Fertigation system in micro irrigation
जब ड्रिप सिंचाई प्रणाली में जल के साथ - साथ उर्वरक , कीटनाशी एवं अन्य घुलनशील रासायनिक को सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है, इस प्रणाली को फर्टिगेशन कहा जाता है । परंपरागत विधि की तुलना में इसमें जल के साथ रासायनिक उर्वरकों की भी अधिक मात्रा में बचत होती है एवं रसायन और उर्वरकों का दक्ष उपयोग होता है ।
फर्टिगेशन के लाभ
- पौधों को सही मात्रा में पानी और उर्वरक मिलता है ।
- रासायनिक उर्वरक पानी के साथ मिलकर सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचते है जिससे पौधे उनको आसानी से अवशोषण करते है ।
- जमीन के अन्य भाग में रसायन तत्व नहीं डाले जाते है इसलिए खेतों में खरपतवार की समस्या उत्त्पन्न नहीं होती है ।
- रासायनिक तत्व को ड्रिप प्रणाली के माध्यम से ही पौधों तक पहुंचाया जाता है इसलिए श्रमिकों की लगत में कमी आती है ।
- पौधों की उर्वरक उपयोग क्षमता बढ़ती है और उर्वरक की लगत में लगभग ५० प्रतिशत की कमी आती है ।
- कम मात्रा में रासायनिक पदार्थों का उपयोग भूमि गत जल और मृदा प्रदुषण रोकथाम में सहायक होती है ।
- फसल की वृद्धि और उच्च गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है ।
- फर्टिगेशन द्वारा ड्रिप सिंचाई करके बंजर, उबड़- खाबड़ और अयोग्य जमीन को उपजाऊ और कृषि योग्य बनाया जा सकता है और अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है । विभिन्न उर्वरक जिनकी मिटटी में कमी हो उनकी कमी दूर करने के लिए हिसाब से मिटटी में डाला जा सकता है ।
फर्टिगेशन में उपयोग होने वाले विभिन्न यन्त्र
फर्टिगेशन प्रणाली में मुख्य रूप से 4 यंत्रों का होना अनिवार्य है:
1.. उर्वरक टंकी :
इसका उपयोग जल में रासायनिक तत्वों के विलयन के लिए किया जाता है । सर्व प्रथम इस टंकी में घोल पदार्थ तैयार किया जाता है फिर विभिन्न उपघटकों के माध्यम से प्रणाली तक संचारित किया जाता है।
इस टंकी का आकार इस प्रकार तय किया जाना चाहिए के इसमें फसलों की आवश्यकता अनुसार के घोल रखा जा सके । साथ ही टंकी ऐसे पदार्थ की बनी होना चाहिए जो रासायनिक तत्वों के साथ क्रिया न करें वरना क्षरण एवं जंग जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है । मुख्यतः ये टंकिया पी. वी सी. पदार्थ से बनी होती है ।
2. वेंचुरी:
मुख्य पाइप में अवरोध उत्पन्न करने के लिए संकीर्णन का निर्माण किया जाता है जिससे दाब में अंतर (वैक्यूम) बनता है फलस्वरूप रासायनिक टंकी से वेंचुरी द्वारा पानी के प्रवाह में उर्वरक घोल पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है। इसका उपयोग बहुत ही सरल है और ये एक सस्ती प्रणाली है । यह उपकरण छोटे क्षेत्र के लिए सबसे उपयुक्त है।
3. उर्वरक पंप: उर्वरक पंप
नियंत्रण प्रमुख का एक मानक घटक है। उर्वरक घोल को टैंक में रखा जाता है और पंप के माध्यम से किसी भी वांछित अनुपात में सिंचाई के पानी में इंजेक्ट किया जा सकता है। जिससे प्रत्येक पौधों के लिए उर्वरक को उचित मात्रा में उपलब्ध कराया जाता है।
4. उर्वरक अन्तः क्षेपण यन्त्र:
फर्टिगेशन प्रणाली में पंप और छन्नो के बीच इस यंत्र को लगाया जाता है जिससे बिना घुला उर्वरक ड्रिप तंत्र में न पहुंचे और छन्ने से छन कर अलग हो जाए। इसके उपयोग से ड्रिप प्रणाली में जमे उर्वरक जल के साथ अलग हो जाते है जिससे ड्रिप तंत्र के विभिन्न अवयवों के क्षय और उनमे अवरोधन की समस्या कम हो जाती है ।
आरम्भ और अंत के एक - चौथाई समय में सिर्फ जल का प्रवाह करना चाहिए और बीचे के दो - चौथाई समय के लिए ही उर्वरक अन्तः क्षेपण यन्त्र को चलना चाहिए ।
विभिन्न तरीकों से उर्वरक छिड़काव से पौधों की उर्वरक उपयोग क्षमता
पोषक तत्व | उर्वरक उपयोग क्षमता (%) | |
सीधे मिट्टी में | छिड़काव फर्टिगेशन द्वारा | |
नाइट्रोजन | 30-50 | 95 |
फॉस्फोरस | 20 | 45 |
पोटाश | 50 | 80 |
