Advanced cultivation of Chrysanthemum

Advanced cultivation of Chrysanthemum

गुलदाउदी की उन्नत खेती

Chrysanthemum or guladaudee cultivation

गुलदाउदी शर्दियो में उगाए जाने वाले फूलो में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, एवं गुलदाउदी शर्दियो में उगाया जाने वाला एक लोकप्रिय पुष्प है, इस लिए गुलदाउदी को शर्दी के मौसम की रानी, सेवन्ति तथा चंद्रमल्लिका के नाम से भी जाना जाता है | गुलदाउदी के फूलो के रंग, आकार तथा बनावट में अन्य फूलो की तुलना में बहुत अधिक विभिन्नता होती है, लेकिन गुलदाउदी के पुष्प सुगन्धित नहीं होते है |

गुलदाउदी में फूलने का समय बहुत कम होता है, लेकिन गुलाब के बाद दूसरा सबसे लोकप्रिय पुष्प है | गुलदाउदी की खेती मुख्य रूप से लूज तथा कट फूलो के लिए की जाती है | गुलदाउदी के फूलो का उपयोग मुख्य रूप से मेज की सजावट करने, माला बनाने, वेणी बनाने, गुलदस्ते बनाने तथा गजरा व् कंगन बनाने में होता है |

गुलदाउदी के बड़े आकार के फूल लेने के लिए इसको गमलो में उगाया जाता है, जो अधिक आकर्षक लगते है | गमलो तथा क्यारियों में लगाने के लिए गुलदाउदी की विभिन्न रंग व् आकार की किस्मे उपलब्ध है | भारत में गुलदाउदी मुख्य रूप से महाराष्ट्रा, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार, दिल्ली, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश में की जाती है | 

गुलदाउदी के लि‍ए जलवायु तथा मृदा

जलवायु गुलदाउदी की वृदि एवं उत्पादन को बहुत अधिक प्रभावित करती है | भारत के मैदानी भागो में सबसे अच्छे फूल नवम्बर में प्राप्त होते है | गुलदाउदी के अच्छे विकास और वृदि के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस दिन का तापमान तथा 15 डिग्री सेल्सियस रात का तापमान अच्छा होता है |

दिन की अवधि चौदह घण्टे से अधिक होने पर फूलो की कल्लिया नहीं बनती है | लेकिन अभी कुछ किस्मे ऐसी भी विकसित हो चुकी है, जीन पर प्रकाश की अवधि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है|

गुलदाउदी को सफलतापूर्वक उगाने के लिए बलुई दोमट मिट्टी जिसमे पानी नहीं टहरता हो अच्छी होती है | इसके साथ साथ मृदा में पर्याप्त मात्रा में कार्बनिक पदार्थ तथा पर्याप्त नमी को रोककर रखने वाली मृदा सर्वोत्तम होती है | अधिक अम्लीय मृदा में गुलदाउदी को उगाना कठीन होता है |

गुलदाउदी की किस्मो का चयन

गुलदाउदी में कई प्रकार की किस्मे उपलब्ध है, जिनको हम अपने अनुसार चयन कर के ऊगा सकते है | जिनमे से प्रमुख किस्मे इस प्रकार है |

बड़े आकार के फूलो के लिए –

सुपर जायन्ट, राज, डायमंड, पिंक जायंट, स्टार यलो, टेम्टेशन, इत्यादि

छोटे आकार के फूलो वाली –

फ्लिर्ट, लिलिथ, सोनाली तारा, शरद शोभा, बैगी, हिमानी, ज्योत्स्ना, अर्चना, बसंती, कुंदन इत्यादि |

