अमरुद की फसल में बहार के समय में लगने वाले रोग व कीट तथा उनका नि‍यंत्रण

अमरुद की फसल में बहार के समय में लगने वाले रोग व कीट तथा उनका नि‍यंत्रण

Diseases, pests and their control during springtime of Guava crop.

अमरुद की फसलअमरूद अपनी व्यापक उपलब्धता, भीनी सुगन्ध एवं उच्च पोषक गुणों के कारण यह ‘‘गरीबों का सेब’’ कहलाया जाता है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से सामान्य मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है अमरूद के फलों में विटामिन ‘सी’ (200-300 मिली. ग्राम प्रति 100 ग्राम फल) की प्रचुर मात्रा होती है। जो की सफ़ेद रक्त कणों को तेजी से संक्रमण से लड़ने में मदद करता है|

इस तरह हमारी प्रतिरोधक  क्षमता में कई गुना  वृद्धि हो जाती है| इसमें फाइबर का भी प्रचुर भंडार है| यह कोलेस्ट्रोल से मदद करता है साथ ही दिल  के रोगों से बचाव करता है| विटामिन ए कीटाणु को रोक कर शरीर में प्रवेश करने से पहले ही खत्म कर देता है इसमें मोजूद लायकोपिन सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है तथा  त्वचा कैंसर से सूरक्षा करता है|

प्राकृतिक अवस्था में खाना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है सुबह के समय इसे पीना भी काफी लाभकारी होता है| बहुत सारे आर्थिक और स्वास्थ्य लाभ होते हुए भी बहुत सारी ऐसी समस्या है जो अमरुद के विकास में अवरोध पैदा करती है| अमरूद के फलों को ताजे खाने के साथ-साथ, व्यवसायिक रूप से प्रसंस्करित कर जैम, नेक्टर एवं स्वादिष्ट पेय बनाकर प्रयुक्त किया जाता है। 

अमरूद बहुत कम देखभाल के भी आसानी से लग जाता है| पर बहुत सी बीमारियों से प्रभावित होता है जिनमे से कवक का प्रमुख योगदान है| अमरुद की फसल को कई रोग हानि पहुंचाते है जिनमे म्लानी रोग, तना केकर,  एनेथ्रकनोज, स्कैब, फल विगलन, फल चिती तथा पोध अंगमारी प्रमुख है| अमरुद में लगने वाले विभिन्न कीड़ो में तना वेधक कीट, अमरुद की छाल भचछी इल्ली, स्केल कीट तथा फल मक्खी आदि प्रमुख है| अतः सभी की रोकथाम आवश्यक है|

अमरूद का उकठा रोगअमरूद का उकठा रोग :-  

यह अमरूद फल वृक्षों का सबसे विनाशकारी रोग हैं रोग के लक्षण दो प्रकार से दिखाई पड़ते हैं। पहला आंशिक मुरझान जिसमें पौधे की एक या अधिक मुख्य शाखाऐं रोग ग्रसित होती है व अन्य शाखाऐं स्वस्थ दिखाई पड़ती हैं।

ऐसे पौधों की पत्तियाँ पीली पड़कर झडने लगती है। रोग ग्रस्त शाखाओं पर कच्चे फल छोटे व भूरे सख्त हो जाते है। दूसरी अवस्था में रोग का प्रकोप पूरे पेड पर होता है और वह शीघ्र सूख जाता है। रोग अगस्त से अक्टूबर माह में उग्र रूप धारण कर लेता है।

इसके रोकथाम के लिए कार्बण्डाजिम एक ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर 20 से 30 लीटर घोल प्रति पेड( अथवा आवश्यकतानुसार, मृदा का सिंचन (डे्रेच) करें या

जैविक फफूंदीनाशक ट्राईकोडर्मा 50 से 100 ग्राम प्रति पेड के हिसाब से थावलों में गुड़ाई कर सिंचाई से पूर्व मिलावें या

प्रतिरोधी मूलवृन्त सीडियमकुजेविलस का उपयोग करके भी रोग से बचाव सम्भव है।

अमरूद का एन्थ्रेकनोज रोग: –

इस रोग से पेड़ों के सिरे से रोगी कोमल शाखाऐं नीचे की तरफ सूखने लगती है। ऐसी शाखाओं की पत्तियाँ झड़ने लगती है और इनका रंग भूरा हो जाता है।

इसके रोकथाम के लिए मेन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर या थायोफिनाईट मिथाइल एक ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर फल आने तक 10 से 15 के अन्तराल पर छिड़काव दोहराते रहना चाहिए।

अमरूद का फल सड़न रोग:-

इस रोग में फल सड़ने लगते है, सड़े हुए भाग पर रूई के समान फफंदी की वृद्धि दिखाई देती है।

इस रोग के रोकथाम के लिए 2 ग्राम मेनकोजेब एक लीटर पानी मेंं घोलकर 3-4 बार छिडकाव करना चाहिए।

अमरूद का छाल भक्षक कीट : –

इस कीट की लटें अमरूद की छाल, शाखाओं या तनों में छेद करके अंदर छिपी रहती है। ये रेशमी धागों से जुड़े हुये लकड़ी के बुरादे व अपने मल से बने रक्षक आवरण के नीचे खाती हुई टेढ़ी-मेढ़ी सुरंग बना देती है।

इस सुरंग के छिद्र में एक लट पाई जाती है। छोटे पौधों में प्रकोप होने पर पौधा कमजोर दिखलाई पड़ता है और बढ़वार रूक जाती है।

