Improved Seed Production Through Superior Processing

भारत में वर्ष 2012-13 में खाद्यान उत्पादन लगभग 248 मि.टन हुआ है । इसमें गेहूँ का उत्पादन लगभग 87 मि.टन होने का अनुमान है । एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2020 तक लगभग 280 मि.टन उत्पादन की आवश्यकता होगी ताकि बढ़ती हुई जनसंख्या की मांग पूरी की जा सके । इसके अतिरिक्त जीवन स्तर बढ़ने व प्रसंस्करण उद्योगों की मांग भी पूरी की जा सकती है । चूंकि अधिक उत्पादन के लिए अतिरिक्त क्षेत्र बढ़ने की संभावना नहीं है । अत: बेहतर उत्पादकता से ही अधिक उत्पादन लिया जा सकता है । हमारे देश में उत्पादन में काफी अंतर (4.2 से 2.4 टन/है.) है  इसे काफी हद तक अच्छी गुणवत्ता के बीजों के इस्तेमाल से कम किया जा सकता है ।

वंशानुगत शुध्दता (genetic purity), भौतिक शुध्दता (physical purity), आकार में समानता कुछ ऐसे गुण है जो कि एक अच्छे बीज की गुणवत्ता तय करते हैं । वंशानुगत शुध्दता, फसल उत्पादन से संबंधित है । लेकिन अन्य गुण उत्पादन के बाद प्रसंस्करण से सम्बन्धित हैं । खेत से उत्पादित बीज में काफी अविकसित, नष्ट हुए बीज व अन्य कई अशुध्दियां होती है इनके कारण बीज का भंडारण करते समय कीड़ों व अन्य बीमारियों का खतरा पैदा हो जाता है । बीज का भंडारण काफी महत्वपूर्ण है । चूंकि बीज को अगले फसल चक्र में उपयोग किया जाना है जो कि लगभग 8 से 9 माह बाद आता है ।

अनेक अध्ययनों में छोटे बीज की तुलना में बड़े आकार के बीज की महत्ता को दर्शाया गया है । बड़े आकार के बीज में उत्पादन, पौध जोश व वजन बढ़ाने की क्षमता होती है । गेहूं की फसल में बीज के आकार का, बीज जोश से सीधा सम्बन्ध होता है । इससे उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलती है । आकार में समानता होने के कारण मशीनों से इसकी बिजाई में भी काफी मदद मिलती है जिससे उत्पादकता बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है । अच्छे प्रसंस्करण के द्वारा यह संभव है ।

प्रसंस्करण के लिए मुख्य मशीने चार प्रकार की होती है ।

  1. एयर स्क्रीन कलीनर व ग्रेडर (Air screen cleaner and grader).
  2. लेन्ग्थ सेप्रेटर (Length seperator)
  3. स्पेस्फिक ग्रेविटी सेप्रेटर (Specific gravity seperator)
  4. सीड ट्रीटर ( Seed treater)

इन मशीनों को  ऊपर बताये क्रम के अनुसार ही प्रयोग करना चाहिए ।

1. एयर स्क्रीन क्लीनर व ग्रेडर -

गेहूं प्रसंस्करण के लिए यह मशीन काफी महत्वपूर्ण है । इस मशीन से हल्की अशुध्दियां जैसे कि हल्का बीज, भूसा, पत्तियां, मिट्टी के ढेले बहुत छोटे बीज व अन्य टूटे हुए बीज अलग करने में काफी मदद मिलती है । इस मशीन में अलग-2 प्रकार के झरने कंपन करने वाले सैट के साथ लगाए जाते है । हवा के झोंके से हल्की अशुध्दियां दूर हो जाती है । बीज से धूल मिट्टी को भी बलोअर द्वारा सोख लिया जाता है। इसके लिए झरनों का चुनाव, हवा की गति, झरनों का झुकाव, कंपन की गति आदि काफी महत्वपूर्ण है ।

2. सीड लैैथं सैैप्रेटर -

इस मशीन में बीज की लम्बाई के अनुसार शुध्दता की जाती है । इस यंत्र से विशेष रूप से टूटे हुए बीज व खरपतवार के बीज अलग करने में मदद मिलती है । जो कि अच्छे बीज की तुलना में छोटे या बड़े आकार के होते है । इस मशीन में एक इन्डेन्टेड सिलेन्डर होता है जो कि घूमता है इस सिलेन्डर की अन्दर की सतह पर छोटे छोटे स्लोट्स होते है इससे छोटे व बड़े आकार के बीज अलग अलग करने में मदद मिलती है । इस मशीन की गुणवता सिलेन्डर गति, इन्डेन्ट आकार, सिलिन्डर का झुकाव आदि पर बहुत निर्भर करती है ।

