Crop disease

ईसबगोल के प्रमुख कीट एवं रोग प्रबन्धन ईसबगोल एक महत्वपूर्ण नगदी औषधीय फसल है। इस फसल में कीट एवं रोगों का प्रकोप यदि कम होता है, परन्तु इसमें मुख्य रूप से कीटों में माहू (मोयला) एवं दीमक नुकसान पहुचाते हैं और रोगों में मृदु रोमिल फफूंद प्रमुख है। इन नाशीजीवों के जीवन चक्र के बारे में सही पता कर इसे समय पर रोकथाम कर अधिक उच्च गुणवता वाला उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। भारत का स्थान ईसबगोल उत्पादन एवं क्षेत्रफल में प्रथम है। भारत में इसका उत्पादन प्रमुख रूप से गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तारप्रदेश एवं मध्यप्रदेश में करीब 50 हजार हेक्टयर में हो रहा हैं। म.प्र. में नीमच, रतलाम, मंदसौर,...

6 Major diseases and management of cole crop गोभी वर्गीय फसलें यानि की बंदगोभी, फूलगोभी, ब्रोकली, गाँठगोभी तथा ब्रुसेल्स स्प्राउट भारत में सर्दियों की सबसे प्रमुख सब्जियां हैं। गोभी वर्गीय सब्जियों के प्रमुख रोग जैसे मृदुरोमिल आसिता, आर्द्र पतन, काले सड़न या ब्लैक रूट, विगलन, स्क्लेरोटिनिया तना सड़न रोग एवं अल्टरनेरिया काला धब्बा रोग जैसी कई बीमारियों का प्रकोप होता है, जिससे कुल उपज में 30 से 40 प्रतिशत से अधिक की हानि होती है। 1. मृदुरोमिल आसिता (डाउनी मिल्डयू): यह एक प्रमुख कवक रोग है, जो पैरोनोस्पोरा पैरासिटिका की वजह से उत्पन्न होता है। इस रोग के लक्षण पत्तिायों की निचली सतह पर बैंगनी, भूरे धब्बों का पड़ना है। इन धब्बों पर ऊपरी सतह में...

गुलदाउदी रतुआ और उसका प्रबंधन Chrysanthemum (Chrysanthemum morifolium) is a commercial ornamental crop grown for its beautiful flowers used either in garland making or in landscape. There are 200 species of Chrysanthemum grown around the world. Major chrysanthemum growing states in India are Karnataka, West Bengal, Maharashtra, Tamil Nadu, Punjab, Rajasthan, Gujarat and Himachal Pradesh. Chrysanthemum is affected by many pathogens viz. white rust, stem blight, wilt and crown gall. The rust disease is becoming serious problem of late.In this article rust diseases of chrysanthemum, their symptoms, epidemiology and management measures are discussed. In chrysanthemum two different types of rust disease are observed. White rust is caused by Puccinia horiana & Brown rust...

मक्का में फॉल आर्मीवर्म प्रबंधन  Agriculture often faces new threats from invasive alien insect pests, pathogens, weeds etc requiring immediate attention and co-operative action to manage the pestilence. Fall Army Worm (Spodoptera frugiperda) pose a serious threat to global agriculture and reduced production and productivity. In this regard, the fall army worm (FAW) is a notorious pestiferous insect with high dispersal ability, wide host range and high fecundity that make it one of the most severe economic pests. In January 2019, first time appearance of new invasive agriculture pest infestation of fall army worm in maize cultivars 502 and 9081  at farmers field in  Raigarh district of Chhattisgarh. Identification of fall armyworm...

Protection of Sugarcane Crop from Fall Armyworm  फाॅल आर्मी वर्म नामक कीटका बिहार में कुछ दिनों से मक्के की फसल पर प्रकोप देखने को मिल रहा है। साथ ही यह भी सम्भावना है कि मक्का फसल की कटाई के बाद भोजन की अनुउपलब्धता में गन्ने की फसल पर इसका प्रकोप हो सकता है। अतः किसान भाईयों (विशेषकर गन्ना उत्पादकों) से  अनुरोध है कि गन्ना फसल की लगातार निगरानी करते रहें जिससे समय रहते आवश्यक कदम उठाया जा सके। सर्वप्रथम यह कीट सन् 2015 में अमेरिका में मक्का, धान एवं गन्ना पर पाया गया था एवंइनके अलावा इस कीट के परपोषी पौधे घास कुल के अन्य सदस्य भी हैं। सन् 2017 के अंत तक...

