Seed production

Potential for potato seed production in Gwalior-Chambal area of Madhya Pradesh सफलतापूर्ण आलू उत्पादन हेतु गुणवत्ता युक्त बीज एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अवयव है। गुणवत्तायुक्त बीज के अभाव की पहचान सम्पूर्ण विश्व में आलू उत्पादन में बाधक एक अत्यन्त महत्वपूर्ण कारक के रूप में हुई है। विशेषकर विकासशील देशों में गर्म जलवायु के कारण, आलू बीज एक अत्यन्त खर्चीली उत्पादक सामग्री है जो कि कुल उत्पादन लागत का 40 से 50 प्रतिशत तक होता है। भारत में लघु एवं सीमान्त कृषकों को गुणवत्तायुक्त बीज की अनुउपलब्धता के कारण विकसित देशों की तुलना में उत्पादकता निम्न है। कि‍सानों से प्राप्त बीज की तुलना में उत्तम गुणवत्तायुक्त बीज उपयोग करने से औसत उपज में 30 से...

Discussion on Conventional and Improved Techniques of Potato Seed Production आलू बीज उत्पादन हेतु वर्तमान में विश्व भर में  अनेक प्रवर्धन तकनीक उपयोग में लायी जा रही हैं। जिनमें मुख्यत: परम्परागत आलू बीज उत्पादन, ऊतक प्रर्वधन द्वारा आलू बीज उत्पादन (सूक्ष्म प्रवर्धन), हाइड्ररोफोनि‍क, ऐरोपोनिक ,  बायोरिएक्टर एवम्  एन.एफ.टी. आलू बीज उत्पादन तकनीक हैं। बीज उत्पादन की परम्परागत तकनीक (सूक्ष्म प्रवर्धन) , ऊतक प्रर्वधन तकनीक एवम् ऐरोपोनिक तकनीक केन्द्रीय आलू अनुसन्धान संस्थान, शिमला द्वारा विकसित की गयी हैं ।  विकासशील दशों के अधिकाशत: कृषक जो कि आलू बीज उत्पादन से जुडे हैं वे बीज उत्पादन की परम्परागत प्रणाली से प्राप्त आधार बीज को गुणन हेतु उपयोग में लाते हैं। उन्‍नत तकनीक विधि से आलू बीज बनाने में...

भि‍ण्‍डी की फसल में  संकर बीज का उत्पादन करने की वि‍धि‍।  Okra commonly known as ‘bhendi’ or lady’s finger is native of tropical Africa, Okra is widely cultivated in Andhra Pradesh, West Bengal, Bihar, Orissa, Maharashtra, and Gujarat are important okra producing states of India. Okra belongs to family Malvaceae with 2n=8x=72 or 144 chromosomes and is polyploidy in nature.  It is often pollinated crop. Hybrid Seed Production of Okra The most productive and desirable hybrid seed obtained from the female parent when there is a perfect coincidence of stigma receptiveness and pollen viability. Pollination The transfer of pollen from male parent to female parent is called as pollination. The just opened flowers were picked from...

Safe storage of seeds भारत  एक कृषि प्रधान देश हैं जिसकी अधिकांश जनसंख्यां गांवों में रहती है और कृषि पर निर्भर है। एक किसान औसत 70 प्रतिशत अनाज भोजन, बीज, एवं बिक्री के लिये भण्डारित करते है और भण्डारण के दौरान, अनाज की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में कमी आती है । इस गुणवत्ता को फसल कटाई के बाद बीजों को कम नमी और कम तापमान पर रखने से काफी समय तक रोका जा सकता है । लेकिन बीजों के भण्डारण के स्थान पर जहाँ अधिक नमी हो तो, बीज में कई प्रकार के कीट व कवकों का बीज पर आक्रमण हो जाता है I इससे बीजों की गुणवता को बहुत ज्यादा...

  Quality Seed Production Technology of Wheat भारत वर्ष की खाद्यान्न फ़सलों में गेहूँ एक महत्वपूर्ण रबी फ़सल है । यह विश्व मे ऊगाये जाने वाली फ़सलों मे मक्का के बाद दूसरा स्थान रखता है। भारत, चीन के बाद विश्व में गेहूँ का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत मे गेहूँ की खेती पारम्परिक रुप से उत्तरीय भाग मे की जाती है। पंजाब, उत्तरप्रदेश एवं हरियाणा गेहूँ की खेती मे अग्रणीय है। सम्पूर्ण खाद्यान उत्पादन मे गेह्ँ की 35.5 % भागीदारी है, जब कि कुल खेती योग्य क्षेत्र का 21.3 % भाग गेहूँ कि खेती मेउपयोग होता है। उन्नत एवं गुणी बीजों ने,प्राचीन काल से  ही कृषि के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका...