गमले में लगाने के लिए –

सफ़ेद – ज्योत्स्ना, निहारिका, शरद शोभा, हनीकॉम्ब, रीता इत्यादि |

बैंगनी – शरद प्रभा, मोहिनी, मेगामी, हेमन्त, सिंगार, चार्म इत्यादि |

लाल – जैम, राखी, रेड गोल्ड, अरुण सिंगार, सुहाग सिंगार इत्यादि |

पीला – जूलिया, टोपाज, इंदिरा, अर्चना, रानी, पीत, मयूर, सोनाली तारा इत्यादि |

कट फूलो के लिए –

पीला – जयंती, फ्रीडम, सुजाता, कुन्दन, नानको इत्यादि |

बैंगनी – नीलिमा, अजय, गेती, एलिसन इत्यादि |

लाल – जया, डेनिटी, मेड़, फ्लिर्ट, ब्लैज इत्यादि |

सफ़ेद – अफसरा, हिमानी, बैगी, ज्योत्स्ना, बीरबल साहनी इत्यादि |

गुलदाउदी का प्रवर्धन 

गुलदाउदी का प्रवर्धन कई तरीको से किया जाता है |

बीज द्वारा गुलदाउदी उगाऐ

गुलदाउदी की एक वर्षीय किस्मो को मुख्यतया बीजो से उगाया जाता है | इसके लिए बीजो से पौधशाला में पौध तैयार की जाती है | पौध तैयार करने के लिए बीजो को फरवरी के महीने में लगाया जाता है | बीजो द्वारा मुख्य रूप से सिंगल और कोरियन वर्ग की किस्मो को लगाया जाता है |

सकर / कल्लो द्वारा गुलदाउदी उगाऐ

इस विधी से गुलदाउदी लगाने के लिए जब पौधे में फूल मुरझाने लगते है, तब जमीन से करीब 15 – 20 सैमी ऊपर से पौधे को काट दे | कटे हुए पौधो में जनवरी के महीने में पौधे की जड़ो के पास से बहुत सरे सकर/ कल्ले निकलना प्रारम्भ हो जाते है |

इन कल्लो को को सावधानीपूर्वक निकाल कर गमले में लगाना चाहिए | कल्लो में जड़ पहले से होती है, इस लिए कोई हार्मोन लगाने की आवश्यकता नहीं होती है | कल्लो को गमले में लगाने के बाद गमलो को हल्के छायादार स्थान पर रखना चाहिए |

कटिंग/ कलम द्वारा गुलदाउदी उगाऐ

कलम या कटिंग से पौधे तैयार करने के लिए भी पौधो में पहली बार पुष्प अवस्था खत्म होने पर पौधो को जमीन से करीब 15 से 20 सैमी ऊपर से काटे, जिससे कल्लो के साथ साथ पौधो के तनो पर जो गांठे होती है, उन गांठो से भी नई पत्तिया निकलती है |

गांठो से निकली नई शाखाओ को 5 से 8 सैमी लम्बाई में गांठ के ठीक ऊपर से काटना चाहिए | चुकी काटी गई शाखाओ में जड़े नहीं होती है, इस लिए जड़े निकालने के लिए निचले भाग को जड़ वृद्धि कारक जैसे सेरेडिक्स, केरॉडिक्स, रुटाडिक्स आदि से उपचारित करना चाहिए, तथा ऊपर की कुछ पत्तिया हटा देनी चाहिए |

शाखाओ को उपचारीत करने के बाद शाखाओ को रूटिंग मीडिया को किसी उथले बर्तन में भरकर उसमे शाखाओ को 5 सैमी की दुरी पर छिद्र बनाकर लगा देना चाहिए | रूटिंग मिडिया के रूप में 2 भाग मिट्टी 1 भाग बालू तथा 1 भाग पत्तियों की खाद काम में लेते है |

कलम को लगाने से पहले कलमों को गलने से बचाने के लिए कलमों को फॉर्मेलिन के 1 से 2 प्रतिशत घोल से उपचारित करना चाहिए | पूर्वी और उत्तर भारत में कलमों को लगाने का उचित समय जून – जुलाई माना गया है | कलमों को मिश्रण में लगाने के बाद कलमों को छायादार स्थान पर रखना चाहिए, तथा पर्याप्त नमी बनाये रखे |

कलमों से जड़ निकलने के बाद यथाशीघ्र कलमों को खेत में रोप देना चाहिए | फरवरी की जगह जून – जुलाई में कलमों को लगाने से पौधो में फूल जल्दी आते है |