Precaution before use of pesticides विभिन्न प्रकार की फसलों, सब्जियों, एवं फलों के पेड़ों पर कई प्रकार के कीट आक्रमण करते हैं तथा उन कीटो को नष्ट करना आवश्यक होता है अन्यथा वे संपूर्ण फसल को खराब कर सकते हैं। इन कीटों को नष्ट करने हेतु कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल आजकल बहुतायत से किया जाता है यह कीटनाशक दवाइयां विषैले पदार्थों की श्रेणी में आती है कीटनाशक दवा का छिड़काव करते समय कुछ सावधानियां रखना आवश्यक है जिससे कीट भी नष्ट हो जाये और उसका दुष्प्रभाव मनुष्य अथवा जानवरों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से न पड़े। इन कीटनाशक दवाइयों का शरीर में प्रवेश कर जाने पर लकवा या अन्य भवकर रोग...

Karnal Bunt Disease of Wheat गेहूँ का यह रोग सर्वप्रथम 1931 में करनाल (हरियाणा) से रिपोर्ट किया गया था तथा वर्तमान में विश्व के अन्य देशों में भी पाया जाता है | भारत में यह रोग अधिक तापमान तथा उष्ण जलवायु वाले राज्यों जैसे कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात तथा मध्यप्रदेश में नहीं पाया जाता। भारत के अपेक्षाकृत ठंडे प्रदेशों जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के मैदानी इलाके पंजाब, हरियाणा,उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी राजस्थान में गेंहू की फसल मे करनाल बंट रोग का प्रकोप अधि‍क होता है | करनाल बंट रोग से हर वर्ष गेहूं की खेती करने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है । वैज्ञानिकों ने गेहूं में करनाल बंट रोग...

Late Blight Disease of Potato भारत में रबी में उगाई जाने वाली आलू एक महत्त्वपूर्ण फसल है| उत्तरप्रदेश के जनपद कानपुर क्षेत्र कन्नौज, फर्रुखाबाद, आगरा, इटावा, फिरोजाबाद, हाथरस, मथुरा, बदायूं, मेरठ, हापुड़, अलीगढ, आदि जनपदों आलू की खेती व्यापक तौर पर  की जाती है| आलू उत्पादन में उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य है, जो भारत के  कुल उत्पादन का  23.29 % है| आलू का लगभग सभी परिवारों में किसी न किसी रूप में इस्तेमाल किया जाता है | आलू कम समय में पैदा होने वाली फसल है | इसमें स्टार्च, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन विटामिन-सी व खनिज लवण भरपूर मात्रा में होने के कारण इसे कुपोषण की समस्या के समाधान का एक अच्छा साधन माना जाता...

Locust outbreaks and their control विश्व में मनुष्य से भी पहले कीटों का अस्तित्व रहा है। वे जमीन के नीचे से लेकर पहाड़ी की चोटी तक सर्वव्या‍पी हैं। कीट मनुष्य की जिंदगी से बहुत अधिक जुड़े हुए हैं। इनमें से कुछ मनुष्यों के लिए लाभदायक हैं और कुछ बहुत अधिक हानिकारक हैं। कृषि‍ के लि‍ए हानि‍कारक कीटों मे से एक रेगिस्तानी टिड्डी है जो विश्व में सबसे अधिक हानिकारक कीट है। टिड्डियां अनंतकाल से ही मनुष्य के लिए संकट बने हुए हैं। टिड्डियां छोटे सींगों वाले प्रवासी फुदके होते हैं जिन पर बहुत से रंगों के निशान होते हैं और ये बहुत अधिक भोजन खाने के आदी होते हैं। ये झुंड (वयस्क समूह)...

Major diseases of Sorghum and Millet and their management ज्वार भारत की एक महत्वपूर्ण खाद्य और चारा फसल है। जवार में अन्न-कंड, अरगट (गदाकरस), एन्थे्रकनोज (काला धब्बा रोग) इत्यादी अधिक हानिकारक है। इसलिए इन रोगों का नियंत्रण आवष्यक है। (1) अन्न कंड (ग्रेइन स्मट) रोगजनक: स्फासेलोथेका सोर्गी (लिंक) यह रोग सभी कंड रोगों में सबसे अधिक हानिकारक है, जिससे पूरे भारत में अनाज की उपज को अत्याधिक नुकसान होता है। यह रोग ज्यादातर बरसाती और सिंचित ज्वार मे पाया जाता है। रोग के लक्षण: यह रोग केवल दाने बनने के समय में आता है। रोग ग्रस्त बालियों में कुछ दाने सामान्य दाने से बडे होते है। जब रोग की तीव्रता बढ जाती है उस वक्त...