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Under relay farming method, before the harvesting of base crop, the next crop is sown in the field in the standing condition of base crop and the subsequent crop is called Utera crop. With the use of relay farming, the farmer brother is able to harvest crops with limited resources (land, time, water, labor etc.) and less cost. अधिक आय के लिए गेहूँ में खरबूज कि रिले खेती  सब्जियों का भारतीय कृषि में महत्वपूर्ण स्थान है। ये बहुत सी दूसरी फसलों की तुलना में प्रति ईकाई क्षेत्र में अधिक पैदावार देती है और कम समय में तैयार हो जाती है। भारत में खीरा वर्गीय कुल की लगभग 20 प्रकार की सब्जियों की...

Need and importance of relay crop in India वर्तमान मे देश की बढ़ती जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने के लिये सघन खेती ही एकमात्र विकल्प बनता जा रहा है, क्योकि बढ़ती जनसंख्या के दबाव के कारण खेती की भूमि अन्य कार्यो के लिये परिवर्तित हो रही है एवं खेती का रकबा बढ़ाना अब संभव प्रतीत नही होता है। देश मे बहुत से क्षेत्र ऐसे है जहां की कृषि पूरी तरह से वर्षा पर आधारित है तथा सिंचार्इ के सीमित साधन के कारण ही रबी मौसम में खेत खाली पड़ी रहती है अत: ऐसे क्षेत्रों के लिए सघन खेती के रूप मे उतेरा खेती एक महत्वपूर्ण विकल्प साबित हो सकती है। उतेरा खेती का...

Inter relay technique for Cucumber cultivation in wheat crop सब्जियों का भारतीय कृषि में महत्वपूर्ण स्थान है। ये बहुत सी दूसरी फसलों की तुलना में प्रति ईकाई क्षेत्र में अधिक पैदावार देती है और कम समय में तैयार हो जाती है। भारत में खीरा-ककड़ी वर्गीय कुल की लगभग 20 प्रकार की सब्जियों की खेती की जाती है।  इनमें धीया/ लौकी, तोरी, करेला, खीरा, तरबूज, खरबूज, ककड़ी, कद्दू /सीताफल, चप्पनकद्दृ, टिण्डा, परवल आदि मुख्य है। ये सभी बेलवाली फसलें होती हैं जो कम कैलोरी व सरलता से पचने वाली होने के साथ-साथ विटामिन्स, अमीनो अम्ल एवं खनिज लवणों का अच्छा स्त्रोत है । ये सब्जियां उत्तर भारत के मैदानी भागों में फरवरी से...