जलीय कृषि में असवेंदनता दवाइयों का उपयोग 

मछलियाँ सवेदन शील जीवों में से एक होती है इन्हे पकड़ने, यातायात एवं किसी भी बीमारी से बचाव के लिए दवाई दिए जाने के वक्त यह बहुत ही जल्दी तनाव में आ जाती है जिसके कारण कई बार मछलियों को शारीरक चोट पहुच जाती है तो कई बार मछलियों के इन तनावों के कारण मृत्यु भी हो  जाती है जिससे प्रमुख हानि मछली पालकों को होता है

इन सभी हानियों को चेतना शून्य करने वाली औषधियों का उपयोग करके कम किया जा सकता है।  इस औषधि के उपयोग से मछलियों में तिलमिलाहट कम हो जाती है जिससे आसानी से मछलियों को पकड़ा एवं एक जगह से दुसरे जगह तक ले जाया सकता है!

असंवेदनकारी दवाऐं, मछलीयों को बिना किसी शारीरिक जख्म एवं हानि‍ पहुचाऐ ,  हॉर्मोन या किसी बीमारी से बचाव की दवाइयों को मछलियों के शरीर में डालने के वक्त भी मददगार है

यह असवेंदन दवाइयां कुछ समय तक असर करने के बाद पुन: मछलियों को उसके प्राथमिक स्तिथि की तरह ला देती है जिससे मछलियों को कोई हानि नहीं होती है एवं इसको उपयोग करने का  तरीका भी बहुत ही असान है

मछली पालक इन औषधियों को आसानी से उपयोग कर सकते है परंतु इन औषधियों के उपयोग के लिए सावधानी बहुत जरूरी है।  यह औषधियां कितने मात्र में एवं कितने समय के लिए उपयोग किया जाऐ  यह  बहुत ही महत्वपूर्ण तथ्य है  क्योकि इन औशोधियों को  अधिक मात्र में एवं अधिक समय के लिए उपयोग किये जाने पर मछलियों की मृत्यु भी हो जाती है

असवेंदन औषधियों के प्रकार-

यह दवाइयां दो प्रकार की होती है

1. सामान्य असवेंदनता (general anesthesia) –

इस औषधियों को मछलियों के शरीर के अन्द्रुणी भाग में डाला जाती है इस दवाई को मछलियों के दिमाग के हिस्सों में भी लगाया जा सकता है इसके प्रयोग से पुरा शारीर शून्य हो जाता है  मुख्यता: इसे इंजेक्शन के द्वारा मछलियों के शारीर में डाला जाता है इस प्रकार के असवेंदन औषधियों को शल्यचिकित्सा के समय उपयोग में लाया जाता है  इसके उदाहरण के रूप में केटामाइन (ketamine) है

2. संकुचित असवेंदनता (local anesthesia) –

इस प्रकार के असवेंदन औषधियों को मुख्यत: छोटे घावों के लिए उपयोग में लाया जाता है इस दवाई के प्रयोग से सिर्फ शारीर के किसी भी एक अंग को ही जगह को ही शून्य करता है इसके प्रयोग से आपरेशन के बाद एवं चोट लगने के बाद दर्द से राहत मिलता है इसके उदाहरण के रूप में प्रीलोकाइन (prilocaine) है

असवेंदन औषधियों:

प्रमुख चेतन शून्य करने वाली औषधियां 

अवस्था

व्यवहार

शांत अवस्था

मछलियों की  तैरने एवं शवसन क्रिया  की गति धीमी हो जाती है

सवेंदन

थोड़े देर के लिए मछलियों  अपनी शारीरक संतुलन खो देती है एवं छुने में बहुत कम ही प्रतिक्रिया दिखाती है

शल्यचिकित्सा / ऑपरेशन

इस स्तिथि में मछलियाँ को छुने में कोई प्रतिक्रिया नहीं दर्शाती है एवं अपर कुलम को गति धीमी और रुक जाती है  मछलियाँ अपना शारीरक संतुलन भी खो देती है

मृत्यु

श्वसन एवं धड़कन की गति रुक जाती है इस स्तिथि में मछलीयां मर जाती हैयह प्रमुखता दवाइयों को अधिक मात्र में उपयोग करने के कारण से होता है 


असवेंदन औषधियों  के प्रभाव को कम करने के कारक:

बहुत से कारक असवेंदन औषधियों के प्रभाव को कम करता है जिनमे से मुख्य वातावरण करक एवं जैविक कारक है। 

वातावरण कारक के अंतर्गत तापमान, pH,  दवाइयों की घुलनशीलता, दवाई की अम्लीयता एवं छारियता आदि‍ आते है।

