Essential precautions in the use of pesticides in crops
फसलों की कीटों से सुरक्षा के लिए फसल रक्षा रसायनों अर्थात कीटानाश्कों का प्रयोग किया जाता है । ये कीटनाशक जहरीले तथा मूल्यवान होते हैं । जिनके प्रयोग की जानकारी न होने के कारण इनके नुकसान भी हो सकते हैं । इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखने के साथ-साथ इनके प्रयोग के समय क्या-क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए, इसकी जानकारी किसानों को होना अति आवश्यक है ।
कीटनाशकों के घातक प्रभाव से बचने के लिए आवश्यक होता है कि उन पर लिखे हुए निर्देशों का पालन सही ढंग से किया जाय । जिसमें किसी प्रकार की लापरवाही न वरती जाए क्योंकि थोड़ी सी असावधानी होने से बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है ।
कीटनाशकों के प्रयोग से पहले सावधानियाँ
- कीटों की अच्छी तरह पहचान कर लेनी चाहिए । यदि पहचान सम्भव नहीं हो पा रही हो तो स्थानीय स्तर पर उपस्थित विशेषज्ञ से कीट की पहचान करा कर कीट की किस्म के अनुरूप ही रसायन क्रय करने चाहिए ।
- कीटनाशक का प्रयोग तभी करना चाहिए जब कीट से आर्थिक नुकसान की क्षति निम्न स्तर की सीमा से बढ़ गयी हो ।
- कीट को मारने का सही उपाय एवं समय पता कर लेना चाहिये ।
- कीटनाशकों के विशाक्तता को प्रदर्शित करने के लिए कीटनाशक के डिब्बों पर तिकोने आकार का हरा, नीला, पीला अथवा लाल रंग का निशान बना होता है । जब कई कीटनाशी उपलब्ध हों तो सबसे पहले लाल निशान वाले कीटनाशी का प्रयोग नहीं करना चहिए । क्योंकि लाल निशान के कीटनाशक समस्त स्तनधारियों पर सबसे अधिक नुकसान करते हैं । लाल निशान वाले कीटनाशी की अपेक्षा पीले रंग के निशान वाले कीटनाशी कम तथा पीले रंग के कीटनाशी की अपेक्षा नीले रंग के निशान वाले कीटनाशी कम नुकसान पहुँचाते हैं । सबसे कम नुकसान हरे रंग के निशान वाले कीटनाशी से होता है ।
- कीटनाशक खरीदते समय हमेशा उसके उत्पादन तिथि एवं उपयोग करने की अंतिम तिथि को अवश्य पढ़ लेना चाहिए ताकि पुरानी दवा को खरीदनेसे बचा जा सके, क्योंकि पुरानी दवा कम अथवा नहीं के बराबर असरदार हो सकती है । जिससे आर्थिक नुकसान से बचा जा सकता है ।
- कीटनाशी के पैकिंग के साथ एक उपयोग करने के लिए पुस्तिका अर्थात लीफलेट भी आता है । जिसे ध्यान पूर्वक पढ़ना आवश्यक है जिसमें उपयोग का तरीका तथा मात्रा भी अंकित होती है ।
- कीटनाशकों का भण्डारण हमेशा साफ-सुथरी एवं हवादार तथा सूखे स्थान पर करना चाहिए ।
- यदि अलग-अलग समूहों के कीटनाशकों का प्रयोग करना है तो एक के बाद दूसरे का प्रयोग करना चाहिए ।
- ऐसे कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए जिसके प्रयोग से पत्तों में रसायनिक अम्ल बनता हो ।
कीटनाशकों के प्रयोग करते समय सावधानियाँ
- शरीर को पूरी तरह से बचाने वाले कपड़े ठीक ढंग से पहन लेने चाहिए । जिससे यदि उसमें कीटनाशी लग भी जाए तो बदल कर दूसरे कपड़े पहन सकें तथा हाथों में रबर के दस्ताने अवश्य पहनने चाहिए । तथा मुँह पर मास्क लगा होना चाहिए । आँखों की सुरक्षा के लिए चश्मा लगा लेना चाहिए ।
- कीटनाशी छिड़कने वाले को छिड़काव की पूरी जानकारी होनी चाहिए तथा उसके शरीर पर कोई घाव भी नहीं होना चाहिए । तथा छिड़काव के समय चलने वाली हवा से बचना चाहिये ।
- बहुत जहरीले कीटनाशी को प्रयोग करते समय अकेले नहीं होना चाहिए । एक या दो व्यक्तियों को खेत के बाहर होना चाहिए जिससे आपातकाल में उनसे मदद ली जा सके ।
- कीटनाशी का घोल बनाते समय किसी बच्चे या अन्य आदमी अथवा जानवर को पास में नहीं रहनेदेना चाहिए ।
- कीटनाशी को मिलाने के लिए लकड़ी का डण्डा प्रयोग करना चाहिए । तथा घोल को ढककर रखना चाहिए ताकि कोई पशु उसे धोखे से पी न ले ।
- दवा के साथ मिली हुई प्रयोग पुस्तिका को दुबारा पढ़ कर उसकेअनुदेशों का पालन करना चाहिए ।
- कीटनाशक छिड़कने वाले यंत्र की जाँच कर लेनी चाहिए । यदि यंत्र खराबहै तो पहले उसकी मरम्मत कर लेनी चाहिए । तथा नोज़ल कभी भी मुँह से खोलने का प्रयास नहीं करना चाहिए ।
- कीटनाशक का छिड़काव करने के पश्चात त्वचा को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए ।
