तिलहन Tag

बाकला की उन्नत खेती बाकला (विसिया फाबा, एल) एक अल्प उपयोगी रबी मौसम की दलहनी फसल है जो फेवेसी कुल के अन्तर्गत  आती है। बाकला की खेती मुख्यतः मिश्र, सीरिया, चीन और अमेरिका की जाती है। भारत में इसकी खेती हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ जाती है। भारतवर्ष में प्रतिदिन  दाल की आवश्यकता प्रति आदमी 200 ग्राम है जबकि दालों की उपलब्धता 42.9 ग्राम प्रति व्यक्ति है। इस प्रकार बहुत सारे भारतीय लोग संतुलित आहार से वंचित रह जाते हैं और प्रोटीन की कुपोषणता का शिकार हो जाते हैं। बाकला  के बीजों को दाल के रूप में प्रयोग किया जाता है इसमें प्रचुर मान्ना में कार्बोहाडड्रेट एवं प्रोटीन पाया...

Sesame (Sesamum indicum L.) the queen of oilseeds as export potential crop तिल (सीसेमम इंडीकम एल.), भारतीय मूल की एक तिलहनी फसल जो मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों तक सीमित है, उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य तेल और बीज के लिए प्रत्यक्ष कन्फेक्शनरी उपयोग के लिए विंटेज मूल्य है। यह सोयाबीन, रेपसीड - सरसों और मूंगफली के बाद भारत में खेती की जाने वाली चौथी सबसे बड़ी तिलहनी फसल है । तिल का महत्व विश्व स्तर पर पहचाना गया है और इसलिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक प्रमुख स्थान रखता है।तिल के वैश्विक व्यापार का मूल्य लगभग $ 1.49 बिलियन है, जबकि इसके अलावा, पिछले एक दशक के दौरान तिल के तेल...

Engineering of Stem rot resistance in oil seeds through biotechnology   ति‍लहनी फसलों का एक अति मत्वपूर्ण फफूंदी कारक रोग, स्क्लेरोटिनिया तना सड़न / गलन नाम से जाना जाता हैं। इसी रोग को उदाहरण के रूप में लेते हुए प्रस्तुत समीक्षा इस तथ्य को विस्तार से प्रस्तुत करेगी की, किस प्रकार कृषि जैव-प्रौद्योगिकी, किसानों की समस्याओं का प्रभावी समाधान ढूंढ़ने में सक्षम है । स्क्लेरोटिनिया स्क्लेरोटियोरम बैक्‍ट्रीया जनित तना गलन रोग स्क्लेरोटिनिया स्क्लेरोटियोरम (Sclerotinia sclerotiorum (Lib) de Bary) जीवाणु एक नेक्रोट्रॉफिक पैथोजन है , यानि‍ यह अपना भोजन पौधों के सडे-गले अवशेषों से प्राप्त कर जीवित रहता है। इस जीवाणु की जीवन चक्र की चार अवस्थाएं: स्केलोरेसिया (sclerotia), एपोथेसिएम (apothecium), एस्कोस्पोर (ascospores) तथा माइसीलियम (mycelium)...

6 major diseases of mustard and their management 1. सरसों का सफेद रोली (White rust) रोग यह सरसों का अति भयंकर रोग है। यह बीज व भूमि जनित रोग है। इस रोग के कारण बुवाई के 30-40 दिनो के बाद पतियों की निचली सतह पर सफेद रंग के ऊभरे हुए फफोले दिखाई देते है। फफोलो की ऊपरी सतह पर पतियों पर पीले रंग के धबे दिखाई देते है। उग्र अवस्था मे सफेद रंग के ऊभरे हुए फफोले पतियों की दोनो सतह पर फैल जाते है। फफोलो के फट जाने पर सफेद चूर्ण पतियों पर फैल जाता है। पीले रंग के धबे आपसमे मिलकर पतियों को पूरी तरह से ढक लेते है। पुष्पीय...

Mustard cultivation with scientific technique सरसों राजस्थान की प्रमुख तिलहनी फसल हैं। सरसों की फसल सिंचित क्षेत्रों एवं संरक्षित नमी के बारानी क्षेत्रों में ली जा सकती हैं। यह फसल कम सिंचाई सुविधा और कम लागत में भी अन्य फसलों की तुलना में अधिक लाभ प्रदान करती है। इसकी पत्तियॉ हरी सब्जि के रूप में प्रयोग की जाती है तथा सूखे तनो को ईधन के रूप में प्रयोग किया जाता हैं। सरसों के तेल में तीव्र गंध सिनिग्रिन नामक एल्केलॉइड के कारण होती हैं। मृदा :- सरसों की खेती रेतिली से लेकर भारी मटियार मृदाओ में की जा सकती हैं। बुलई दोमट मृदा सर्वाधिक उपयुक्त होती हैं। खेत की तैयारी :- खरीफ फसल की कटाई्र...

