बायो गैस संयंत्र : ग्रामीण भारत में ऊर्जा का श्रोत

बायो गैस संयंत्र : ग्रामीण भारत में ऊर्जा का श्रोत

Bio-Gas Plant: Energry source of rural India

भारत में लगभग 250 लाख पशुधन है  जिनसे लगभग 1200 लाख टन अपशिष्ट पदार्थ का उत्पादन होता है । आम तौर पर  इस पशुधन अपशिष्ट का उपयोग खाना पकाने के ईंधन के रूप में ग्रामीण परिवारों द्वारा किया जाता है, लेकिन अभी भी पशुधन अपशिष्ट को ग्रामीणों द्वारा पूर्ण रूप से उपयोग में नहीं लिया जा रहा है ओर अपशिष्ट का एक बहुत बड़ा हिस्सा व्यर्थ हो जाता है । जो कि  बायोगैस संयंत्र द्वारा प्रभावी रूप से संसाधित (Processed) किया जा सकता है | बायोगैस संयंत्र एक ऐसा संयंत्र है जो पशुधन अपशिष्ट का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करता है ओर साथ ही साथ ग्रामीण भारत के लिए ऊर्जा का उत्पादन करता है ।

बायो गैस (Bio-Gas)

बायोगैस ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत के रूप में लोकप्रिय है ।बायोगैस (Biogas) वह गैस मिश्रण है जो आक्सीजन की अनुपस्थिति में जैविक सामग्री के विघटन से उत्पन्न होती है। यह सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की तरह ही नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। यह पशुओं और स्थानीय रूप से उपलब्ध अपशिष्ट पदार्थों से पैदा की जा सकती है। जो विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रो में खाना पकाने और प्रकाश व्यवस्था के लिए ऊर्जा की आपूर्ति को पूरा करता है, साथ ही बायोगैस तकनीकी अवायवीय पाचन (anaerobic digestion) के बाद उच्च गुणवत्ता  वाला खाद प्रदान करता है जो कि सामान्य उर्वरक की तुलना से बहुत अच्छा होता है । इस प्रौद्योगिकी के माध्यम से वनों की कटाई को रोका जा सकता है और पारिस्थितिकी संतुलन (ecological balance) को प्राप्त किया जा सकता है |

चूंकि इस उपयोगी गैस का उत्पादन जैविक प्रक्रिया (बायोलॉजिकल प्रॉसेस) द्वारा होता है, इसलिए इसे जैविक गैस भी  कहते हैं। बायोगैस विभिन्न घटकों का एक मिश्रण है (प्रत्येक घटक की प्रतिशत मात्रा फीड स्टॉक के प्रकार पर निर्भर होती है) | जो 1 तालिका में दिखाया जाता है:

तालिका 1: बायोगैस के संघटक

पदार्थ (Substance)

प्रतिशतमात्रा

मीथेन (CH4 )

55-75

कार्बन डाइऑक्साइड  (CO2)

25-50

हाइड्रोजन  (H2 )

0-3

नाइट्रोजन  (N2 )

1-5

हाइड्रोजन सल्फाइड (H2 S)

0.1-0.5

कार्बन मोनोआक्साइड (CO)

0-0.3

ऑक्सीजन (O)

0-0

 

बायो गैस संयंत्र के भाग 

डाइजेस्टर :

डाइजेस्टर , बायोगैस संयंत्र का महत्वपूर्ण भाग है जो धरातल के नीचे बनाया जाता है एवं बीच में एक विभाजन दीवार से दो कक्षों में बांटा जाता है । इसमें गोबर व पानी के घोल का किण्वित (fermentation) होता है ।

मिक्सिंग टैंक :

मिक्सिंग टैंक का उपयोग गोबर या अन्य कोई अपशिष्ट को पानी के साथ अच्छी तरह  मिक्स करने के लिए होता है । बाद में इस मिश्रण को डाइजेस्टर में प्रवाह कर देते है ।

गैस डोम :

डोम एक स्टील ड्रम के आकार का होता है जिसे डाइजेस्टर पर उल्टा फिक्स किया जाता है साथ ही इस बात का ध्यान रखा जाता है की डोम ऊपर या नीचे की दिशा में आसानी से फ्लोट हो सके । डोम के शीर्ष में एक गैस होल्डर लगा होता है जो पाइप द्वारा स्टोव से जुडा होता है । जब गैस बनाना प्रारंभ होती है तो सबसे पहले डोम में एकत्रित होती है एवं बाद में होल्डर द्वारा स्टोव तक पहुचती है ।

ओवर फ्लो टैंक :

