सल्फर Tag

Symptoms and prevention of nutrient deficiency in rabi crops  प्रत्येक पोषक तत्व पौधों के अंदर कुछ विशेष कार्य करने होते हैं। एक पोषक तत्व दूसरे पोषक तत्व का कार्य नहीं कर सकता है। किसी एक पोषक तत्व की सांद्रता जब निश्चित क्रांतिक स्तर से नीचे आ जाती है तो पौधे में उस पोषक तत्व की कमी हो जाती है। इससे पौधे के जीवन की क्रिया में बाधा पड़ती है तथा उसके विभिन्न अंगों खासकर पत्तियों पर तत्व विशेष की कमी के लक्षण दिखाई देते हैं। रबी फसलों मे प्रमुख पोषक तत्‍वों के कार्य, उनकी कमी के लक्षण तथा नि‍वारण के तरीके इस प्रकार है। नाइट्रोजन  मुख्य कार्य नाइट्रोजन कार्बन एवं जल के बाद पौधों में पर्याप्त मात्रा...

जूट या पटसन उत्पादन के लिए सल्फर महत्वपूर्ण है  Jute is an important commercial crop of Eastern India. It spreads over an area of around 8 million ha in the states like West Bengal, Bihar, Odisha, Assam, Meghalaya, Tripura and some part of Uttar Pradesh. The crop is very much responsive to external application of major and micro nutrients. Latest soil fertility report of country by the Indian Council of Agricultural Research has highlighted the role of Sulphur in agricultural crops. Around 42% jute growing districts of West Bengal and 43% jute growing districts of Bihar is facing the problem of Sulphur deficiency (www.targetmap.com). Moreover farmers also do not emphasize on application...

Importance of sulfur in oilseed crops तिलहनी फसलें भारतीय आहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं है।  इसका उत्पादन लगभग 24 मिलियन टन हो रहा है। तिलहन फसल के लिए संतुलित उर्वरक का प्रयोग आवश्यक है, जिसमें नत्राजन, फास्फोरस, पोटाश, गंधक, जिंक व बोरान तत्व अति आवश्यक है।  गत वर्षों में सन्तुलित उर्वरकों के अन्तर्गत केवल नत्राजन, फास्फोरस एवं पोटाश के उपयाेग पर बल दिया गया।  सल्फर के उपयोग पर विशेष ध्यान न दिये जाने के कारण मृदा के नमूनों में 40 प्रतिशत गंधक (सल्फर) की कमी पाई गई।  आज उपयोग में आ रहे गंधक रहित उर्वरकों जैैसे यूरिया, डी0ए0पी0, एन0पी0 के0 तथा म्यूरेट आफ पोटाश के उपयोग से गंधक की कमी निरन्तर...