Plastic Mulch (Palwar), an Advanced Gardening process
भारत में कई वषों से नई विकसित तकनीकों, संसाधनों, उन्नत तरीकों से बागवानी की जा रही है। भारत में विभिन्न प्रकार की जलवायु एवं मृदा पायी जाती है। विषम जलवायु, प्राकृतिक आपदाओं जैसे- सूखा, ओला एवं पाला आदि से फसलों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
बागवानी में मृदा नमी संरक्षण, खरपतवार नियंत्रण तथा मृदा तापमान को संतुलित बनाऐ रखना एक बडी चुनौती है। किसान विभिन्न उपायों जैसे- सूखी पत्तिायाँ, नारियल का बुरादा, सूखी राख, फसल अवशेष, सूखी घास, गन्ने की सूखी पत्तिायाँ, कागज आदि को अपनाकर मृदा में नमी संरक्षण करता है।
पलवार का उपयोग खरपतवार वृध्दि को रोकने एवं मृदा तापमान को संतुलित बनाये रखने में सहायता करता है। प्लास्टिक फिल्म का उपयोग जब पलवार के रूप में किया जाता है, तो उसे प्लास्टिक पलवार कहते है।
प्लास्टिक पलवार के लाभ:-
- मृदा में नमी संरक्षण- पलवार मृदा की सतह से नमी का वाष्पोत्सर्जन द्वारा होने वाली हानि को कम करता है।
- खरपतवार नियंत्रण- प्लास्टिक पलवार खरपतवार की वृध्दि को नियंत्रित करता है।
- मृदा संरचना में सुधार- प्लास्टिक पलवार वर्षा से होने वाले क्षरण, कटाव आदि को कम करता है।
- उत्पादक की गुणवत्ताा में सुधार- पलवार मृदा व फलों एवं सब्जियों के बीच पतली परत का निर्माण करती है, जिससे फल एवं सब्जियाँ खराब होने से बच जाती है।
- पलवार मृदा के तापमान को बढ़ाती है, जिससे नये बीज का अंकुरण शीघ्र व पौधा जल्दी स्थापित होता है। साथ ही जड़ो का बेहतर विकास होता है।
पलवार के लिए प्लास्टिक केे प्रकार
विभिन्न प्रकार प्लास्टिक फिल्म का पलवार के लिए उपयोग किया जाता है। एल.डी.पी.ई., एच.डी.पी.ई. एवं लचीले पी.वी.सी. का उपयोग किया जाता है। आजकल मुख्यतया एल.एल.डी.पी.र्इ्र्र. आधारित प्लास्टिक पलवार का उपयोग किया जाता है। प्लास्टिक फिल्म विभिन्न रंगों में उपलब्ध होती है। जैसे काला, पारदर्शी, पीला/काला, सफेद/काला, सिल्वर/काला, लाल/काला, जैव-अपघटनीय प्लास्टिक फिल्म, सौर-अपघटनीय प्लास्टिक फिल्म,
प्लास्टिक पलवार फिल्म का चयन
प्लास्टिक पलवार फिल्म का चयन खेती की जरूरत के अनुसार जैसे- नमी संरक्षण, खरपतवार नियंत्रण, मृदा तापमान को बढ़ाना, रोग नियंत्रण इत्यादि एवं फसल के प्रकार व उसकी अवधि के अनुसार किया जाता है। खेती की जरूरत के अनुसार प्लास्टिक पलवार फिल्म का चयन करना चाहिएे।
बरसात | छिद्रित फिल्म |
फलवाटिका बगीचा | मोटा मल्च |
मृदा सौरीकरण | पतला एवं पारदर्शी फिल्म |
सौरीकरण द्वारा खरपतवार नियंत्रण | पारदर्शी फिल्म |
फसलों में खरपतवार नियंत्रण | काली फिल्म |
गर्मी की फसल | काली फिल्म |
कीट अवरोधक | सिल्वर फिल्म |
शीघ्र अंकुरण | पतली फिल्म |
प्लास्टिक पलवार की मोटाई
सामान्यतया जब प्लास्टिक पलवार सौरीकरण के लिए उपयोग की जाती है, तो मोटाई पलवार के प्रभाव को प्रभावित नहीं करती है। परन्तु फसल उत्पादन को फिल्म की मोटाई प्रभावित करती है। विभिन्न प्रकार के फलों एवं सब्जियों के लिए प्लास्टिक शीट की मोटाई इस सारणी में दी गयी है।
मोटाई (माइक्रोन) | समय अवधि | फसल |
25 | 1 साल | वार्षिक अवधि की सब्जियाँ |
50 | 1 साल | वार्षिक फसल जैसे- केला, अनन्नास, स्ट्राबेरी एवं पपीता इत्यादि। |
