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Early crop cultivation technique of cucurbit crops लता या बेल वाली सब्जियों जैसे लौकी, तोरई, कददू, तरबूज, खरबूजा, पेठा, खीरा, टिण्डा, करेला आदि की खेती मैदानी भागो में, गर्मी के मौसम में मार्च से लेकर जून तक की जाती है। इन सब्जियों की अगेती खेती जो अधिक आमदनी देती है, करने के लिए पॉली हाउस तकनीक में जाड़े के मौसम में इन सब्जियों की नसर्री तैयार करके की जा सकती है। पहले इन सब्जियों की पौध तैयार की जाती है तथा फिर मुख्य खेत में जड़ो को बिना क्षति पहुँचाये रोपण किया जाता है। इन सब्जियों की पौध तैयार करने से अनेक लाभ हैं जो इस प्रकार हैं। एक से डेढ़ माह...

Major insects and disease of cucurbit seed crop and their control in  बीज उत्‍पादन फसल में विभिन्‍न प्रकार के कीडों का आक्रमण होता है। कद्दू जातीय सब्‍जी फसलों में बीज उत्‍पादन के दौरान लगने वाले कीडों तथा उनका नियंत्रण कद्दू जातीय बीज फसलों के प्रमुख कीट कटवर्म:  यह कीट नन्‍हे या उगने वाले पौधों के बीजपत्रों या पोधें के शीर्ष को काट देते हैं जिससे खेत में पौधों की संख्‍या कम हो जाती है। इसके नियंत्रण के लिए बीजों की बुवाई के समय या पौध रोपाई के समय दो चम्‍मच कार्बोफ्यूरान प्रति थमला (यानि 1.5 किग्रा/हैक्‍टेयर) के हिसाब से मिलाना चाहिऐ। लाल भृंग:  यह चमकीले लाल रंग का कीट पौधे की पत्तियों को, विशेषकर प्रारम्भिक अवस्‍था में, खाकर...

ग्रीनहाउस मे बीज रहित खीरे की वर्ष भर उत्पादन प्रौद्योगिकी   साधारणत: खीरा उष्ण मौसम की फसल है। वृध्दि की अवस्था के समय पाले से इसको अत्यधिक हानि होती है। फलों की उचित वृध्दि व विकास के लिए 15-20 डिग्री से.ग्रे. का तापक्रम उचित होता है। खरबूजा व तरबूज की अपेक्षा खीरे को कम तापक्रम की आवष्यकता पड़ती है। आजकल विदेशों मे उपलब्ध किस्मों को सर्दी के मौसम मे भी ग्रीनहाउस या पोलीहाउस मे सफलता पूर्वक उगाया जा सकता है। इस प्रकार के ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस को ठण्डा या गर्म करने के आवष्यकता नही होती है तथा इस प्रकार के प्राकृतिक वायु संवाहित ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस में एक वर्ष मे खीरे...

 भूमि की उत्‍पादन क्षमता बढाने में जैव उर्वरकों का महत्‍व रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से उपज में वृद्धि तो होती है परन्‍तू अधिक प्रयोग से मृदा की उर्वरता तथा संरचना पर भी प्रतिकूल प्रभाव पडता है इसलिए रासायनिक उर्वरकों (Chemical fertilizers) के साथ साथ जैव उर्वरकों (Bio-fertilizers) के प्रयोग की सम्‍भावनाएं बढ रही हैं। जैव उर्वरकों के प्रयोग से फसल को पोषक तत्‍वों की आपूर्ति होने के साथ मृदा उर्वरता भी स्थिर बनी रहती है। जैव उर्वकों का प्रयोग रासायनिक उर्वरकों के साथ करने से रासायनिक उर्वकों की क्षमता बढती है जिससे उपज में वृद्धि होती है।  जैव उर्वक क्‍या हैं:  जैव उर्वरक जीवणू खाद है। खाद मे मौजूद लाभकारी शुक्ष्‍म जीवाणू (bactria) वायूमण्‍डल...