अलसी (फ्लैक्‍स रेशा फसल) की खेती कैसे करें? Flax is a fibre crop, which is a member of the genus Linum and belongs to the family Linaceae. Botanically, flax and linseed are same but when it is cultivated for oil then it is known as Linseed and when it is cultivated for fibre it known as Flax. Oilseed and fiber varieties are specialized development of this species. The flax cultivars grown primarily for seed/ oil purpose are relatively short in height and possess more secondary branches and seed capsule. The flax cultivars grown for fiber purpose are tall growing with straight with 100-125 cm height and have fewer secondary branches. Flax or linseed...

ति‍लहनी फसलों में गंधक की कमी  Sulphur is an essential nutrient element for plant as well as animal kingdom. It often accumulates in areas with volcanic activity, and mostly found in organic form in soils. Though S is a secondary nutrient element, its uptake is 9-15% of N uptake and similar to that of P uptake. Crucifers are found to have much more requirement of S than other crops primarily because of oil production and other essential S containing volatile compounds. Sulphur deficiency is wide spread across the world soils (Scherer, 2009). Intensification of agriculture with high yielding varieties and multiple cropping coupled with use of high analysis sulphur free fertilizers along with...

Importance of sulfur in oilseed crops तिलहनी फसलें भारतीय आहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं है।  इसका उत्पादन लगभग 24 मिलियन टन हो रहा है। तिलहन फसल के लिए संतुलित उर्वरक का प्रयोग आवश्यक है, जिसमें नत्राजन, फास्फोरस, पोटाश, गंधक, जिंक व बोरान तत्व अति आवश्यक है।  गत वर्षों में सन्तुलित उर्वरकों के अन्तर्गत केवल नत्राजन, फास्फोरस एवं पोटाश के उपयाेग पर बल दिया गया।  सल्फर के उपयोग पर विशेष ध्यान न दिये जाने के कारण मृदा के नमूनों में 40 प्रतिशत गंधक (सल्फर) की कमी पाई गई।  आज उपयोग में आ रहे गंधक रहित उर्वरकों जैैसे यूरिया, डी0ए0पी0, एन0पी0 के0 तथा म्यूरेट आफ पोटाश के उपयोग से गंधक की कमी निरन्तर...

भारत में सूरजमुखी का एक सिंहावलोकन Sunflower (Helianthus annuus L.) is one of the few crop species that originated in North America. It was probably first introduced to Europe through Spain, and spread through Europe as a curiosity until it reached Russia where it was readily adapted. The high-oil lines from Russia were reintroduced into the U.S. after World War II, which rekindled interest in the crop. Production of sunflower subsequently increased in the Great Plains of United States as marketers found new uses for the seeds as an oil crop, a birdseed crop, and as a human snack food. In India, sunflower as an oilseed crop introduced in 1969, prior...

सूरजमुखी की उन्‍नत किस्‍में  Varieties प्रजाति Developed By विकसित की Average yield औसत उपज Characters गुण श्रेष्‍ठा NSFH-36 Nuziveedu Seeds 8 से 12 कुं/एकर फसल अवधि 88-93 दिन. सिंचित अवस्‍था में उत्‍पादन 8-12 q/acre तथा असिंचित अवस्‍‍था में 4-6 q/acre . पौधे की औसत लम्‍बाई 175-190 cm. Oil content 42-44%. Suitable for rabi, kharif and summer seasons. आर्ल्‍टनेरिया के प्रति सहनशील किस्‍म है। फूल पकने पर नीचे झुकजाता है जिससे पक्षियों का हमला कम होता है चित्रा Chitra JK Seeds, Hyderabad 8 से 10 कुं/एकर Duration 95-100 days in kharif and 100-105 days in rabi,Plant hight 165-170 cm. Oil content 38-40% सूर्या Surya JK Seeds, Hyderabad 9-12 कुं/एकर Duration 90-95 days in kharif and 95-100 days in rabi,Plant hight 160-175 cm. Oil content 40-42% JK 236 JK Seeds, Hyderabad - Duration...