Sarpgandha cultivation technique

सर्पगंधा का पौधा
सर्पगन्‍धा एक अत्‍यन्‍त उपयोगी पौधा है। यह 75 सेमी से 1 मीटर ऊचाई तक बढता है। इसकी जडे स‍िर्पिल तथा 0.5 से 2.5 सेमी व्‍यास तक होती हैं तथा 40 से 60 सेमी गहराई तक जमीन में जाती हैं। इसपर अप्रैल से नवम्‍बर तक लाल सफेद फूल गुच्‍छो मे लगते है। सर्पगंधा की जडों मे बहुत से एल्‍कलाईडस पाए जाते है जिनका प्रयोग रक्‍तचाप, अनिद्रा, उन्‍माद, हिस्‍टीरिया आदि रोगों के उपचार में होता है। इसका उपयोगी भाग जडें ही है। सर्पगंधा 18 माह की फसल है। इसे बलुई दोमट से लेकर काली मिट्टी मे उगाया जा सकता है।

सर्पगन्‍धा उगाने के लिए खेत की तैयारी:

जडों की अच्‍छी वृद्धि के लिए मई माह में खेत की गहरी जुताई करें तथा खेत को कुछ समय के लिए खाली छोड दें। पहली वर्षा के बाद खेत में 10-15 गाडी प्रति हैक्‍टेयर के हिसाब से गोबर की डालकर फिर से जुताई कर दें। पटेला से खेत एकसार करने के बाद उचित नाप की क्‍यारियॉ तथा पानी देने के लिए नालियां बना दें। सर्पगंधा को बीजों के द्वारा अथवा जड, स्‍टम्‍प या तने की कटिगं द्वारा उगाया जाता है। सामान्‍य पी एच वाली जमीन से अच्‍छी उपज प्राप्‍त होती है।

सर्पगन्‍धा की बीज द्वारा बुआई:

अच्‍छे जीवित बीजों को छिटक कर बाया जा सकता है। अच्‍छे बीजों के चुनाव के लिए उन्‍हें पानी में भिगो कर भरी बीज (जो पानी में बैठ जाऐं) तथा हल्‍के बीजों को अलग कर दिया जाता है। भारी बीजों को बोने के लिए 24 घंटे बाद प्रयोग करते हैं। सर्पगंधा के 30 से 40 प्रतिशत बीज ही उगते हैं इसलिए एक हैक्‍टेयर मे करीब 6-8 किलो बीज की आवश्‍यकता होती है। इसका बीज काफी महंगा होता है अत: पहले नर्सरी बनाकर पौध तैयार करना चाहिए। इसके लिए मई के पहले सप्‍ताह मे 10 गुणा 10 मीटर की क्‍यारीयों मे पकी गोबर की खाद डालकर छायादार स्‍थान पर पौध तैयार करनी चाहिए। बीजों को 2 से 3 सेमी जमीन के नीचे लगाकर पानी लगाते हैं। 20 स 40 दिन के अन्‍दर बीज उपजना शुरू हो जाते है। मध्‍य जुलाई मे पौधे खेतो में रोपण के लिए तैयार हो जाते हैं। 

सर्पगन्‍धा की जडों द्वारा बुआई:

लगभग 5 सेमी जड कटिंग को फार्म खाद (FYM) मिट्टी व रेत मिलाकर बनाई गई क्‍यारियों में बसंत ऋतू में लगायी जाती हैं इसे उच्ति मात्रा में पानी लगा कर नम रखा जाता है। जीन स्‍म्‍ताह में जडों से किल्‍ल्‍े फूटने लगते हैं। इनको 45X30 सेमी दूरी पर रोपित किया जाता है। एक हैक्‍टेयर के लिए लगभग 100 किग्रा जड कटिंग की आवश्‍यकता होती है। 

Roots of Sarpgandha

Roots of Sarpagandha


सर्पगन्‍धा की तने द्वारा बुआई:

तना कटिंग 15 से 22 सेमी को जून माह में नर्सरी में लगाते हैं। जब जडें व पत्तियां निकल आए तथा उनमें अच्‍छी वृद्धि होने लगे तो कटिंग को निकालकर खेतों में लगाया जा सकता है। 

सर्पगन्‍धा में खाद तथा सिचाई:

करीब 20 से 25 टन कम्‍पोस्‍ट खाद प्रति हैक्‍टेयर से अच्‍छी उपज प्राप्‍त होती है। वर्षा के दिनों में कम पानी तथा गर्मियों में 20 से 30 दिन के अन्‍तर से पानी लगाना चाहिए। 

फसल प्रबन्‍धन:

सर्पगंधा की फसल 18 महीने में तैयार हो जाती है। जडों को सावधानी से खोदकर निकाला जाता है। बडी व मोटी जडों को अलग तथा पतली जडों को अलग करतें हैं तथा पानी से धोकर मिट्टी साफ करनी चाहिए। फिर 12 से 15 सेंमी के टुकडे काटकर सुखा दें। सूखी जडों को पॉलिथीन की थैलियों में सुरक्षित रखा जाता है। 

सर्पगन्‍धा की उपज व आय:

अन्‍दाजन एक एकड से 7-9 क्विंटल शुष्‍क जडें प्राप्‍त हो जाती है। सूखी जडों का बाजार भाव लगभग 150 रूपये प्रति किलो है। चूकि यह जगलों से तेजी से विलुप्‍त हो रही है तथा इसका प्रयोग बढ रहा है अत: इसके बाजार भाव में लगातार तेजी की उम्‍मीद है।


नोट: औषधीय पौधों के बाजार भाव में उतार चढाव बहुत होते हैं अत: आय व्‍यय में फर्क हो सकता है।
स्रोत:- राष्‍ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड, www.nmpb.nic.in, www.indianmedicine.nic.in