 उडद की उन्‍नत किस्‍में   किस्‍में Variety औसत उपज (q/ha) विवरण Characters PDU 1 (Basant Bahar) बसंत बहार 9-10 Developed by ICAR-Indian Institute of Pulses Research, Kanpur and suitable for NWPZ and CZ regions. Variety is  MYMV tolerant and  good plant type IPU 94-1 (Uttara) उत्‍तरा 12-14 Developed by ICAR-Indian Institute of Pulses Research, Kanpur and suitable for NWPZ and NEPZ regions. Variety is  MYMV tolerant and  good plant type टी-9 (T-9) 8-10 यह 70 से 75 दिन मे पकने वाली किस्‍म उत्‍तर प्रदेश के सभी भागों में उगाने के लि‍ए उपयुक्‍त है। पी यू 35 (PU-35) 10-12 यह 75 से 80 दिन मे पकने वाली किस्‍म उत्‍तर प्रदेश के सभी भागों में उगाने के लि‍ए उपयुक्‍त है। टीपीयू-4 (TPU-4) 7-13 यह किस्‍म मध्‍य क्षेत्र, मध्‍य प्रदेश, गुजरात में उगाने के लि‍ए उपयुक्‍त...

सूरजमुखी की उन्‍नत किस्‍में  Varieties प्रजाति Developed By विकसित की Average yield औसत उपज Characters गुण श्रेष्‍ठा NSFH-36 Nuziveedu Seeds 8 से 12 कुं/एकर फसल अवधि 88-93 दिन. सिंचित अवस्‍था में उत्‍पादन 8-12 q/acre तथा असिंचित अवस्‍‍था में 4-6 q/acre . पौधे की औसत लम्‍बाई 175-190 cm. Oil content 42-44%. Suitable for rabi, kharif and summer seasons. आर्ल्‍टनेरिया के प्रति सहनशील किस्‍म है। फूल पकने पर नीचे झुकजाता है जिससे पक्षियों का हमला कम होता है चित्रा Chitra JK Seeds, Hyderabad 8 से 10 कुं/एकर Duration 95-100 days in kharif and 100-105 days in rabi,Plant hight 165-170 cm. Oil content 38-40% सूर्या Surya JK Seeds, Hyderabad 9-12 कुं/एकर Duration 90-95 days in kharif and 95-100 days in rabi,Plant hight 160-175 cm. Oil content 40-42% JK 236 JK Seeds, Hyderabad - Duration...

चप्‍पन कद्दू की उन्‍नत किस्‍में  Varieties प्रजाति Developed By विकसित की Average yield औसत उपज Characters पूसा अलंकार (Pusa Alankar) भारतीय कृषि अनुसंधान संसथान 300 कुं/है. यह बहुत अगेती तथा अधिक पैदावार देने वाली संकर किस्‍म है। इसके फल पर हल्‍के रंग की धारियॉ होती हैं तथा फल गहरे हरे रंग के होतें हैं। फलों की औसत लम्‍बाई 25 से 30 से.मी.होती है तथा फल डण्‍ठल के सिरे की ओर से थोडे पतले एवं खाने में स्‍वादि‍ष्‍ट होते हैं। इसकी औसत उपज 300 कुं/है. होती है। पंजाब चप्‍पन कद्दू-1 (Punjab Chappankaddu-1) पंजाब कृषि विश्‍वविद्याल्‍ाय     ...

 सोयाबीन की उन्‍नत किस्‍में Varieties कि‍स्‍में Production पैदावार (कु/हैक्‍टे) उपयुक्‍त क्षेत्र एस-335 25-30 मध्‍य पूर्व व दक्षि‍ण क्षेत्र के लि‍ए उपयुक्‍त। 95 से 100 दि‍न मे पकती है पी के 1042 30-35 उत्‍तर भारतीय क्षेत्र के लि‍ए उपयुक्‍त। 110 से 119 दि‍न मे पकती है पी के 1029 25-30 दक्षि‍ण क्षेत्र के लि‍ए उपयुक्‍त। 90 से 95 दि‍न मे पकती है वी एल एस 47 25-30 उत्‍तर पहाडी क्षेत्र के लि‍ए उपयुक्‍त। 122 से 175 दि‍न मे पकती है एन आर सी 37 35-40 मध्‍य क्षेत्र व महाराष्‍ट्र के लि‍ए उपयुक्‍त। 96 से 101 दि‍न मे पकती है पी के 1092 30-35 उत्‍तर प्रदेश के सभी क्षेत्रो के लि‍ए उपयुक्‍त। 118 से 125 दि‍न मे पकती है एस-93-05 20-25 मध्‍य प्रदेश, उत्‍तर पश्‍चि‍मी महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, बुन्‍देलखण्‍ड व उत्‍तर प्रदेश के लि‍ए उपयुक्‍त। 90 से 95...