Jute business changing lives of hundreds of women's
अंतराष्ट्रीय बाजार से लेकर भारतीय महाद्वीप में जूट से बने सामानों की भारी मांग है। जूट से फैशनेबल कपड़े, चप्पल, सजावटी सामान और पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला परंपरागत बोरा बनाया जा रहा है। लेकिन देश में जूट की खेती घटती जा रही है।
ऐसे में केंद्र सरकार की सहायता से उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने देश-विदेश में जूट की इस बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए जूट और सनई की खेती को बढ़ावा देने के लिए काम करना शुरू कर दिया है।
विश्व में कुल जूट उत्पादन का लगभग 49 प्रतिशत उत्पादन भारत में होता है। आज भी देश में लगभग 40 लाख किसान आठ लाख हेक्टेयर में जूट उपजा रहे हैं। देश में आज भी जूट से विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार करने वाले कारखानों में ढाई लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के किसान भी जूट की खेती करके इस नगदी फसल के जरिए अपनी आर्थिक स्थिति को भी बेहतर करेंगे।
भारत सरकार महिला सशक्तिकरण पर बल दे रही है जिससे महिलाएं आज अपने पारंपरिक बंधनों को तोड़कर, बड़े वेग से हर क्षेत्र में आगे कदम बढ़ा रही हैं। व्यापार जगत मे भी महिलाऐ सफलता के परचम गाड रही है। इस लेख में जूट व्यापार मे महिलाओं की भागीदारी पर एक केस स्टडी पेश की जा रही है।
लखनऊ की एक ऐसी महिला जिन्होने कुछ ऐसा कर दिखाया जो शायद पुरूषों के लिये भी मुश्किल साबित हो। हम बात कर रहे है अंजली सिंह की। हाल ही में अंजलि को महिला उद्यमी की श्रेणी में सफलता हासिल करने के लिये राज्यपाल राम नाइक द्वारा फिक्की फ्लो अवॉर्ड से नवाजा गया है।
अंजली ने अपने मुकाम को हासिल करने के लिये नौकरी भी छोड़ दी और शुरू कर दिया जूट का व्यापार। इस व्यापार के जरिये अंजली ने खुद तो अपनी पहचान बनाई ही साथ उन महिलाओं की जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी उनको भी अपने बिजनेस से जोड़ा और रोजगार का जरिया दिया। उनकी ये पहल लोगों के लिये एक मिसाल साबित हो रही है।
राष्ट्रीय जूट बोर्ड वस्त्र मंत्रालय की तरफ से एक परियोजना चल रही थी जिसके तहत करीब ढाई हजार महिलाओं को वहां ट्रेनिंग दी जा रही थी। जब मैने देखा कि इतनी संख्या में महिलाएं ट्रेनिंग कर रही है तो मेरे दिमाग में इस व्यापार को करने का विचार आया क्योकि मुझे यहीं से महिलाएं भी मिल रहीं थी।
उन महिलाओं की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वो खुद से व्यापार शुरू कर पायें इसलिये मैने इस बिजनेस को शुरू करके उन महिलाओं को रोजगार देने का निर्णय लिया। अच्छी बात ये रही उन दिनों पाँलीथीन बैन हो चुकी थी इसलिये इस व्यापार में फायदा भी नजर आया।
हालाकि शुरूआत में महिलाओं को व्यापार में जोड़ने के लिये काफी समझाना पड़ा क्योंकि उनके घर का माहौल ऐसा नहीं था उनको नौकरी के लिये घर से बाहर भेजे लेकिन मेहनत रंग लाई और जूट आर्टीजन्स गिल्ड एसोसियेशन संस्था के नाम से जूट का व्यापार शुरू कर दिया। इस समय मेरे साथ दो सौ महिलाएं काम कर रही है।