गुलदाउदी को उगाने की विधी

गुलदाउदी के पौधो को गमलो में तैयार करने के लिए पौधो को तीन बार एक गमले में बदले | गुलदाउदी के पौधो को सबसे पहले 10 सैमी व्यास वाले गमले में लगाए तथा गमले में मिश्रण के रूप में एक भाग बालू + एक भाग पत्ती की खाद + थोड़ी राख का प्रयोग करना चाहिए |

इसके 2 से 3 महीने बाद पौधो को करीब 15 सैमी व्यास वाले गमले में लगाना चाहिए, तथा गमलो में मिश्रण के रूप में एक भाग बगीचे की मिट्टी + एक भाग बालू + दो भाग पत्तियों की खाद + एक चोताई लकड़ी का चुरा + प्रत्येक गमले में दो चम्मच हड्डी का चूर्ण मिलाना चाहिए |

इसके बाद अंतिम बार पौधो को करीब 25 सैमी के गमलो जुलाई-अगस्त के महीने में लगाना चाहिए | गमलो में मिश्रण के रूप में बगीचे की मिट्टी + एक भाग बालू + दो भाग पत्तियों की खाद + एक चोताई लकड़ी का चुरा + दो भाग गोबर की खाद + प्रत्येक गमले में दो चम्मच हड्डी का चूर्ण मिलाना चाहिए |

लगाए गए पौधो में सितम्बर महीने तक शाखीय वर्दि होती है, अतः पौधो में तरल खाद का प्रयोग करे | जबकि कल्लो से तैयार पौधो में तरल खाद अगस्त महीने से देना चाहिए |

तरल खाद बनाने के लिए एक किलोग्राम ताजा गोबर तथा एक किलोग्राम खली को 10 लीटर पानी में घोल कर एक से दो हफ्तों के लिए सड़ने के लिए रख दे, तथा इसके बाद खाद को चाय जैसा रंग देने के लिए आवश्यकता अनुसार पानी मिलाना चाहिए |

तैयार की गई तरल खाद को 10 दिन के अंतराल में प्रत्येक गमले में आधा लीटर के हिसाब से देना चाहिए, तथा जब तक पौधो में कली निकलना प्रारम्भ नहीं होती है, तब तक देना चाहिए | जब पौधो में कली निकलने लग जाए तब इस की जगह तरल खाद के रूप में उर्वरक का प्रयोग करे |

उर्वरक से तरल खाद तैयार करने के लिए 30 ग्राम अमोनियम सल्फेट, 30 ग्राम सुपर फॉस्फेट तथा 10 ग्राम पोटैशियम सलफेट को 10 लीटर पानी में घोलना चाहिए | तथा इस खाद को प्रत्येक गमले में आधा लीटर के हिसाब से 15 दिन के अंतराल से देना चाहिए |

गुलदाउदी में खाद की मात्रा बढ़ने से यह पौधो के लिए हानिकारक होता है | इस लिए पौधो में यदि खाद की मात्रा बढ़ने लगे तो खाद देना तुरंत बंद कर देना चाहिए |

सितम्बर महीने में इस बात का भी खास ख्याल रखना चाहिए की यदि गमले ऊपर से खाली दिखे तो गमलो में एक भाग बगीचे की मिट्टी + लकड़ी की राख एक भाग + सरसो या नीम की खली आधा भाग + गोबर की खाद आधा भाग मिश्रण को गमले में ऊपर से 2.5 सैमी खाली छोड़कर भर देना चाहिए | 

पौधो की देख- रेख

पौधो के अच्छे विकास एवं पैदावार के लिए पौधो की देख – रेख करना बहुत जरूरी होता है | पौधो की देख – रेख करने के लिए पौधो में सही समय पर पानी देना, खरपतवार निकालना, निराई – गुड़ाई करना, पिंचिंग करना, निस्पररोहण करना, निष्कलिकायण करना तथा पौधो को सहारा देने की आवश्यकता होती है |

गुलदाउदी में पिंचिंग (शीर्ष कर्तन)

पौधो में पिंचिंग करने के लिए पौधो के 8 से 10 सैमी के होने पर पौधो के 3 से 5 सैमी ऊपरी भाग के हिस्से को तोड़ देते है | पिंचिंग पौधो को छोटा रखने, पौधो में अधिक शाखाये विकसित करने में सहायक होती है |

