भारत में बोई जाने वाली चनें की उन्नत किस्में:
Varieties | Institute | Yield (q/ha) | Characters |
देशी किस्में | |||
पूसा 09 Pusa 209 |
भा.कृ.अ.सं. | 22-30 | पंजाब, हरयाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उ.प्रदेश, प.बंगाल तथा बिहार के सिंचित व बारानी क्षेत्रों के लिए उत्तम किस्म है। |
पूसा 212 Pusa 212 |
भा.कृ.अ.सं. | 18-28 | मध्य भारत यानि राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश के बारानी क्षेत्रों के लिए सर्वोत्तम एक उकठा (wilt resistent) रोग रोधी किस्म है। |
पूसा 240 Pusa 240 |
भा.कृ.अ.सं. | उ.प्रदेश, प.बंगाल तथा बिहार के सिंचित व बारानी क्षेत्रों के लिए उत्तम किस्म है। | |
पूसा 244 Pusa 244 |
भा.कृ.अ.सं. | 18-26 | मध्य भारत के राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश राज्यों के लिए अच्छी किस्म है । यह उकठा (wilt) तथा तना गलन (stemrot) रोधी, बडे दाने बाली किस्म है। |
पूसा 256 Pusa 256 |
भा.कृ.अ.सं. | 22-30 | समस्त भारत के सिंचित व बारानी क्षेत्रों तथा सामान्य या देरी से बुआई के लिए उत्तम किस्म है । इसके दाने बहुत बडे होते हैं। |
पूसा 261 Pusa 261 |
भा.कृ.अ.सं. | 18-27 | पंजाब, हरयाणा, राजस्थान, उ.प्रदेश, तथा बिहार के लिए देर से बुआई व अंत: फसलों के लिए उत्तम किस्म है। यह अंगमारी रोगावरोधी, सुनहरे पीले दाने वाली, अर्धचंद्राकार व मध्यम लम्बी किस्म है। |
पूसा 267 Pusa 267 |
भा.कृ.अ.सं. | 25-30 | पंजाब, हरयाणा, राजस्थान, उ.प्रदेश, तथा बिहार के लिए उत्तम किस्म है। यह काबुली चने की उकठा रोग के लिए सहनशील किस्म है। |
पूसा 362 Pusa 362 |
भा.कृ.अ.सं. | 40 | उत्तरी भारत के राज्यों पंजाब, हरयाणा, राजस्थान, उ.प्रदेश के सिंचित व बारानी क्षेत्रों के लिए समय से अथवा देर से बुआई के लिए उपयुक्त उत्तम किस्म है । यह बहुत बडे दानों वाली उकठा रोग के प्रति सहनशील किस्म है। 1985 में अनुमोदित हुई। |
पूसा 372 Pusa 372 |
भा.कृ.अ.सं. | 35 | सारे भारत मे देर से बुआई के लिए अच्छी किस्म है। इसके दाने मध्यम आकार के होते है। यह उकठा रोग के प्रति सहनशील तथा पानी चाहने वाली किस्म है। 1993 में अनुमोदित हुई। |
पूसा 391)Pusa 391 | भा.कृ.अ.सं. | 25 | मध्य भारत मे समय से बुआई के लिए अच्छी किस्म है। सिचिंत व असिचिंत दोनो क्षेत्रों के लिए उपयुक्त। |
पूसा धारवाड Pusa Dharwad (BGD 72) |
भा.कृ.अ.सं. | 30 | Released in 1999 for MP, Chatisgarh, Maharastra, Gujrat, UP and Rajasthan, is desi bold seeded chickpea variety suitable for central India under rainfed conditions.It is highly resistant to drought. |
पूसा 1103 Pusa 1103 |
भा.कृ.अ.सं. | 24 | 2005 मे रा.रा.क्षे. के लिए अनुमोदित यह किस्म देशी किस्म पछेती बुवाई के लिए उपयुक्त है। यह मृदा जनित रोगों की प्रतिरोधी है उत्तर भारत में धान आधारित फसल चक्र के लिए उपयोगी है। |
बीजेडी 128 BJD 128 |