यह टैंक डाइजेस्टर में किण्वित (fermentation) हुए  घोल को बहार निकालने के काम आता है। 

वितरण  पाइप लाइन

गैस जरुरत की जगह पर वितरण करने के लिए इसका उपयोग करते है । प्रयास यही किया जाता है कि वितरण पाइप लाइन ज्यादा  लम्बी न हो ।

बायो गैस डाइजेस्टर (फीडिंग आधारित)

डाइजेस्टर बायोगैस संयंत्र का महत्वपूर्ण भाग है जहां अवायवीय प्रक्रिया (anaerobic process) होता है जिसके फलस्वरूप बायोगैस का उत्पादन होता है । फीडिंग के आधार पर बायोगैस डाइजेस्टर को दो भागो में बाटा गया है (1) बैच डाइजेस्टर (Batch digester) (2) प्रवाह -माध्यम डाइजेस्टर (Flow-Thru digester)

1. बैचडाइजेस्टर (Batch digester):  बैच डाइजेस्टर को प्रारम्भ करने के लिए बहुत अधिक मात्रा में स्लरी और मजदूरो की आवश्यकता होती है । एक बार स्लरी भरने के बाद इसको बंद कर देते है ओर तब तक उपयोग करते है जब तक कि दुबारा भरने की जरुरत न हो । इसको 2 – 3 महीने के अन्तराल में खाली और भरा जाता है । 

2. प्रवाह -माध्यमडाइजेस्टर (Flow-Thru digester): इसमें स्लरी को नियमित रूप से डाइजेस्टर में मिलते रहते है । इस डाइजेस्टर  के संचालन  के लिए भी बहुत अधिक मात्रा में स्लरी और मजदूरो की आवश्यकता होती है । परन्तु इसमें एक बार मीथेन गैस उत्पादन होने के बाद हर रोज़ डाइजेस्टर में स्लरी को मिलाना आवश्यक होता है।

बायो गैस डाइजेस्टर के प्रकार  (उनके निर्माण के आधार पर)

फिक्स्ड डोम टाईप डाइजैस्‍टर  (Fixed dome type):

यह डाइजेस्टर एक बंद गुंबदनुमा (Dome) संरचना का होता है इसका निर्माण धरातल के भीतर स्थाई रूप से जाता है । गैस डाइजेस्टर के ऊपर के भाग में एकत्रित होती है । जब गैस धीरे – धीरे ऊपर के भाग में एकत्रित होने लगती है तो डाइजेस्टर में गैस दबाव बढ़ता, इसलिए डाइजेस्टर की क्षमता 20 घन मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए.

फिक्स्ड डोम टाईप डाइजैस्‍टर

चित्र 1: फिक्स्ड डोम प्रकार

फ्लोटिंग ड्रम टाईप डाइजेस्‍टर (Floating DrumType):

इस तरह के डाइजेस्टर में ड्रम (गैस होल्डर) स्लरी के ऊपर फ्लोट करता रहता है । गैस ड्रम के ऊपरी भाग में एकत्रित होती है । जैसे-जैसे गैस का दबाव बढता है ड्रम ऊपर की तरफ होने लगता है । परन्तु जैसे-जैसे गैस कम होने लगती है  है ड्रम नीचे की तरफ आने लगता है ।

 फ्लोटिंग ड्रम टाईप डाइजेस्‍टर

चित्र 2: फ्लोटिंग ड्रम प्रकार

          (Source (fig. 1&2):http://educationalelectronicsusa.com/c/fuels-II.htm)

बायो गैस संयंत्र डिजाइन और स्थापित करने के लिए आवश्यक पैरामीटर

  • परिवार में सदस्यों की संख्या, दैनिक खाना पकाने मात्रा एवं प्रकाश (lighting) आवश्यकता
  • पशुओं की उपलब्धता और उनकी नस्ल
  • पर्याप्त पानी संयंत्र के पास उपलब्ध होना चाहिए
  • निर्माण सामग्री साइट पर आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए

बायो गैस उत्पादन को प्रभावित करने वाले कारक

1.  तापमान:

बायोगैस सयंत्र में  बैक्टीरिया उत्पादन तापमान से प्रभावित होता है । बायोगैस किण्वन (fermentation ) 0 से 700C  तापमान में हो सकता है, परन्तु प्रभावी मीथेन उत्पादन तापमान  250C से 400C तक होता है एवं  अधिकतम मीथेन उत्पादन 350C तापमान पर होता है 

 तालिका 2: विभिन्न तापमान पर बायोगैस  उत्पादन

तापमान (oC)

बायोगैसउत्पादन (m3/1 ton of dung/day)