- तरल कीटनाशियों को सावधानीपूर्वक मशीन में डालना चाहिए और यह ध्यान रखना चाहिए कि यह किसी भी प्रकार मुँह, कान, नाक, आँख आदि में न जाने पाए । यदि ऐसा होता है तो तुरंत साफ पानी से बार-बार प्रभावित अंग को धोना चाहिए ।
- छिड़काव के समय साफ पानी की पर्याप्त मात्रा पास में रखनी चाहिए ।
- कीटनाशी का प्रयोग करते समय कोई भी खान-पान या धूम्रपान नहीं करना चाहिए ।
- कीटनाशी मिलाते समय जिधर से हवा आ रही हो उसी तरफ खड़ा होना चाहिये ।
- कीटनाशी का प्रयोग करते समय यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि कीटनाशी की मात्रा पूरी तरह पानी में घुल गयी हो ।
- रसायन का धुँआ सांस के द्वारा शरीर के अंदर नहीं जाने देना चाहिए ।
- हवा के विपरीत दिशामें खड़े होकर छिड़काव या बुरकाव नहीं करना चाहिए ।
- एक बार जितनी आवश्यकता हो उतना ही कीटनाशी ले जायँ ।
- छिड़काव के लिए उपयुक्त समय सुबह या सांयकाल होता है । तथा यह ध्यान रखना चाहिए कि हवा की गति 7 किमी प्रति घण्टा से कम ही होनी चाहिए तथा तापमान 21 डिग्री सेंटीग्रेड के आस-पास रहना सर्वोत्तम होता है ।
- फूल आने पर फसलों पर कम से कम छिड़काव करना चाहिए और यदि छिड़काव करना ही हो तो हमेशा सांयकाल में ही करना चाहिए । जिससे मधुमक्खियाँ रसायन से प्रभावित न हों ।
- कीटनाशकों का व्यक्ति पर प्रभाव दिखने लगे तो तुरंत डाक्टर के पास ले जाँय साथ ही कीटनाशी का डब्बा भी लेकर जाना चाहिए ।
कीटनाशियों के प्रयोग के बाद की सावधानियाँ
- बचे हुए कीटनाशक की शेष मात्रा को सुरक्षित स्थान पर भण्डारित कर देना चाहिए ।
- कभी भी कीटनाशी के घोल को पम्प में नहीं छोड़ना चाहिए ।
- पम्प को ठीक तरह से साफ करके ही भण्डार गृह में रखना चाहिए ।
- खाली डिब्बे को किसी अन्य काम में न लेकर बल्कि उसे तोड़कर दो फुट गहरे मिट्टी में दबा देना चाहिए ।
- कागज़ या प्लास्टिक के डिब्बे को यदि जलाना है तो उसके धुँए के पास खड़ा नहीं होना चाहिए ।
- कीटनाशी के छिड़काव के समय प्रयोग में लाये गये कपड़े, बर्तन आदि को अच्छी तरह से धोकर रखना चाहिए ।
- कीटनाशी का छिड़काव करने के बाद अच्छी तरह से स्नान करके दूसरे वस्त्र पहन लेने चाहिए ।
- जिस भी कीटनाशक का प्रयोग करें उसका सम्पूर्ण विवरण लिखकर रख लेना चाहिए।
- कीटनाशी छिड़काव के बाद छिड़के गये खेत में किसी भी आदमी अथवा जानवर को कुछ देर तक नहीं जाने देना चाहिए ।
- कीटनाशी चीड़काव के बाद छ: घण्टे तक वर्षा नहीं होनी चाहिए । यदि छ: घण्टे के अंदर वर्षा हो जाती है तो पुन: छिड़काव करना चाहिए ।
- अंतिम छिड़काव एवं फसल की कटाई या तुड़ाई के समय दवा में बताये गये अंतराल का अवश्य ध्यान रखना चाहिए ।
कीटनाशक के विष का उपचार
सभी प्रकार की सावधाने रखने के उपरांत भी यदि कोई व्यक्तिइन कीटनाशकों का शिकार हो जाये तो निम्नलिखित सावधानियाँ अपनानी चाहिए:
- रोगी के शरीर से विष को शीघ्रातिशीघ्रनिकालने का प्रयास करना चाहिए ।
- विषमारक दवा का तुरंत प्रयोग करना चाहिए ।
- रोगी को तुरंत पास के किसी अस्पताल या डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए ।
- यदि जहर खा लिया है तो एक गिलास गुनगुने पानी में दो चम्मच नमक मिलाकर उल्टी करानी चाहिए अथवा गुनगुने पानी में साबुन घोलकर पिलाना चाहिए अथवा एक चम्मच गुनगुने पानी मे एक ग्राम जिंक सल्फेटमिला कर देना चाहिए ।
- यदि व्यक्ति ने विष सूँघ लिया है तो शीघ्र ही खुले स्थान पर ले जाना चाहिए । शरीर के कपड़े ढीलेकर देने चाहिए । यदि दौरे पड़ रहे हैं तो अँधेरे स्थान पर ले जाना चाहिए । यदि सांस लेने में समस्या हो रही हो तो पेट के सहारे लिटाकर उसकी बाँहों को सामने की ओर फैला लें एवं रोगी की पींठ को हल्के-हल्के सहलाते हुए दबाएँ तथा कृत्रिम स्वाँस का भी प्रबंध करें ।
इस प्रकार उपरोक्त सावधानियों को ध्यान में रखते हुए यदि कीटनाशियों का प्रयोग किया जाए तो इनसे होने वाले किसी भी प्रकार के नुकसान से बचा जा सकता है ।
Authors
राम सिंह सुमन
प्रसार शिक्षा विभाग
भाकृअनुप – भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज़्ज़तनगर (उ.प्र.)
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