रानीखेत रोग Tag

Backyard poultry farming घर के पिछवाड़े मे छोटे स्तर पर मुर्गियों को घरेलू श्रम और स्थानीय उपलब्ध दाना-पानी का उपयोग करते हुए बिना किसी विशेष आर्थिक व्यय के पालन पोषण को बैकयार्ड कुक्कुट पालन कहते है। कुक्कुट पालन आर्थिक रूप से पिछड़े हुए लोगों को आर्थिक स्वावलंबन दिलाने मे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। बैकयार्ड कुक्कुट पालन प्रायः दोहरे उपयोग वाली मुर्गियों का उपयोग बैकयार्ड कुक्कुट पालन के लिए किया जाता है।  इसमे मुर्गियाँ घर की चारदीवारी के अंदर स्वतः विचरण करते हुए आपना खाना पीना खुद खोजती हैं। बैकयार्ड कुक्कुट को पालने के लिए किसी विशेष घर की आवाश्यकता नहीं होती है । मुर्गीयों को प्रायः बांस की टोकरी अथवा कार्ड बोर्ड...

मुर्गी पालन की समस्याएं: एक विश्लेषण Poultry farming is one of the most fertile areas to ease out the pressure of population on crop cultivation. Among the livestock based vocations, poultry farming occupies a pivotal position due to its enormous potential to bring about rapid economic growth with low input investment. Poultry farming is one of the fastest growing segments of agriculture sector in India with an average growth rate of 6 percent in egg production and 12 percent in broiler production per annum. As a result, India is now the world’s third largest egg producer after China and USA with 50000 million eggs worth Rs. 6300 crores. India stands fourth position (after...

Influence, treatment and management of Ranikhet disease in poultry farming रानीखेत एक अत्यधिक घातक और एक संक्रामक रोग है, यह रोग  कुक्कुट-पालन की सबसे गंभीर विषाणु बीमारियों में से एक है। इस रोग के विषाणु ‘पैरामाइक्सो’ को सबसे पहले वैज्ञानिकों ने वर्ष १६३९-४० में उत्तराखंड (भारत) के 'रानीखेत' शहर में चिन्हित किया था। रानीखेत रोग बहुत से पक्षियों जैसे मुर्गी, टर्की, बत्तख, कोयल, तीतर, कबूतर, कौवे, गिनी, आदि में देखने को मिलता है, लेकिन यह रोग मुर्गियों को प्रमुख रूप से प्रभावित करता है। मुर्गियों में रानीखेत रोग अक्सर किसी भी उम्र तक हो सकता है, परन्तु इस रोग का प्रकोप प्रथम से तीसरे सप्ताह ज्यादा देखने को मिलता है। रानीखेत रोग...