नाइट्रोजन फर्टिगेशन:
यूरिया सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली में इंजेक्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ है। यह अत्यधिक घुलनशील है और गैर-आयनिक रूप में घुलता है, एवं यह पानी में उपलब्ध अन्य पदार्थों के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है ।
ड्रिप फर्टिगेशन में यूरिया, अमोनियम नाइट्रेट, अमोनियम सल्फेट, कैल्शियम अमोनियम सल्फेट, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट का नाइट्रोजन उर्वरकों के रूप में उपयोग किया जाता है।
फॉस्फोरस फर्टिगेशन:
सिंचाई के पानी के साथ फास्फोरस के उपयोग से फॉस्फेट लवण का सिंचाई प्रणाली में जमने की समस्या उत्पन्न होती है । फॉस्फोरिक एसिड और मोनो अमोनियम फॉस्फेट फर्टिगेशन प्रणाली के लिए अधिक उपयुक्त है।
पोटाश फर्टिगेशन:
इन् उर्वरकों का आसानी से फर्टिगेशन प्रणाली के साथ उपयोग किया जा सकता है, इनसे लवण के जमने की समस्या उत्पन्न नहीं होती है । ड्रिप फर्टिगेशन में पोटेशियम नाइट्रेट, पोटेशियम क्लोराइड, पोटेशियम सल्फेट और मोनो पोटैशियम फॉस्फेट का उपयोग किया जाता है।
सूक्ष्म पोषक तत्व:
ड्रिप फर्टिगेशन में Fe, Mn, Zn, Cu, B, Mo को सूक्ष्म पोषक तत्वों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
विभिन्न उर्वरकों की संगति
उर्वरक |
यूरिया |
अमोनिया नाइट्रेट |
अमोनिया सल्फेट |
कैल्शियम नाइट्रेट |
मोनो अमोनिया फॉस्फेट |
मोनो पोटैशियम फॉस्फेट |
पोटैशियम नाइट्रेट |
यूरिया |
- |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
अमोनिया नाइट्रेट |
हाँ |
- |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
अमोनिया सल्फेट |
हाँ |
हाँ |
- |
सीमित |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
कैल्शियम नाइट्रेट |
हाँ |
हाँ |
सीमित |
- |
नहीं |
नहीं |
हाँ |
मोनो अमोनिया फॉस्फेट |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
नहीं |
- |
हाँ |
हाँ |
मोनो पोटैशियम फॉस्फेट |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
नहीं |
हाँ |
- |
हाँ |
पोटैशियम नाइट्रेट |
हाँ |
हाँ |
सीमित |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
- |
उर्वरकों में पोषक तत्वों की प्रतिशत मात्रा
उर्वरक |
नाइट्रोजन (%) |
फॉस्फोरस (%) |
पोटाश (%) |
अमोनियम सल्फेट |
20.5 |
0 |
0 |
अमोनियम क्लोराइड |
26 |
0 |
0 |
सोडियम नाइट्रेट |
16 |
0 |
0 |
कैल्शियम नाइट्रेट |
5-15 |
0 |
0 |
अमोनियम नाइट्रेट |
33-34 |
0 |
0 |
मोनो अमोनियम फॉस्फेट |
11 |
48 |
0 |
डायमोनियम फॉस्फेट |
18 |
46 |
0 |
इफ्को एन पी के ग्रेड 1 |
15 |
15 |
15 |
इफ्को एन पी के ग्रेड 2 |
12 |
32 |
16 |
यूरिया |
46 |
0 |
0 |
सुपर फास्फेट (एकल) |
0 |
16-18 |
0 |
सुपर फास्फेट (दोहरा) |
0 |
32 |
0 |
सुपर फास्फेट (ट्रिपल) |
0 |
46-49 |
0 |
डाएकैलशिम फॉस्फेट |
0 |
34-39 |
0 |
म्यूरेटऑफ़पोटाश |
0 |
0 |
60-62 |
पोटेशियम नाइट्रेट |
0 |
0 |
44-45 |
पोटेशियम सल्फेट |
0 |
0 |
48-52 |
फर्टिगेशन में मुख्य सावधानियाँ:
पौधों को फर्टिगेशन करते समय निम्न लिखित सावधानियाँ रखना चाहिए:-
- उर्वरकों को मिलाते समय उनकी संगतियों के अनुसार ही उनका मिश्रण तैयार करना चाहिए जिससे वो आपस में रासायनिक क्रिया कर अवक्षेपण न बनाए ।
- रासायनिक घोल बनाने के लिए उर्वरकों का सही अनुपात में मिश्रण तैयार करना चाहिए ।
- सल्फेट और फॉस्फेट युक्त उर्वरकों को कैल्शियम युक्त उर्वरकों के साथ मिश्रित नहीं करना चाहिए ।
Authors
अजिता गुप्ता1 , चेतन कुमार सावंत2
1वैज्ञानिक, आईसीएआर-भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसन्धान, झाँसी (उ. प्र.)- 284 003
2वैज्ञानिक, आईसीएआर- केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संसथान, भोपाल (म. प्र.)– 462 038
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