Agricultural work to be carried out in the month of December
गेंहूॅ फसल:
- नवम्बर के प्रथम पखवाडे मे बोई गई गेंहू की फसल में सी.आर.आई. अवस्था में यानि बुआई के 20-25 दिन बाद की 5-6 सें.मी. लम्बी पौध की अवस्था में सिचांई करे।
- दूसरी सिचांई कल्ले निकलते समय (बुआई के 40-45 दिन बाद) करें।
- 25 नवम्बर से 25 दिसम्बर तक सिंचित अवस्था में पछेती बुवाई के लिए एच.डी 3059, एच.डी 2985, एच.डी. 2643 , डी.बी.डबल्यू – 14,16,71,90 की बुवाई करें।
- उपरोक्त किस्मों की बीज दर 120 किग्रा/ हैक्टेयर रखें।
सब्जियॉं :
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टमाटर के पौधो की रोपाई इस माह में भी की जा सकती है
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टमाटर की रोपाई से पहले पौध की जडों को पर्ण् कुंचन के प्रकोप से बचाव के लिए कन्फीडोर 200 एल.एस्. 100 मिली दवा 500 लिटर पानी में घोलकर उपचारित करें
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पाले से बचाव के लिए टमाटर तथा अन्य सब्जियों के खेत में उचित नमी बनाए रखने के लिए लगातार अन्तराल पल सिचांई करें।
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टमाटर तथा मिर्च में पछेती झुलसा से बचाव हेतु 0.2 प्रतिशत मैंकोजेब के घोल का छिडकाव करें।
सरसों की फसल
- सरसों में बुवाई के 40-50 दिन बाद तथा दूसरी 90-100 दिन बाद करें।
- सरसों में सफेद रतुआ के नियंत्रण के लिए मेटालैक्सिल 6 ग्राम प्रति किग्राम या बैविस्टिन 2 ग्रा. प्रति किलो बीज दर से उपचारित करे।
फल फसलें:
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माह के अन्त में पेडों के तने पर मिली बग नियंत्रण के लिए पॉलिथीन शीट चढा दें।
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तने में हुए छिद्रों में 0.5 प्रतिशत मोनेाक्रोटाफॉस डालकर छिद्रों कों चिकनी मिटटी से बंद कर दें।
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आम में मिलीबग कीट की रोकथाम के लिए पौधों के तनों पर ग्रीस का लेप करें तथा उस पर धरातल से 30-40 से.मी ऊपर तक पॉलिथिन की पन्नी बांध दें। साथ ही कार्बोसल्फान 100 ग्राम दवा 100 लिटर पानी में घोलकार प्रति पौधे की मिटटी मे डालें।
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अंगूर के नए गडढों की भराई करें तथा प्रत्येक गडढे में 10 किलों कम्पोस्ट ,100 ग्राम डी.ए.पी. और 75 ग्राम सल्फेट आफ पोटाश डालें।
पूसा कृषि पंचाग, भा.क्अनू.सं.