100 | 1 या 2 साल | बहुवार्षिक फसल जैसे- ऑंवला, लीची, आम, बेर, नीबू,अमरूद, अनार इत्यादि। |
प्लास्टिक पलवार की चौड़ाई
यह फसलों की अन्त: पंक्ति दूरी पर निर्भर करता है। सामान्यतया 90 से 180 सेमी चौड़ी प्लास्टिक पलवार फिल्म का चयन करना चाहिए।
प्लास्टिक पलवार को बिछाते समय ध्यान रखने योग्य बातें-
- पलवार को बिछाने से पूर्व कृषि क्रियायें जैसे-खेत जोतना, खरपतवार हटाना, गोबर खाद मिलाना एवं सिंचाई इत्यादि कार्य कर लिये जाने चाहिए।
- प्लास्टिक फिल्म को अधिक नहीं खींचना चाहिए।
- प्लास्टिक फिल्म को अधिक गर्मी वाले दिनों में नहीं बिछाना चाहिए।
- पौधों की रोपाई एवं बीजों की बोआई पलवार के छिद्रों में करनी चाहिए।
सब्जियों में पलवार बिछाना
पलवार को फसल की बोआई या रोपाई से पूर्व लगाया जाता है। खेत में क्यारी बनाने के बाद प्लास्टिक पलवार को बिछा कर किनारे से दबा दिया जाता है, जिससे वह हवा से इधर-उधर ना उड़ सके। आजकल ट्रेक्टर द्वारा पलवार बिछाने वाली मशीन भी उपलब्ध है, जिससे समय व धन की बचत होती है।
फलदार वृक्षों में पलवार बिछाना
पौधें को प्लास्टिक पलवार फिल्म के बीच में जहाँ छिद्र किया गया है, वहाँ लगाया जाता है एवं चारों ओर के जगह को प्लास्टिक फिल्म से ढँक दिया जाता है। फलदार वृक्षों के रोपण के बाद प्लास्टिक फिल्म के बिछाया जाता है। पुराने बागों में वृक्षों के थाले के आकार के बराबर की प्लास्टिक पलवार फिल्म का टुकड़ा काटकर बिछाया जाता है, फिर उसे अच्छी तरह चारों तरह से मिट्टी से दबा दिया जाता है, ताकि फिल्म हवा से न उड़ सके पाये।
प्लास्टिक पलवार को बिछाने के बाद सिंचाई प्रबंधन
प्लास्टिक पलवार को बिछाने के बाद खेत व बाग में सिंचाई और खाद डालने के लिए ड्रिप सिंचाई (बूँद-बूँद) प्रणाली उपयुक्त होती है। यदि ड्रिप सिंचाई संभव न हो तो एक तरफ से फिल्म को खुला कर नाली के सहारे भी सिंचाई की जा सकती है।
फलों एवं सब्जियों के लिए उपयुक्त पलवार एवं उनका प्रभाव:-
फसल | पलवार की मोटाई (माइक्रोन) | उपज में वृध्दि (प्रतिशत) |
फल | ||
अमरूद | 100 | 25-30 |
स्ट्राबेरी | 25 | 40-50 |
अनार | 100 | 25-30 |
केला | 50 | 35-40 |
अनन्नास | 50 | 30 |
ऑंवला | 100 | 20-25 |
नीबू | 100 | 20 |
सब्जियाँ | ||
मिर्च, भिण्डी | 25 | 50-60 |
आलू, बैंगन | 25 | 30-40 |
शिमला-मिर्च, टमाटर, फूलगोभी | 25 | 40-50 |
प्लास्टिक पलवार पर सब्सिडी
भारत सरकार द्वारा किसानों को प्लास्टिक पलवार के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है। यदि किसान पलवार का उपयोग 1 हेक्टेयर क्षेत्र में करता है, तो प्रति हेक्टेयर इकाई लागत 20,000 रु. का 50 प्रतिशत अधिकतम 10,000 रु. प्रति हेक्टेयर सहायतानुदान दी जाती है।
यह सहायतानुदान राषि राष्ट्रीय उद्यानिकी मिषन व अन्य संबंधित योजनाओं द्वारा प्रदाय की जाती है। ये सारी योजनायें राज्य सरकार के द्वारा उद्यानिकी विभाग के अंतर्गत कार्यान्वयित की जाती है। इच्छुक कृषक अपने जिला के सहायता निदेशक, उद्यानिकी कार्यालय से सम्पर्क कर इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं
Authors:
सरिता पैकरा, हेमन्त पाणिग्रही, संगीता चंद्राकर एवं पुनेश्वर सिंह पैकरा
फल विज्ञान विभाग
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, कृषक नगर, रायपुर
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