Seed Priming Techniques for Seed Germination Quality Improvement
बुवार्इ के पश्चात खेतों की प्रायोगिक परिसिथतियों में बीजों का उच्च तथा एक समान रुप से उगना अच्छी फसल के लिए आवश्यक है। विषम तापमान तथा वातावरण में बीजों का उगाव अपेक्षाकृत कम होकर एक समान नहीं रह पाता। परिणामस्वरुप उत्तर भारत के सब्जी किसान बसंतकालीन फसल की अगेती बुवार्इ हेतु सामान्य से अधिक बीज-दर अपनाते है।
अधिक आय की आशा में कृषक समयपूर्व बुवाई करते है। कमगुणता युक्त बीजों की बुवार्इ उपरांत उगाव प्रतिशत सुधारने में बीज प्राइमिंग की विधि उपयोगी पायी गई है।
इस प्रक्रिया में बीजों को उनकी अंकुरण पूर्व चयापचय गतिविधि को आगे बढने तक नियमित जलयुक्त किया जाता है। परंतु सूक्ष्म तरुमूल को प्रस्फुटित होने से रोका जाता है।
बीजों की प्राइमिंग हेतु विभिन्न विधिया अपनार्इ जाती है। इसमें बीजों में प्राथमिक मूलांकूरण प्रकि्रया आरंभ की जाती है परंतु मूलांकूर को बीजावरण से बाहर निकालने से रोका जाता है। बीजों को बोने से पूर्व सुषुप्तावस्था से जगाया जाता है।
हाइड्रो प्राइमिंग:
बीजों को बुवार्इ से पहले, फसल और प्रजाति के गुणानुसार पूर्व निशिचत काल तक जल में भिगोया जाता है। भीगने का समय पुरा होने पर, बीज सतह को वस्त्रों की परत में दबा कर या फिर खुली धूप में सुखाया जाता है। सुरक्षित सीमा की जानकारी होने पर किसान अपना बीज हाइड्रो प्राइम कर सकते है। इन सुरक्षित सीमाओं की गणना इस सावधानी से की जाती है कि जल से विलग कर देने पर इनकी अंकुरण प्रकि्रया चालू न रहे।
ओस्मो प्राइमिंग:
बीजों की ओस्मो प्राइमिंग बीजों को परिक्षण नली या सिलिंडर में -0.5 से -1.0 एम . पी. ए . तक के पोली इथाइलीन 6000 धोल में भिगोया जाता है। प्राइमिंग प्रक्रिया के दौरान एक शीशे की नली द्वारा जो एक रबर पाइप के द्वारा अक्वेरियम पंप से जुड़ी होती है बीजों में वायु संचार किया जाता है। प्राइमिंग 2 से 7 दिन के समय तक एक सिथर तापमान (20 से 250 से.) पर किया जाता है। स्िथर आयतन बनाये रखने के लिए प्राइमिंग पात्र में आवश्यकतानुसार आसवित जल दिया जाता है। इस प्रकार धोल की जल शकित सिथर रहती है। प्राइमिंग प्रकि्रया काल पूर्ण होने पर बीजों को उपरोक्त धोल से निकाल कर जल से प्रक्षलित करके उनकी सतह को तत्काल सुखा लिया जाता है।
हेलो प्राइमिंग :
बीजों को एक निशिचत समय तक निशिचत तापमान के लवणीय धोल में भिगोकर हेलो प्राइम किया जाता है। सामान्यता पौटाशियम नाइट्रेट, कैलिशयम नाइट्रेट और मैग्नीशियम नाइट्रेट के 10 से 30 मि. मोलर सांद्रता वाले धोल प्रयोग में लाए जाते है। भिगोने का समय पूर्ण होने पर बीजों को धोल से निकाल कर सुखा लिया जाता है।
सोलिड मैट्रिक्स प्राइमिंग :
सोलिड मैटि्रक्स प्राइमिंग हेतु 100 ग्राम बीज की मात्रा को 200 ग्राम वर्मिक्युलाइट जिसमें 250 मी. लीटर जल मिला होता है, भिगोया जाता है। वर्मिक्युलाइट तथा बीजों को अच्छी तरह मिश्रित करके, एक पलासिटक थैली में बंद करके उन्हे निशिचत तापमान पर निशिचत काल तक इन्कूबेट कर दते है। इन्कूबेशन काल की समापित पर बीजों को छानकर मूल नमी तक सुखा लिया जाता है।
मूल नमी तक सुखाने के उपरान्त, प्राइम शुदा बीजों को बोया जा सकता है। बुवार्इ में विलम्ब होने पर, प्राइम शुदा बीजों को कर्इ दिनों तक सूखे स्थान पर संचित किया जा सकता है।
विभिन्न सब्जी फसलों पर प्राइमिंग का प्रभाव :
फसलबीज |
प्राइमिंग विधि |
विवरण |
करेला
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हाइड्रेशन |
गीले मखमल वस्त्र पर में 200 से.ग्रे ताप पर 48 धंटे लपेट कर रखें |
ओस्मोप्राइमिंग |
मेनीटोल रसायन (-1.0 एम. पी. ए.) में 250 से.ग्रे ताप पर तीन दिन भिगोयें |
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सोलिड मैटि्रक्स प्राइमिंग |
वर्मिक्युलाइट मृदा में 200 से.ग्रे ताप पर 48 धंटे रखें |
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भिंडी
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सोलिड मैटि्रक्स प्राइमिंग |
वर्मिक्युलाइट मृदा में 200 से.ग्रे ताप पर 20 धंटे रखें |
हाइड्रोप्राइमिंग |
जल में 200 से.ग्रे ताप पर 20 धंटे भिगोयें |
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मिर्च |
सोलिड मैटि्रक्स प्राइमिंग |
वर्मिक्युलाइट मृदा में 200 से.ग्रे ताप पर 48 धंटे रखें |
टमाटर
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ओस्मोप्राइमिंग |
पी. र्इ. जी. (-1.0 एम. पी. ए.) में 250 से.ग्रे ताप पर छ: दिन भिगोयें |
हेलोप्राइमिंग
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पौटाशियम नाइट्रेट (KNO3 15 मि. मोलर में ) 200 से.ग्रे ताप पर 20 धंटे भिगोयें |
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पपीता
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पी. जी. आर.
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जी.ए. 3 (2 मि. मोलर में ) 24 धंटे भिगोयें |
मटर |
हाइड्रोप्राइमिंग |
जल में सामान्य तापमान पर 12 धंटे भिगोयें |
बीज प्राइमिंग के लाभ :
- बुवाई उपरान्त प्रक्षेत्र-मृदा में तीव्र एवं एकसार उगाव
- उत्तम पौध औज एवं जडों का अच्छा विकास
- विषम वातावरणीय तापमान पर भी समुन्नत पौध जमाव
- उत्तम फसल विकास तथा उपज
- प्लग विधि से पौध उत्पादन में प्राइम बीज अच्छी उपज देते है।
लेखक-
विनोद कुमार पंडित एंव सुरेश चन्द राणा
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय स्टेशन, करनाल-132001