Tomato crop and it's seed production technologies टमाटर हिमाचल प्रदेश की एक प्रमुख नकदी सब्जी फसल है । टमाटर की खेती पर्वतीय क्षेत्रों में गी्रष्म-बर्षा ऋतु में होने के कारण टमाटर का उत्पादन पूर्ण रूप से मैदानी क्षेत्रों के लिए बेमौसमी होता है जिससे पर्वतीय किसानों को अधिक लाभ मिलता है । परन्तु पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी उत्पादकता अन्य राज्यों की तुलना में अपेक्षाकृत काफी कम है । गुणवता युक्त बीजों की समय पर तथा दुर्गम स्थानों पर अनुपलब्धता, उत्पादन एवं उत्पादकता कम होने का एक प्रमुख कारण है । ऐसी स्थिति में किसान यदि स्वयं ही टमाटर की खेती व बीज का उत्पादन करें तो गुणवत्ता वाले बीज की कमी को काफी...

Capsicum (Shimla mirch) seed production technique  उत्तम बीज उत्‍पादन, सब्जी उधाोग का प्रमुख आधाार है।  सब्जी बीज उत्पादन एक विशिष्ट एवं तकनीकी कार्य है और बहुत कम किसान बीज उत्पादन क्षेत्र में कुशल और प्रशिक्षित होते है। इसी लि‍ए देश मे उच्च कोटि के बीज की प्रयाप्‍त उपलब्‍ध्‍ता नही रहती। फलदार सब्जियों में शिमला मिर्च का एक विशिष्ट स्थान है। हमारे देश में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे शिमला मिर्च, कैप्सिकम (capsicum), स्वीट पेपर, सागिया मिर्च, वैजिटेबिल पैपरिका आदि। शिमला मिर्च का बीजोत्पादन कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड एवं जम्मू कश्मीर में अधिाक होता है । शि‍मला र्मि‍च के आनुवंशिक शुध्दता, उचित अंकुरण क्षमता, रोगाणुओं से मुक्त स्वस्थ बीज को पैदा करने के लिये...

Potato seed certification method राष्ट्रीय बीज गुणन पोलिसी के अनुसार बीज गुणन प्रावस्थाओं को तीन वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। i) प्रजनित या मूल बीज ii) आधार बीज-I व II iii) प्रमाणित बीज । प्रमाणित बीज के बारे में यह माना जाता है कि यह बीज मिलावट रहित शुद्ध एवं रोग मुक्त होता है जिनमें रोग और कीटों के प्रति सहनशीलता होती है। जबकि आधार बीज-1 और आधार बीज-2 तथा प्रमाणित बीज की विषाणु रोगों, विजातीय किस्मों, कन्द जनित रोगों और ग्रेड सम्बन्धित सीमाओं का निर्धारण भारत सरकार द्वारा तय होता है। प्रजनित बीज की माँनीटरिंग का कार्य तो प्रमाणीकरण एजेन्सियां करती हैं किन्तु यह एजेन्सियां बीज का प्रमाणीकरण नहीं करतीं। भारत...

गेंहूं का बीज उत्‍पादन The production of wheat crop for seed purpose requires almost similar agronomic operations as are used for grain crop production. However, seed production differs from normal grain production on the issues of isolation requirements, rouging and special attention in carrying operations of harvesting, threshing and storage. Moreover, for seed production one has to follow the specific guidelines issued by the seed certification Agency for ensuring specific field and seed standards which include a) seed multiplication b) Isolation requirements c) Roguing and d) Field inspection. Wheat Seed Multiplication: To maintain the genetic purity of the seed, a generation system of seed production is followed. In wheat seed production, In India usually...

Importance of Aeroponic System in Potato Seed Production आलू के उत्पादन में बीज आलू का सबसे ज्यादा महत्व होता है, क्योंकि कुल लागत का लगभग 50 प्रतिशत भाग बीज आलू का ही होता है। इसकी फसल एक संतति से दूसरे संतति में उसके वानस्पतिक कंदों द्वारा ही तैयार की जाती है, जिसके कारण बीज द्वारा विषाणु एवं फफूंद जनित बीमारियों के फैलने की बहुत अधिक सम्भावनाएं रहती हैं। पारंपरिक बीज आलू पैदा करने की विधि यूं तो बहुत विशवसनीय है परन्तु इस विधि द्वारा पैदा किये गये बीज को किसानों तक पहुंचाने में सात से आठ साल लग जाते हैं। इस दौरान अक्सर बीज में कई तरह के रोग लगने का डर...