फसलों के ऊतकों में रहते हैं। ये कई वर्षों तक मिट्टी के नीचे दबे रह सकते हैं और...

Intensive gardening of pomegranate अनार बहुत ही पौष्टिक एवं गुणकारी फल है। अनार स्वास्थ्यवर्द्धक तथा विटामिन ए, सी, ई, फोलिक एसिड, एंटी आक्सीडेंट व कई औषधियों गुणों से भरपूर होता है, साथ ही सेहत के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। अनार का रस स्वाद से भरा होता है। अनार में कई महत्वपूर्ण पाचक एन्जाइम व तत्व मौजूद रहते है। यह स्वास्थवर्धक तथा लोक प्रिय है। इसके ताजे फलों को सेवन करने से लम्बी कब्जियत की बिमारी भी दूर की जा सकती है। इसलिए बाजार में अनार की मांग लगातार बढ़ रही है। अनार की फसल किसानों को कम समय में अधिक लाभ कमाने का अवसर देती है। इसकी खेती व्यवसायक रूप में...

अनार की फसल के प्रमुख रोग तथा उनके नि‍दान के तरीके The pomegranate Punica granatum L. belongs to the family Punicaceae. Pomegranate is cultivated in home gardens especially as a medicinal plant and as a fruit tree. There is no other fruit crop that has high medicinal value compared to that in pomegranate. One of the oldest known fruits found in writings and artefacts of many cultures and religions. Pomegranate is an original native of Persia. This nutrient dense, antioxidant rich fruit has been revered as a symbol of health, fertility and eternal life. 1. Alternaria fruit spot: Alternaria alternata Symptoms: Small reddish brown circular spots appear on the fruits. As the disease advances these spots, coalesce...

Disease management in dry arid regional Fruits of Rajasthan राजस्थान में विभिन्न प्रकार के शुष्क क्षेत्रीय फल उगाये जाते हैं। जिनमें अनेक प्रकार के रोग लगते हैं जिससे इन फलों की गुणवत्ता तथा उपज दोनों प्रभावित होती हैं। इसलिए इन फलो के मुख्य रोगो का निदान करना अत्यंत आवश्यक है, जो निम्न प्रकार है : अ) बेर के मुख्य रोग 1. बेर में छाछया रोग इस रोग में सबसे पहले पौधों की टहनियों, पत्तियों एवं फलों पर सफ़ेद चूर्ण जैसी फफूंद  दिखायी देती है जो बाद में पूरे फल पर फैल जाती है। रोग संक्रमित फल आकार में छोटे रह जाते हैं।   निदान : इस रोग के लक्षण नजर आने पर 0.1 प्रतिशत केराथेन का 10-15 दिनों के अंतराल...