Himadri (BH S 352): Husk free Barley variety for north mountainous regions

Himadri (BH S 352): Husk free Barley variety for north mountainous regions

हिमाद्री (बीएच एस 352): उत्तरी-पर्वतीय क्षेत्रों के लिए जौ की छिलका रहित प्रजाति 

जौ एक महत्वपूर्ण अनाज है जो विभिन्न जलवायु और मिट्टी के लिए अनुकूल है और विभिन्न उपयोगों के लिए उपयुक्त है। जौ अनाज फसलों में चौथे स्थान में आती है और विश्व के अनाज उत्पादन में 7प्रतिशत का सहयोग देती है । भारत में उत्तरी मैदानी औरउत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी खेती सर्दियों ( रबी ) में की जाती है ।

इसकी खेती देश के पर्वतीय राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू एवं कश्मीर में एक महत्वपूर्ण खाद्य फसल के रूप में की जाती है। इन पहाड़ी राज्यों के अत्यधिक ऊँचाई वाले इलाकों में जौ की खेती गर्मियों में भी की जाती है। उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र के किसानजौकी खेती से अपने भोजन, पेय पदार्थ और पशुओं के हरे चारे की आवश्यकताओं कोपूरा करते हैं।

जौ में छिलका युक्त एव छिलका रहित ( नंगी ) दो तरह की किस्में पाई जाती हैं। सामान्यतः हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पिति, किन्नौर तथा चम्बा के पांगी व भरमौर वाले क्षेत्रों में छिलका रहित जौ की खेती की जाती है जबकि दूसरे जिलों में जौ की छिलका युक्त किस्में लगाई जाती हैं।

छिलका रहित जौ की प्रसंस्करण विधि दौरान पोषक तत्वों में कोई हानि नहीं होती । यह प्रोटीन और फाइबर में उच्च श्रोत होते हैं और इनमें ग्लाइसेमिक सूचकांक कम होता है । छिलका रहित जौ में बीटा – गुलकों की अधिक मात्रा होती है जो कोलेस्ट्रॉल कम करता है । हिमाद्री ( बीएच एस 352) नंगे जौ की किस्म है  जिसे उत्तरी-पर्वतीय क्षेत्रों के किसान लगाकर अधिक लाभ कमा सकते हैं।

हिमाद्री ( बीएच एस 352) के विशेष गुण

अनुमोदित वर्ष 2003 में फसल मानकों पर केंद्रीय उप समिति द्वारा जारी
बुवाई  उत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों में कम बारिशों पर समय से बिजाई
रोग प्रतिरोधन भूरे व पीले रतुए के लिए प्रतिरोधी तथा पती धारी, नैटबलाच व चूर्णी फफूंदी को सहन करने की क्षमता रखती है
फूल आनें का समय   बिजाई से औसतन 136दिनोपरांत
परिपक्वता दिन बिजाई से औसतन 173दिनोपरांत
विशेष गुण भुसीरहित/ छिलका रहित/ नंगी
दो / छह पंक्ति छह पंक्ति
ऊंचाई  औसतन 77 से. मी.
गुणवत्ता विशेषताएँ    प्रोटीन की मात्रा 9.2

हिमाद्री( बीएच एस 352) की उन्नत खेती के लिए विभिन्न शस्य क्रियाएं

बिजाई का समय मध्य अक्टूबर से नवम्बर के प्रथम सप्ताह ।
भूमि    अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि सर्वोत्तम है पर कमज़ोर रेतीली और बारानी क्षेत्रों में थोड़ीसी वर्षा में भी यह सफलतापूर्वक उगाई जाती है ।
बीज मात्रा     100कि.ग्रा./है. ( 8 कि.ग्रा./बीघा )असिंचित व पछेती बिजाई की स्थिति में 20-25 कि.ग्रा./है. बीज अधिक डालें।
दूरी    केरा प्रणाली सेकतारोंमें 23 सी. मी. की दूरी पर बिजाई करें ।
खाद एवं उर्वरक       नत्रजन40 कि.ग्रा./है., फॉस्फोरस30 कि.ग्रा./है. और पोटाश20 कि.ग्रा./है. ( बुआई के समय)।
औसत उपज   22क्विंटल प्रति हैक्टेयर

Authors:

मधु पटियाल, के.के. प्रामाणिक, धर्मपाल एवं ए.के. शुक्ला

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, शिमला, हिमाचल प्रदेश-171004

 Email: mcaquarian@gmail.com

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