इसके िनयत्रण के लिए क्वीनॉलफास का 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर शाखाओं, डालियों पर छिड़कें तथा सुरंग को साफ करके किसी पिचकारी या

इन्जेक्शन सीरिंज की सहायता से डाइक्लोरोवास (0.1 प्रतिशत) का घोल बनाकर डालकर चिकनी मिट्टी से बंद कर देवें।

अमरूद का मिली बग : –

यह छोटे रूई के से सफेद मोम आवरण युक्त बिना पंख वाले कीडे होते हैं जो मुलायम टहिनयों, कोमल पत्तियों व पंखुडि़यों के नीचे छिपकर रस चूसते रहते हैं

इस कीट के नियत्रण के लिए डाइमेथोएट 1.5 मि.ली. या फैनिन्थयान 1 मि.ली. प्रति लीटर के घोल का छिड़काव करें या

शिशु कीटों को पेड़ पर चढने से रोकने के लिए जुलाई माह में एल्काथिन (400 गेज) 30 से.मी. चौड़ी पट्टी तने के चारों तरफ भूमि से 30 से.मी. ऊपर धागे की सहायता से बांधकर इस पर ग्रीस का लेप कर देवें।

अमरूद फसल में फल मक्खी : –

इस कीट का प्रकोप बरसात के फलों में अधिकता से होता है। मक्खी फल छिलके के नीचे अण्डे देती है जिनसे मैगट (लट) निकल कर गूदे को खाते है जिससे फल सडकर गिर जाते है, क्षतिग्रस्त फलों में कीट की सूंडिया भरी रहती है।

फलों में किण्वन होने से गूदा सड़ जाता है व पकने से पूर्व ही फल गिरने लगते हैं।

इस कीट के नि‍ंयत्रण के लिए विष चुग्गा बनाते है, एक लीटर पानी में 100 ग्राम चीनी या गुड व 10 मि.ली. मैलाथियान मिलाकर तैयार करें व इसे मिट्टी के प्यालों में या डिस्पोजल कप में 50 से 100 मि.ली. भरकर बाग में 10 पौधों के मध्य एक के हिसाब से बाग में जगह-जगह पेड़ों पर टांग देवें।

समन्वित की ट नि‍यंत्रण विधि :-

रोग की बाग की अच्छी स्वछता से भी रोकथाम की जा सकती है| सूखे पेड़ो को जड़ सहित उखाड़ देना चाहिए एवं जला कर गाड़ देना चाहिए| पोध रोपण के समय यह धयान देना चाहिए की जड़ो को नुकसान न पहुंचे|

गड्डों को फोर्मलिन से उपचार करना चाहिए और तीन दिन के लिए ढक देना चाहिए और पोध रोपण इसके दो हफ्ते बाद करना चाहिए| चूँकि यह मिटटी जनित रोग है इसलिए भूमि में ब्रसिकोल एवं बाविस्टीन (0.1%) जड़ो और पत्तियों के चारो और पन्द्रह दिन के अन्तराल पर डालना चाहिए| कर्बिनिक खाद , खली, चुना आदि भी रोग को रोकने में सहायक होते है|

जैवकारक जैसे एसपेर्जिल्लुस नाइजर ए.ऍन. १७, प्रतिरोधी मूलवरन्त, गेंदा की फसल को साथ में प्रयोग में लाया जा सकता है| ताइवान में एक लोकल किस्म पेई-पा पहचानी गयी है| इसके अलावा सिडियम कत्तेलिअनुम किस्म लुसिदियम साथ ही जामुन इसी तरह चाइनीज़ और फिल्लिपेनेस मूलवरन्त को प्रयोग में लाया जा सकता है|

रसायनिक नियंत्रण की जगह अगर प्राकृतिक कवकनाशी प्रयोग में लाये तो ज्यादा अच्छा होगा क्योंकि रसायनों के अवशेष भी रह जाते है साथ ही कवको में प्रतिरोधिता विकसित होने लगती है| जिनसे इनका असर कम हो जाता है लैंटाना, नीम, तुलसी, इसबगोल, धतूरा, हल्दी, आक आदि  रोगकारक को कुछ हद तक रोकने में कारगार सिद्ध हुए है|


Authors:

 हरजिन्द्र सिंह­1, रमेश कुमार सांप2 और वी एस आचार्य3

1&2 पी॰एच. .डी  ,3 असिस्टेंट प्रोफेसर

कीट विभाग, कृषि महाविधालय, बीकानेर

Email: Jindra.ento@gmail.com

Related Posts

अमरूद: एंटीऑक्सिडेंट का समृद्ध स्रोत
Guava: Enriched Source of Antioxidants अमरुद सबसे लोकप्रिय उष्णकटिबंधीय फल हैं,...
Read more
Restoration of old guava trees or orchards...
अमरूद के पुराने वृक्षों तथा बागो का जीर्णोद्धार अमरूद पोषक तत्त्वों...
Read more
Popular varieties of Guava
अमरूद की लोकप्रिय किस्में 1. इलाहाबाद सफेदा - फल का आकार मध्यम,...
Read more
Intensive dense gardening of Guava
अमरूद की अति सघन बागवानी अमरूद भारत का एक लोकप्रिय फल...
Read more
Guava cultivationGuava cultivation
अमरूद की खेती
Cultivation of guava    अमरूद भारत का एक लोकप्रिय फल है। क्षेत्रफल...
Read more
अमरूद में अच्छे एवं गुणवत्तायुक्त फल के...
Controlling blossom (Bahar) for high quality fruiting in guava अमरूद का...
Read more
rjwhiteclubs@gmail.com
rjwhiteclubs@gmail.com