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सुगंधित एवं औषधीय पौधों की खेती और किसानों को इसके लाभ Growing medicinal and aromatic plants is a good diversification option for the farmers. These plants and their products not only serve as a valuable source of income for the farmers and entrepreneurs but also earn valuable foreign exchange through exports. Therefore, it is necessary to collect, conserve and evaluate aromatic plants to develop potential agricultural technologies for medicinal plants cultivation. सुगंधित एवं औषधीय पौधों की खेती और किसानों को इसके लाभ सुगंधित एवं औषधीय पौधे, पौधों का एक समूह है जो सुगंधित पदार्थों का उत्पादन और उत्सर्जन करता है तथा इसका उपयोग औषधीय रूप में किया जाता है ।  पौधों में सुगंध विभिन्न...

बीजीय मेथी फसल की वैज्ञानिक विधि से खेती मेथी (ट्राइगोनेला फोइनम-ग्रेइकम एल.), फेबेसी कुल के अन्तर्गत आने वाली एक वर्षीय बहुपयोगी बीजीय मसालो की एक प्रमुख फसल है। भारत में मुख्य रुप से मेथी की खेती राजस्थान , मध्यप्रदेश तथा गुजरात में की जाती है। देश की मेथी का 80 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रफल व उत्पादन अकेले राजस्थान राज्य में है, अतः इसे मेथी का कटोरा कहा जाता है| राजस्थान में मेथी उत्पादन मुख्यत: नागौर, उदयपुर, कोटा, बून्दी, झालावाड. आदि जिलो में होता है। मेथी का उपयोग सब्जियों व खाद्य पदार्थो में किया जाता है तथा इसका औषधीय महत्व भी है। इसकी हरी पत्तियों में प्रोटीन, विटामिन सी तथा खनिज लवण आदि...

लहसुन की वैज्ञानिक तरीके से खेती लहसुन दक्षिणी यूरोप का मूल निवासी है और पूरे भारत में मसाले या मसालों के रूप में उगाया जाता है। उड़ीसा के बाद गुजरात सबसे बड़े उत्पादक राज्य हैं। इसका उपयोग पेट की बीमारी, गले में खराश और कान में दर्द के इलाज के रूप में किया जाता है। यह आमतौर पर विभिन्न व्यंजनों की तैयारी में उपयोग किया जाता है।  लहसुन की खेती के लि‍ए जलवायु और मिट्टी यह जलवायु परिस्थितियों की एक विस्तृत श्रृंखला के तहत उगाया जाता है। हालाँकि  बहुत गर्म या बहुत ठंडा मौसम इसके लिए अनुकूल नही होता है। यह गर्मियों के साथ.साथ सर्दियों में भी मध्यम तापमान पसंद करता है। बल्ब के...

Scientific cultivation of Turmeric हल्दी की खेती सामान्यत: सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है। उचित जलनिकास वाली बलुई दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी जिसमें जीवांश की अच्छी मात्रा हो, हल्दी के लिये उपयुक्त होती है। इसकी अच्छी पैदावार के लिये भूमि का पी एच मान 5.0-7.5 के बीच होना चाहिए। चिकनी मिट्टी, क्षारीय भूमियों तथा पानी ठहरने वाले स्थान पर विकास रुक जाता है। इसकी खेती बगीचों में अंतरवर्तीय फसल के रूप में भी की जा सकती है। हल्दी की खेती के लि‍ए भूमि हल्दी की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिये भूमि की अच्छी तैयारी करने की आवश्यकता होती है क्योंकि यह जमीन के अंदर होती है जिससे जमीन को...

Chironji – A tree of immense potential चिरौंजी आमतौर पर शुष्क पर्णपाती जंगलों में पाए जाने वाला वृक्ष है। इसकी औसतम ऊँचाई १०-१५ मीटर तक पाई जाती है|  भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न चिरौंजी के वृक्ष उत्तरी, पश्चिमी और मध्य भारत के उष्णकटिबंधीय पर्णपाती जंगलों में आमतौर पर मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में पाया जाता है| यह पेड भारत के माध्यम से, अन्य देशो जैसे बर्मा और नेपाल तक पहुच चूका है (हेमवती और प्रभांकर, १९८८)| चिरौंजी को इसके उच्च मूल्य वाले कर्नेल (चिरौंजी के दाने) के लिए जाना जाता है| सूखे मेवों या सूखे फलों में बादाम की तरह ही चिरौंजी का स्थान है। चिरौंजी...