भा.कृ.अ.सं. | 20 | 2007 में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश के कुछ भागों व राजस्थान के लिए अनुमोदित यह देसी चने की किस्म सिचित अवस्था में पछेती बुआई के लिए उपयुक्त है। यह मध्यम समय मे पकने वाली तथा मशीनी कटाई के लिए उपयुक्त मृदा जनित रोगो की प्रतिरोधी किस्म है। |
पूसा 547 Pusa 547 |
भा.कृ.अ.सं. | 18 | 2006 में उत्तर पश्िचमी भारत में पछेती बुआई के लिए अनुमोदित यह किस्म मध्यम अवधि 135 दिन मे पक जाती है तथा पुरझान, जड गलन, वृद्धिरोध रोगों व फली छेदक के प्रति सहिष्णु है। |
पूसा 112 Pusa-112 |
भा.कृ.अ.सं. | 23 | फयूजेरियम मुरझान एवं सूखा की उच्च प्रतिरोधिता वाली एक उच्च उपजशील देसी हरे दानों वाली किस्म है। बीज गहरे हरे, एक समान होते है और कुकिंग व खाद्य प्रयोजन के लिए उत्तम है। |
काबुली किस्में | |||
पूसा 1003 Pusa 1003 |
भा.कृ.अ.सं. | 25 | पूर्वी तथा उत्तरी भारत के लिए उत्तम किस्म है। यह काबुली चने की उकठा रोग के लिए सहनशील तथा सिंचित क्षेत्रों में अधिक उपज वाली किस्म है। इसके दाने बहुत मोटे तथा बाजार मे अच्छे भाव बिकने वाले होते हैं। |
पूसा चमत्कार बीजी 1053 Pusa Chmatkar BG-1053 |
भा.कृ.अ.सं. | 25-30 | मध्य तथा उत्तरी भारत के लिए उत्तम किस्म है। यह काबुली चने की उकठा रोग प्रतिरोधी तथा अति मोटे दाने वाली पहली भारतीय प्रजाति है। बारानी व सिचितं क्षेत्रों मे बुवाई के लिए उपयोगी इस किस्म को 2000 मे अनुमोदित किया गया। |
पूसा 1088 Pusa 1088 |
भा.कृ.अ.सं. | 25-35 | सन 2005 मे उत्तर भारत के बारानी व सिंचित क्षेत्रों के लिए अनुमोदित यह किस्म मृदा जनित रोगों के लिए प्रतिरोधी तथा सूखे के लिए उच्च सहिष्णु है। |
पूसा 1108 Pusa 1108 |
भा.कृ.अ.सं. | 25 | 2005 मे रा.रा.क्षे. के लिए अनुमोदित यह किस्म मृदा जनित रोगों की मध्यम प्रतिरोधी तथा सूखें के लिए उच्च सहिष्णु है। इसके दाने मोटे व सफेद है। |
पूसा 1108 Pusa 1108 |
भा.कृ.अ.सं. | 25-30 | 2006 मे रा.रा.क्षे. के लिए अनुमोदित यह किस्म मृदा जनित रोगों की प्रतिरोधी है। दाना मोटा एक समान सफेद रंग का आकर्षक है। उत्तरी भारत के लिए उत्तम किस्म है। सिचिंत व समय से बुआई के लिए उपयुक्त । |
पूसा 2024 BG-2024 |
भा.कृ.अ.सं. | 30 | BG-2024 is Kabuli type variety of chickpea with bold seeds. It is suitable for cultivation in both dry and irrigated areas of national capital region of Delhi. his variety possesses drought tolerance and wide adaptation and is moderately resistant to soil borne diseases and pod borer. released in 2008 for NCR Delhi |
पूसा 2085 Pusa 2085 | भा.कृ.अ.सं. | 20 | यह बडे दानों वाली काबुली किस्म है। 100 बीजों का भार 36 ग्राम है तथा यह शुष्क जड सडन व वृद्धि रोध के विरूद्ध बहू रोग प्रतिरोधी किस्म है। इसमे उच्च प्रोटीन प्रतिशत व जलयोजन की क्षमता है। इसके बीज भदमैले रंग के एकसमान आर्कषक व चमकदार है 2012 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए पहचान की गई। |