15

0.150

20

0.300

25

0.600

30

1.000

35

2.000

40

0.700

45

0.320

 

2. PH मात्रा :  

मेथेनोजेनिक बैक्टीरिया को प्राकृतिक पर्यावरण की आवश्यकता होती है  इसिलए PH की मात्रा 6.5 से 8.0 की बीच होनी  चाहिए |

तालिका 3: मीथेन उत्पादन पर पीएच का प्रभाव

PH मात्रा 

From

5

6

7

8

9

10

To

6

7

7

7.5

7

7

बायोगैसउत्पादन

 

12.7

 

14.8

 

22.5

 

24.6

 

17.8

10.2

3. सामग्री का प्रवाह एवं जल मिश्रण :  

बायोगैस के उत्पादन में जल, कार्बनिक पदार्थ के किण्वन के लिए आवश्यक है । मिश्रण में एक भाग पशु खाद और पांच भाग पानी का मिलाते है ।  ऐनरोबिक डाइजेशन के लिए C/N अनुपात 1:20  से 1:30 उपयुक्त माना जाता है | जबकि 1:33 का C/N अनुपात इष्टतम है । और यह अनुपात 1:35 से अधिक नहीं होना चाहिए । 

4. प्रतिधारणसमय (Retention Time):

यह समय तापमान के साथ बदलता रहता है । उच्च तापमान पर प्रतिधारण समय कम होता है व कम तापमान में अधिक होता है । बायोगैस उत्पादन के लिए आदर्श प्रतिधारण समय 10 दिन का है जिसके लिए तापमान 350 होना चाहिए । 

तालिका 4: प्रतिधारण समय (Retention Time)

तापमान (0C)

न्यूनतम प्रतिधारण समय (दिन)

आदर्श प्रतिधारण समय (दिन)

20

11

28

25

8

20

30

6

14

35

4

10

40

4

10

 

 बायो गैस संयंत्र के लाभ

  • यह गैस पर्यावरण के अनुकूल है एवं ग्रामीण क्षेत्रो के लिए बहुत उपयोगी है ।
  • यह तकनीकी पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद करती है । 
  • बायोगैस की उपलब्धता से खाना पकाने में लगने वाली लकड़ी के उपयोग को कम कर सकते है फलसवरूप पेड़ों को भी बचाया जा सकता है । 
  • इसके उत्पादन के लिए  कच्चे माल की आपूर्ति गाँवो से ही पूरी हो जाती है । कही ओर से कच्चे माल को आयात करने की आवश्यकता नहीं है ।
  • लकड़ी और गोबर के चूल्हे में बहुत धुआं निकलता है जो गृहणियो के स्वस्थ के लिए बहुत हानिकारक होता है । परन्तु इस तकनीकी में धुआं नहीं निकलता है जिससे स्वस्थ संबंधी बीमारियों के रोकथाम में सहायता मिलती है ।
  • यह सयंत्र बायोगैस के साथ-साथ फसल उत्पादन के लिए उच्च गुणवता वाला  खाद भी हमें देता है ।  जिसे तालिका 5 में दर्शाया गया है 

तालिका 5: खाद की गुणवता

खादप्रकार

(Manure type)

नाइट्रोजन

(Nitrogen %)

पोटैशियम

 (Potassium %)

फ़ास्फ़रोस

 (Phosphorous %)

फार्म की खाद (Farm yard manure)

0.5-1

0.5-0.8

0.5-1

डाइजेस्टर स्लरी तरल (Digested slurry (Liquid))

1.5-2

1

1

डाइजेस्टर स्लरी सूखी Digested slurry (Dried)

1.3-1.7

0.85

0.85

बायो गैस संयंत्र की सीमाएं

  • यह प्रतिदिन कम के बोझ को बड़ा देता है ।
  • संयंत्र के पास प्रर्याप्त मात्रा में पानी की उपलब्धता होनी चाहिए । 
  •  निर्माण सामग्री साइट पर आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए । अन्यथा स्थापित करने में समय एवं धन का व्यय बढ जायेगा । 
  • बायो गैस संयंत्र केवल उस दशा में घर में स्थापित किया जा सकता है जब दैनिक गोबर की आपूर्ति के लिए प्रर्याप्त पशुओं की संख्या हो ।
  • बायोगैस उत्पादन के तापमान पर निर्भर होने के कारण, यह उन क्षेत्रो में उपयोगी नहीं है जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से  2,000 मीटर से अधिक है ।

Authors:

Alok Gora

Assistant Professor, Department of Agricultural Engineering

C.P. College of Agriculture, SDAU, S.K. Nagar, Dantiwada, Pin: 385506

Email: alok.gora@gmail.com

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