आम की कायिक विकृति का प्रबंधन

आम की कायिक विकृति का प्रबंधन

Management of Mango Malformation

मैंगो मैलफार्मेशन (Mango Malformation) एक प्रकार की फलों और पौधों की बीमारी है जिसमें मैंगो के पेड़ों में विकृतियाँ होती हैं। इसका परिणाम होता है की पूरे पेड़ या उसके भागों में गुच्छ परिरूपण, पत्तियों का असमान विकास और विकृत फूल हो जाते हैं।

मैंगो मैलफार्मेशन के कारणों में फंगल इंफेक्शन, पोषण की कमी, अधिक तापमान और नमी, और बाकी कई प्रकार की वायुमंडलिक परिस्थितियाँ शामिल हो सकती हैं। यह बीमारी मैंगो पेड़ों की उत्पादकता को प्रभावित कर सकती है और उनके उत्पादन में कमी ला सकती है।

Mango Malformation

मैंगो मैलफार्मेशन (Mango Malformation)

आम की कायिक विकृति के कुछ मुख्य कारण

मैंगो मैलफार्मेशन (Mango Malformation) के कुछ मुख्य कारणों को समझना महत्वपूर्ण है ताकि इसका प्रबंधन किया जा सके। निम्नलिखित हैं मैंगो मैलफार्मेशन के प्रमुख कारण:

जैविक कारण:

फंगसिडल असमंजस (Fungicidal Imbalance): अनियमित फंगसाइड का उपयोग या उचित फंगसाइड की अधिक उपयोग करने से मैंगो मैलफार्मेशन हो सकता है।

संक्रामक रोग (Infectious Diseases): कुछ संक्रामक रोग जैसे की फंगल इंफेक्शन या बैक्टीरियल रोग, मैंगो मैलफार्मेशन का कारण बन सकते हैं।

मुर्दानुयायिक विकार (Microbial Abnormalities): कुछ अविशिष्ट फंगस और अन्य माइक्रोबायोटिक विकार, जैसे की स्कोट्च पाइन कीड़े या कोलेटोटिचम सिट्री, भी मैंगो मैलफार्मेशन का कारण हो सकते हैं।

पोषण संक्रमण (Nutritional Imbalance)

मिनरल और पौष्टिकता की कमी (Mineral and Nutritional Deficiencies): जैसे की जिंक, बोरॉन और अन्य मिनरल्स की कमी मैंगो मैलफार्मेशन का कारण बन सकती है।

उत्पादक पौधे के खाने की कमी (Lack of Food for the Productive Plant): यह एक और कारण हो सकता है जब पौधा उत्पादक अंगों को पूरी तरह से पोषित नहीं करता है।

पर्यावरणिक कारण:

उच्च तापमान और उच्च नमी (High Temperature and Humidity): अधिक तापमान और उच्च नमी के मौसम में मैंगो मैलफार्मेशन हो सकता है।

अधिक वायुमंडल प्रदूषण (Excessive Air Pollution): जहां उच्च वायुमंडल प्रदूषण हो, वहां मैंगो पेड़ के विकार हो सकते हैं।

उच्च गर्मी और उच्च नमी (High Heat and Humidity):

जूल जन्य माइक्रोबायोटिक विकार (July Induced Microbiotic Abnormalities): जूल महीने के मौसम के अधिक गर्मी और नमी से मैंगो मैलफार्मेशन हो सकता है।

गलत पोषण (Incorrect Nutrition): जब पेड़ों को सही तरह का पोषण नहीं मिलता है, तो भी मैलफार्मेशन हो सकता है।

उपयुक्त प्रबंधन की कमी (Lack of Proper Management):

उचित देखभाल की कमी (Lack of Proper Care): अगर पेड़ों को सही

मैंगो मैलफार्मेशन (Mango Malformation) का प्रबंधन

मैंगो मैलफार्मेशन (Mango Malformation) का प्रबंधन करने के लिए कई तकनीकें होती हैं जिन्हें समझना और अपनाना जरूरी है। यहां मैंगो मैलफार्मेशन के प्रबंधन के लिए कुछ उपायों का उल्लेख किया गया है:

कृषि विधियाँ (Cultural Practices):

कटाई (Pruning): सही प्रकार की कटाई करने से मैंगो मैलफार्मेशन का प्रबंधन किया जा सकता है। प्रभावित पौधे के भागों को निकालें, जैसे की विकृत फूल, शूट्स, और पत्तियां। यह मैलफार्मेशन के फैलाव को कम करने में मदद करता है।

स्वच्छता (Sanitation): पौधशाला को साफ रखें, संक्रमित पौधों के भागों को हटाएं और नष्ट करें। यह बीमारी को पौधे के स्वस्थ भागों में फैलने से रोकता है।

उचित सिंचाई और निकासी (Proper Irrigation and Drainage): सुनिश्चित करें कि मैंगो पेड़ों को पर्याप्त पानी मिलता है, लेकिन अत्यधिक नहीं। उचित निकासी यह सुनिश्चित करती है कि पानी भरने की स्थिति नहीं होती है, जिससे मैलफार्मेशन के विकास में मदद मिलती है।

जैविक नियंत्रण (Biological Control)

बायोकंट्रोल एजेंट्स (Biocontrol Agents): कुछ उपयोगी माइक्रोऑर्गेनिज्म जैसे ट्राइकोडर्मा प्रजातियाँ मैंगो मैलफार्मेशन को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। इनके प्रोपर्टीज़ की वजह से ये कुछ फंगस के विकार को दबा सकते हैं।

नीम के उत्पाद (Use of Neem Products): नीम के आधारित उत्पाद फंगसाइड के रूप में उपयोग किए जा सकत

रसायनिक नियंत्रण (Chemical Control)

फंगाइसाइड्स (Fungicides): फुंगिसाइडों का उपयोग मैंगो मैलफार्मेशन का प्रबंधन करने में मदद कर सकता है, खासकर फूलने के समय। कॉपर आधारित फंगाइसाइड या सिस्टेमिक फंगाइसाइड प्रभावी हो सकते हैं। आवेदन के लिए उत्पादक के निर्देशों का पालन करें।

वृद्धि नियंत्रक (Growth Regulators): पैक्लोब्यूट्राजोल जैसे वृद्धि नियंत्रक का उपयोग करके मैलफार्मेशन का प्रबंधन किया जा सकता है, जो वनस्पतिक वृद्धि को नियंत्रित करते हैं और फूलने की प्रोत्साहन करते हैं।

 


Authors

रामकुमार1, राम केवल2, विनय कुमार3, और उदयभान निषाद4

1 (शोध छात्र) कीट विज्ञान एवं कृषि जंतु विज्ञान विभाग, कृषि विज्ञान संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी (उ. प्र.), 221005

2(सह-प्राध्यापक) पक कीट विज्ञान एवं कृषि जंतु विज्ञान विभाग, कृषि विज्ञान संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी (उ. प्र.), 221005

3(शोध छात्र) भा. कृ. अनु. प. – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा नई दिल्ली पूसा नई दिल्ली, 110012

4(शोध छात्र) उद्यान विज्ञान विभाग कृषि विज्ञान संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी (उ. प्र.), 221005

संवादी लेखक– विनय कुमार (rkm1997@bhu.ac.in)

 

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