गुलदाउदी में निष्प्ररोहन

यह क्रिया पिंचिंग के बाद जब पौधो में बगल की शाखाएं निकल आती है, तब की जाती है | इस क्रिया में यदि पौधे से एक फूल ही प्राप्त करना चाहते हो तो बगल की सभी शाखाएं हटा देते है केवल बिच की मुख्य शाखा रखते है | यदि अधिक शाखाओ वाला स्वस्थ पौधा तैयार करना हो तो इसके लिए स्वस्थ एक शाखा बीच में तथा दो दूसरे के अगल बगल में होनी चाहिए |

गुलदाउदी में रोग नियंत्रण

पत्ती काला धब्बा

इस बीमारी से ग्रषित पौधो की पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे बनने लग जाते है | बाद में ये धब्बे काले रंग में बदल जाते है, तथा पत्तिया पिली पड़ जाती तथा जड़ जाती जिससे अंत में पौधा मर जाता है | इस बीमारी के नियंत्रण के लिए जिनेब या डाईथेन ऍम – 45 का 400 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए |

गलना

इस बीमारी से प्रभावित पौधो की पत्तिया पहले भूरे रंग की होती है, तथा बाद में पिली पड़ जाती तथा बाद में पौधा मर जाता है | इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर डाईथेन ऍम -45 का 400 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से 15 दिन के अंतराल से छिड़काव करना चाहिए | 

चूर्णिल आसिता

इस बीमारी से ग्रषित पौधो की पत्तियों के ऊपरी भाग पर सफेद पाउडर जैसा दिखाई देता है | इस रोग की रोकथाम के लिए केराथेन 40 ई.सी. को 0.5 प्रतिशत देना चाहिए | 

गुलदाउदी में कीट नियंत्रण

एफिड

एफिड गुलदाउदी में मुख्य रूप से फूल आने के समय लगता है | एफिड पौधे के तने, पत्तियों तथा फूलो से रस चूसता है तथा हानि पहुँचता है | इसके नियंत्रण के लिए रोगोर 30 ई.सी. या मेटासिस्टोक्स 25 ई.सी. का 2 मिली लीटर एक लीटर पानी में डाल कर छिड़काव करना चाहिए |

प्लांट हॉपर

गुलदाउदी में प्लांट हॉपर के नियंत्रण के लिए रोगोर 30 ई.सी. 2 मी.ली. प्रति लीटर या प्रोफेनोफोस 25 ई.सी. 2 मी.ली. प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करना चाहिए |


Authors:

हीरा लाल अटल एवं महेंद्र मीना

बिधान चंद्र कृषि विशवविधालय,

मोहनपुर (पश्चिम बंगाल) एवं RARI दुर्गापुरा, जयपुर

Email: heera.atal93@gmail.com

 

 

 

 

 

 

 

Related Posts

गुलदाउदी की खेती की पद्धतियाँ
Chrysanthemum Cultivation Practices गुलदाउदी, जिसे अंग्रेजी में Chrysanthemum कहा जाता है,...
Read more
Pour-thru extraction step 2Pour-thru extraction step 2
pH and EC measurement of floricultural crops...
पोर थ्रू निष्कर्षण विधि का उपयोग कर फूलों की फसलों...
Read more
Post Harvest Management of Anthurium Cut-Flowers
एन्थूरीअम कट पुुुुष्‍पों का कटाई उपरांत प्रबंधन Anthurium (Anthurium andreanum) is...
Read more
Enhancement of gladiolus flower vase life with...
 ग्लेडियोलस फूल के फूलदान जीवन में वृद्धि के लि‍ए सोडियम नाइट्रोप्रससाइड...
Read more
Production technology for healthy planting material of...
6 प्रमुख कटफ्लावर की स्वस्थ रोपण सामग्री के उत्पादन की...
Read more
Improved Varieties of Rose
गुलाब उगाने के लि‍ए उन्‍नत किस्‍में  Color रंग Varieties किस्‍म 1. संकर टी...
Read more
rjwhiteclubs@gmail.com
rjwhiteclubs@gmail.com