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बानयार्ड मिल्लेट - पोषण सुरक्षा की भविष्य The crop of Sanwa is capable of withstanding difficult conditions and giving high yield. Being a C4 crop, its grain and fodder yield is higher than other cereals. The duration of harvesting of sorghum is 75 to 100 days and the average yield is up to 2200 kg/ha. बानयार्ड मिल्लेट - पोषण सुरक्षा की भविष्य खाद्य सुरक्षा की परिभाषा सन 1970 के हरित क्रांति से ही विकसित होती आई है। खाद्य सुरक्षा का अर्थ शुरुवात मे हर व्यक्ति को अन्न पर्याप्त मात्र और वहनयोग मे मिलना था। परिस्थिति बदली है की खाद्य सुरक्षा अन्न पर्याप्त  मात्रा के साथ साथ  अच्छे गुणवत्ता से मिलना भी है। ऐसे...

Multi cut fodder sorghum cultivation technique.  भारत में मात्र 4 प्रतिशत भूमि पर चारे की खेती की जाती है तथा एक गणना के अनुसार भारत में 36 प्रतिशत हरे चारे एवं 40 प्रतिशत सूखे चारे की कमी है | अत:  हमें उन चारा फसलों की खेती करनी होगी जो लम्बे समय तक पशुओं को पोष्टिक हरा चारा उपलब्ध कराने के साथ साथ हमारी जलवायु में आसानी से लगाई जा सके| शरद ऋतू में बरसीम, जई, रिजका, कुसुम आदि की उपलब्धता मार्च के पहले पखवाड़े तक बनी रहती है किन्तु बहु कट चारा ज्वार से पशुओं को लम्बे समय तक हरा चारा आसानी से मिल सकता है। ज्वार का चारा स्वाद एवं गुणवत्ता में बहुत अच्छा होता...

Multi harvesting sorghum fodder crop cultivation techniques  भारत में  मात्र 4 प्रतिशत भूमि पर चारे की खेती की जाती है तथा एक गणना के अनुसार भारत में 36 प्रतिशत हरे चारे एवं 40 प्रतिशत सूखे चारे की कमी है | अत: बढती हुई आबादी एवं घटते हुए कृषि क्षेत्रफल को ध्यान में रखते हुए हमें उन चारा फसलों की खेती करनी होगी जो लम्बे समय तक पशुओं को पोष्टिक चारा उपलब्ध कराने के साथ साथ हमारी जलवायु में आसानी से लगाई जा सके | शरद ऋतू में बरसीम, जई, रिजका, कुसुम आदि की उपलब्धता मार्च के पहले पखवाड़े तक बनी रहती है किन्तु बहु कट चारा ज्वार से पशुओं को लम्बे समय...

Major Diseases of Fodder Crops And Their Management भारत विश्व में सबसे अधिक पशु जनसंख्या वाले देशों में से एक है। दुधारू पशुओं के अधिक दुध उत्पादन के लिए हरे चारे वाली फसलों की भूमिका सर्वविदित है। इन फसलों में अनेक प्रकार के रोग आक्रमण करते है जो चारे की उपज एवं गुणवत्ता में ह्रास करते है एवं हमारे पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक सिद्ध होते हैं। अतः इन रोगों का प्रबन्धन अति आवश्यक है। चारे की फसलों में प्रमुख रोग एवं उनका प्रबन्धन इस प्रकार हैः बाजरे की मॄदुरोमिल आसिता या हरित बाली रोगः रोगजनक: यह एक मृदोढ रोग है। इसका रोगकारक स्क्लेरोस्पोरा ग्रैमिनिकॉला नामक कवक है। मॄदुरोमिल आसिता या...

Green fodder production technique पशुओं की उत्पादन क्षमता उनको दिए जाने वाले आहार पर निर्भर करती है। पशुओं को संतुलित आहार दिया जाय तो पशुओं की उत्पादन क्षमता को निश्चित ही बढ़ाया जा सकता है।  हरे चारे के प्रयोग से पशुओं को आवश्यकतानुसार शरीर को विटामिन ’ए’ एवं अन्य विटामिन मिलते हैं।  इसलिए प्रत्येक पशुपालक को अपने पशुधन से उचित उत्पादन लेने के लिए वर्ष पर्यन्त हरा चारा खिलाने का प्रबन्ध अवश्य करना चाहिए। पशुओं से अधिक दुग्ध उत्पादन लेने के लिए किसान भाईयों को चाहिए कि वे ऐसी बहुवर्षीय हरे चारे की फसले उगाऐं  जिनसे पशुओं को दलहनी एवं गैरदलहनी चारा वर्ष भर उलब्ध हो सकें।  रबी एवं खरीफ के लिए पौष्टिक हरा चारा...