3. स्पेस्फिक ग्रेविटी सेप्रेटर -

ऊपर बताई दोनों मशीनों से बीज की सफाई के बाद यदि बीज की जरमिनेशन (germination) प्रतिशत ठीक नहीं है तो फिर इसकी इस यंत्र से सफाई की जाती है । कभी कभी बीज में अशुध्दियां जैसे कि पत्थर व मिट्टी के छोटे-2 ढेले व कीड़ों से खाए हुए व अविकसित बीज रह जाते है इन अशुध्दियों को इस यंत्र से दूर किया जाता है।  यह यंत्र घनत्व के अनुसार कार्य करता है इसमें बीजों के तैरने का सिध्दान्त प्रयोग होता है इस यंत्र में बीज झरने पर ऊंचाई के अनुसार कम्पन करते है । इससे हल्के बीज व भारी बीज अलग अलग हो जाते है । इस मशीन की अच्छी दक्षता के लिए हवा का वोल्यूम, झरनों का झुकाव, कम्पन गति व फीड रेट काफी महत्वपूर्ण है ।

4. सीड ट्रीटर -

बीज की शुध्दता के बाद उसमें दवाई का छिड़काव किया जाता हे । इसके लिये यह यंत्र प्रयोग किया जाता है । इस यंत्र के द्वारा द्रव रूप में दवा को बीज के ऊपर छिड़का जाता है । इस यंत्र से हर बीज को लगभग समान रूप से दवा मिल जाती है । इस कारण बीज से कीड़ों व अन्य बीमारी फैलाने वाले कीड़ो को दूर भगाने में मदद मिलती है । इससे बीज भंडारण के दौरान शुध्द रहता है ।

इन मशीनों के प्रयोग से गेहू के बीज की जरमिनेशन (germination) प्रतिशत मे लगभग 10 प्रतिशत तक की वृध्दि के साथ लगभग 95 प्रतिशत पाई गई है । इसी प्रकार भौतिक शुध्दता लगभग 99.9 प्रतिशत पाई गई है ।

इस प्रकार हम देखते है कि अच्छे प्रसंस्करण के द्वारा शुध्द बीज प्राप्त किया जा सकता है । इस शुध्द बीज को जब बिजाई के समय प्रयोग किया जाता है तो अच्छी उत्पादकता के कारण अच्छे उत्पादन की अच्छी संभावना होती है । इसके अलावा प्रसंस्करण के बाद जीवित बीज की प्रतिशतता लगभग 94 प्रतिशत पाई गई है जो कि मानक 83.3 प्रतिशत से काफी अधिक है, अत: बिजाई के लिए बीज रेट को भी काफी कम किया जा सकता है । इस प्रकार उसी मात्रा के द्वारा अतिरिक्त क्षेत्र में बिजाई की जा सकती है व पैसा बचाने में काफी मदद मिलती है ।

यह सभी मशीने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केन्द्र, करनाल में जापान के सहयोग से लगाये गए आधुनिक प्रोसेसिंग प्लांट में मौजूद है। इस प्लांट में गेहूँ, धान, मक्का, बाजरा, तिलहन, दलहन व सभी प्रकार की सब्जियों के बीज का प्रसंस्करण सफलता से किया जा रहा है । इस प्रसंस्करण के द्वारा बीज की जरमिनेशन प्रतिशन इंडियन मिनिमम सीड सर्टीफिकेशन स्टेन्डर्ड के मानको से ऊपर लगभग 15 प्रतिशत तक बढ़ाने में मदद मिली है । इस कारण अच्छे उत्पादन की संभावना काफी प्रबल हुई है । प्रसंस्करण के अलावा इस प्लान्ट में बैगिंग व पैकेजिंग भी की जाती है । 10 किलों से 100 किलो तक के बैग में पूर्व निर्धारित मात्रा का बीज भरा जाता है व मशीन के द्वारा अपने आप बैग की सिलाई भी हो जाती है । इन पैकेटों को किसानों व अन्य उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराया जाता है । इस प्रकार अच्छा बीज पूरे क्षेत्र में उपलब्ध होने के कारण अच्छी उत्पादकता के कारण फसलों के अच्छे उत्पादन में मदद मिलती है ।


Authors:

डॉ. पी.के.शर्मा एवं डॉ. एस.एस.अटवाल

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान

क्षेत्रीय स्टेशन, करनाल-132 001

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