जैवक कारक के रूप में मछलियों की लम्बाई, भार मछलियों की प्रजाति आदि कारको पर भी असवेदन दवाइयों का प्रभाव निर्भर करता है 

मछलियों के लिए असवेंदन विधियाँ–

मछलियों में असवेदन के लिए दो प्रमुख विधि का इस्तेमाल किया जाता है जो निम्न है -

1. रासायनिक विधि

रासायनिक विधि में बहुत से प्रकार के रसायन दवाइयों का उपयोग किया जाता जो की निम्न है ऍम एस-२२२ ( MS-222), बेन्ज़ोकैने (benzocaine), क़ुइनल्दिने (quinaldine ), २-फिनोक्सयेथेनोल (2-phenoxyethanol ), मेटोमिदते (metomidate ), लौंग का तेल (clove oil ), अकुई- एस ( aqui-s)|

इन रासायनिक पदार्थों को पानी में घोल कर , मछलियों के भोजन में मिला कर एवं इंजेक्शन के रूप में मछलियों को दिया जा सकता है ।

आजकल मछलियों में प्रमुख रूप से सवेंदन औषधि के रूप में लौंग के तेल को उपयोग किया जा रहा है इसे जल में मिला कर उपयोग किया जाता है जो बहुत ही प्रभावकारी फल प्रदान कर रहा है |

इस सारणी में बताया गया है की कौन से मछलियों में यह रासयनिक पदार्थ कितने मात्रा में डालने से यह प्रभावकारी लाभ प्रदान करता है - 

चेतना शून्य करने वाली औषधियां अटलांटिक सालमोन रेनबो ट्राउट कॉमन कार्प चैनल कैटफ़िश नील तिलापिया
MS-222 ४०-५० मी.ग्रा/ली ४०-६०मी.ग्रा/ली १००-२५०मी.ग्रा/ली ५०-२५० मी.ग्रा/ली १००-२०० मी.ग्रा/ली
benzocaine ४० मी.ग्रा/ली २५-५० मी.ग्रा/ली कोई प्रभाव नही दिखया कोई प्रभाव नही दिखया २५-१०० मी.ग्रा/ली
quinaldine २५-४० मी.ग्रा/ली कोई प्रभाव नही दिखया १०-४०मी.ग्रा/ली २५-६० मी.ग्रा/ली २५-५०मी.ग्रा/ली
2-phenoxyethanol १००-२०० मी.ग्रा/ली १००-२०० मी.ग्रा/ली ४००-६०० मी.ग्रा/ली कोई प्रभाव नही दिखया ४००-६०० मी.ग्रा/ली
metomidate २-१०मी.ग्रा/ली ५-६ मी.ग्रा/ली कोई प्रभाव नही दिखया ४-८मी.ग्रा/ली कोई प्रभाव नही दिखया
clove oil १०-५०मी.ग्रा/ली ४०-१२० मी.ग्रा/ली ४०-१००मी.ग्रा/ली १०० मी.ग्रा/ली कोई प्रभाव नही दिखया
aqui-s™ १०-५०मी.ग्रा/ली २० मी.ग्रा/ली कोई प्रभाव नही दिखया २०-६० मी.ग्रा/ली कोई प्रभाव नही दिखया


2. अरसयानिक विधि - 

इस विधि के अंतर्गत हाईपोथर्मि‍या एंड इलेक्ट्रो  असवेंदन विधि आती है

हाईपोथर्मि‍या वि‍धि‍ मे जल के तापमान को कम करके मछलियों की अवचेतन किया जाता है। यहाँ जल के तापमान को धीरे - धीरे घटाया जाता है क्योकि मछलियों में जल के तापमान को जल्‍द घटाने पर मछलियों की मृत्यु हो जाती है जिसका प्रमुख कारण  “thermal shock” है

इस विधि में जल का तापमान 1°C से निचे नही होना चाहिए एवं 15 मिनट तक ही ठंडे जल में रखना चाहिए |

इलेक्ट्रो सवेंदन विधि में इलेक्ट्रिक करेंट का उपयोग करके मच्ल्यों के चेतना का शून्य किया जाता है यह विधि समुद्री मछलियों के लिए कारगर नही है यह विधि साफ पानी के मछलियों में उपयोग में लाया जाता है एस विधि में बड़े मछली ज्ल्द्दी प्रभाव में आते है।

छोटे मछलियों के तुलना में ११०-११५ वोल्टकी बिजली का प्रवाह एक मिनट से कम के लिए किया जाता है इतना करेंट पर्याप्त होता है मछलियों की चेतना को शून्य करने के लिए |


Authors:

दिपिका1, मंगेश म. भोसले1, *अजय कुमार2

1तमिलनाडु डॉ.जे.जयललिता मात्स्यिकी विश्वविद्यालय

2केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई

*Corresponding author: This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.