Seed Production Techniques of Sorghum and Millet ज्वार की बीज उत्पादन तकनीक ज्वार दुनिया में पाँचवें नम्बर का खाद्यान है  ज्वार को 55 प्रतिशत रोटी व दलिया के रूप में तथा पौधे को जानवरों के खाने के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। अमेरिका में 33 प्रतिशत ज्वार दाने को जानवरों के खाद्यान के रूप में प्रयोग किया जाता है। भारत वर्ष में 1970 में 9 मि. टन ज्वार पैदा होती थी जो 1980 में बढ़कर 12 मि. टन पहुँच गई तथा 1990 में इतनी ही पैदावार स्थिर रही जो 2006 तक स्थिर रही लेकिन इसका क्षेत्रफल काफी कम हो गया। क्षेत्रफल कम होने के बावजूद पैदावार में कमी न आने का कारण...

चारा ज्‍वार की बहु वाली प्रजातियॉं किसानो को अधिक उत्पादन देने वाली बहु कटाई चारा ज्वार किस्मों का अपने क्षेत्र के अनुरूप चयन करना चाहिए | विगत कुछ वर्षो में विभिन्न कृषि जलवायु वाली परिस्थितियों के लिए राष्टीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर ज्वार की बहु कटाई वाली बहुत सी किस्में विकसित की गई है | किसान अपने क्षेत्र के अनुरूप संस्तुत किस्म का चयन कर अधिक से अधिक उत्पादन ले सकता है । बहु कटाई वाली ज्‍वार की किस्मों की बुआर्इ अप्रेल के पहले पखवाड़े में करनी चाहिए, असिंचित क्षेत्रों में मानसून के आने के बाद अथवा 15 जून बाद बुआई करें | बहुकट चारा ज्वार की किस्मों हेतु  बीज की मात्रा 40 से 50 की.ग्रा....

भारत में बोई जाने वाली बाजरे की उन्‍नत किस्‍में   किस्‍में Variety औसत उपज (q/ha) विवरण Characters रेवती - 2123 Rewati-2123  - 80 से 85 दिन मे पकने वाली संकर किस्‍म, 20-22 सेमी लम्‍बी, ठोस व गोलाकार बाली। मध्‍यम आकार के स्‍लेटी रंग के चमकीले दाने। ज्‍यादा फूटाव व अधिक चारे की किस्‍म। पुजा-4599 Puja-4599 - 80 से 85 दिन मे पकने वाली संकर किस्‍म, 28-32 सेमी लम्‍बी, ठोस व गोलाकार बाली। मोटे आकार के एक समान दाने। Hybrid Pusa-415 23-25 Suitable for Rajasthan, Gujarat, Haryana, MP, UP, Punjab and Delhi. It can be grown in Irrigated and rainfed conditions and matures in 75 to 78 days. It is resistant to downy mildew and tolerant to moisture stress. Pusa Hybrid-605 22-24 Suitable for Rajasthan, Gujarat, Haryana, MP,...

 ज्‍वार की फसल के कीट-पतंग कौन से है तथा उनका प्रबंधन कैसे करें। Sorghum is an important world crop, used for food (as grain and in sorghum syrup or "sorghum molasses"), fodder, the production of alcoholic beverages, and biofuels. Most varieties are drought- and heat-tolerant, and are especially important in arid regions, where the grain is one of the staples for poor and rural people. Sorghum bicolor is an important food crop in Africa, Central America, and South Asia and is the "fifth most important cereal crop grown in the world. The growers must be prepared to scout and prevent injury from insects. However, a proper insect pest management program will...

चारा फसलों की उन्‍नत किस्‍में पशुओं से अधिक दुग्ध उत्पादन लेने के लिए किसान भाईयों को चाहिए कि वे ऐसी बहुवर्षीय हरे चारे की फसले उगाऐं  जिनसे पशुओं को दलहनी एवं गैरदलहनी चारा वर्ष भर उलब्ध हो सकें।  रबी एवं खरीफ के लिए पौष्टिक हरा चारा उगाने की योजना कृषकों को अवश्य बनानी चाहिए।  खरीफ एवं रबी के कुछ पौष्टिक हरे चारे की उन्‍नत किस्‍में इस प्रकार है।  चारा फसल किस्‍में बीज की दर मक्‍का J-1006, किसान, अफ्रीकन टाल एवं विजय, टाइप-41, मक्का गंगा-2, गंगा-7, 50- 60 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज शुद्ध फसल की बुआई के लिए।  फलीदार चारे जैसे लोबिया के साथ 2:1 के साथ मिलाकर बोना चाहिए। रिजका Anand-2, Anand-3, LLC3, T-9, RL-88,RL-48   बरसीम UPB-110, Bundel barsim 2, वरदान जे.वी.-1 तथा वी.एल.-1, वी.एल.-10, जे.एच.वी.-146 25-30...