बातचीत जारी रखते हुए अंजली ने अपने बिजनेस की शुरूआत के दिनों की बात साझा करते हुए बताया बिजनेस की शुरूआत में सबसे बड़ीचुनौती थी कच्चा माल मंगाना क्योंकि परिवार में भी पहले किसी ने बिजनेस किया नहीं था और वित्तीय स्थिति बहुत मजबूत भी नहीं थी। उस दौरान हमने छोटे छोटे डीलरों को पकड़ा जो कानपुर और दिल्ली में थे उन्होने हमें कच्चा माल उपलब्ध कराया इसके अलावा उन महिलाओं को वेतन भी देना होता था इस कारण थोड़ी मुश्किल तो होती थी।
इसका एक कारण ये भी था माल डिलीवरी के करीब तीन से चार महीने बाद में हमें पेमेंट मिल पाता था। बातचीत के दौरान अंजली ने बाताया धीरे धीरे जब हमारा बिजनेस बढ़ने लगा तब हमने बैंक से लोन के लिये आवेदन किया बैंक ने जब सर्वे किया इतनी महिलाओं को काम करते हुए देखा तो वो भी आश्वस्त हुए इस तरह से हमें बैक से लोन मिल गया।
माल की डिलीवरी के बारे में अंजली बताती है कि मैं केवल सरकारी आर्डर पर ही माल तैयार करती और बेचती हूँ आज अंजली का जूट के बैग,शॉपिंग बैग,डेलीगेट किट बनाने का व्यापार बड़ा मुकाम हासिल कर चुका है और अब वो कच्चा माल सीधे जूट मिल कलकत्ता से ही उठाती है।
अपने बिजनेस में प्रोफिट के बारे में अंजली बताती है सारे खर्चे निकालकर तकरीबन सात से आठ प्रतिशत की बचत हो जाती है क्योंकि अपने माल को हम ज्यादा मंहगे दाम में नहीं बेच सकते है अगर मंहगें दाम में बेचेंगे तो कोई लेगा नहीं। आज ज्यादा से ज्यादा लोग मुझसे जुड़ रहे है तो कीमत और क्वालिटी पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
भविष्य के बारे में अंजली बताती है कि वे इसी व्यापार को आगे बढ़ाना चाहती है और जरूरत मंदो को ट्रेनिंग देना है। ट्रेनिंग के बाद अगर वो चाहे तो हमारे यहां काम कर सकते है या खुद का व्यापार करना चाहे तो कच्चा माल हमसे ले सकते है कलकत्ता के रेट में इसमें मुझे कोई लाभ नहीं चाहिये।
कुछ अवार्ड भी किये अपने नाम
- 8 मार्च को ही इस्टर्न मसाला कंपनी की तरफ से भी बेस्ट वुमेन एंटरप्रेन्योर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया,साथ ही मई 2017में एचटी मीडिया द्वारा अवॉर्ड के लिए नामित भी की जा चुकी है।
- 8 मार्च 2017 को लखनऊ मैनेजमेंट एसोशिएशन ने बेस्ट वुमेनएंटरप्रेन्योर अवॉर्ड से सम्मानित किया।
- अंजली को 29 अप्रैल 2017 को गवर्नर राम नाइक ने आउटस्टैंडिंग वुमनएंटरप्रेन्योरके लिए फिक्की फ्लो अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
निष्कर्ष
अतएव कह सकते हैं वर्तमान में भारतीय महिलाऐ सफल उद्यमी की भुमिका बहुत अच्छे से निभा रही है । वे एक दूसरे की प्रेरणा श्रोत बनकर समाज मे बदलाव ला रही है। सरकार के सहयोग व प्रयासो से जूट उद्योग महिलाओ के सशक्तीकरण का एक महत्वपूर्ण माघ्यम बन रहा है।
Authors
के. एल. अहिरवार एवं सुजय दास
वरिष्ठ तकनिकी अधिकारी
आईसीएआर - जूट और संबद्ध फाइबर प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान
कोलकता (प.बंगाल)