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Scientific cultivation technique of Rye, Toria and Mustard crop बिहार में रबी मौसम में उगायी जाने वाली तेलहनी फसलों में राई, तोरीया एवं सरसों का प्रमूख स्थान है। इनका उपयोग खाद्य तेल एवं जानवरोंहेतु खल्ली के रूप में किया जाता है। अधिक एवं गुणवत्तायुक्त उपज प्राप्त करने हेतु यह आवश्यक है कि इसकी खेती वैज्ञानिक ढ़ंग से की जाए जिससे अधिक से अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकें। राई-तोरी, सरसों के उन्नत प्रभेद एवं खेती की विधि: राई में प्रभेद (समय से बुआई हेतु उपयुक्त) - वरूणा:  औसत उपज 20 क्वि/हे0 होता है। इस फसल की अवधि 135 से 140 दिन में तैयार हो जाता है। पूसा बोल्ड: इसकी औसत उपज 19 क्वि0/हे0 है। इस...