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Importance of millets in the context of climate change Coarse grain is called millet in English. Millets are a nutritious food for humans and animals. You can grow millet anywhere. It can be easily grown in dry areas, rainy areas, coastal areas or hilly areas. People around the world should take note of the general benefits of climate-friendly millet production and consumption as this crop is hassle-free to produce and has many health benefits. Importance of millets in the context of climate change मोटे अनाज को अंग्रजी में मिलेट कहते है। मोटे अनाज मानव और जानवरों के लिए एक पौष्टिक आहार है। मिलेट को आप कहीं पर भी उगा सकते है। इसे सूखे...

बानयार्ड मिल्लेट - पोषण सुरक्षा की भविष्य The crop of Sanwa is capable of withstanding difficult conditions and giving high yield. Being a C4 crop, its grain and fodder yield is higher than other cereals. The duration of harvesting of sorghum is 75 to 100 days and the average yield is up to 2200 kg/ha. बानयार्ड मिल्लेट - पोषण सुरक्षा की भविष्य खाद्य सुरक्षा की परिभाषा सन 1970 के हरित क्रांति से ही विकसित होती आई है। खाद्य सुरक्षा का अर्थ शुरुवात मे हर व्यक्ति को अन्न पर्याप्त मात्र और वहनयोग मे मिलना था। परिस्थिति बदली है की खाद्य सुरक्षा अन्न पर्याप्त  मात्रा के साथ साथ  अच्छे गुणवत्ता से मिलना भी है। ऐसे...

Food Security in the Age of Climate Change through Coarse Cereals जलवायु परिवर्तन का भारत जैसे उभरते देशों की खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। यह खाद्य उपलब्धता, खाद्य पहुंच, खाद्य उपयोग और खाद्य प्रणाली स्थिरता को प्रभावित करता है जो खाद्य सुरक्षा के चार आयाम है। वर्तमान स्थिति में विश्व में हर तरफ जलवायु परिवर्तन के कारण मुख्य खाद्य फसलों की उत्पादकता पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। कृषि विशेषज्ञ बारिश की बढ़ती अनियमतता और फसलों के पकाव के समय अत्यधिक तापमान के प्रतिकूल प्रभाव से फसलों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे है। मोटे अनाज वाली फसलों में अन्य खाद्य फसलों के मुकाबले सूखे...

Nutritious and healthy coarse grains are super food cereals भारत में 60 के दशक के पहले तक कदन्न अनाज की खेती की परम्परा थी। कहा जाता है कि हमारे पूर्वज हजारों वर्षों से कदन्न अनाज का उत्पादन कर रहे हैं। भारतीय हिंदू परंपरा में यजुर्वेद में कदन्न अनाज का जिक्र मिलता है। 50 साल पहले तक मध्य और दक्षिण भारत के साथ पहाड़ी क्षेत्रों में मोटे अनाज की खूब पैदावार होती थी। एक अनुमान के मुताबिक देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन में कदन्न अनाज की हिस्सेदारी 40 फीसदी थी। कदन्न अनाज को मोटा अनाज भी कहा जाता है क्योंकि इनके उत्पादन में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती। ये अनाज कम पानी और कम उपजाऊ...

Major diseases of coarse grain, Millet and their prevention बाजरा पश्चिमी राजस्थान में बोई जाने वाली प्रमुख फसल है। बाजरा भारत की प्रमुख फसलाें में से एक है। जिसका उपयोग भारतीय लोग बहुत लम्बे समय से करते आ रहे है। इसकी खेती अफ्रीका और भारतीय महाद्वीप में बहुत समय पहले से की जा रही है। अधिक सूखा सहनशीलता उच्चे तापमान व अम्लीयता सहन के कारण बाजरा उन क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है जहा मक्का या गेहूं नहीं उगाये जा सकते है। बाजरा बहुत रोगों से प्रभावित होता है जिसका समय पर उपचार कर फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है। बाजरे की बिमारियां निम्न प्रकार से है। 1. तुलासिता व हरित...

Major diseases of Sorghum and Millet and their management ज्वार भारत की एक महत्वपूर्ण खाद्य और चारा फसल है। जवार में अन्न-कंड, अरगट (गदाकरस), एन्थे्रकनोज (काला धब्बा रोग) इत्यादी अधिक हानिकारक है। इसलिए इन रोगों का नियंत्रण आवष्यक है। (1) अन्न कंड (ग्रेइन स्मट) रोगजनक: स्फासेलोथेका सोर्गी (लिंक) यह रोग सभी कंड रोगों में सबसे अधिक हानिकारक है, जिससे पूरे भारत में अनाज की उपज को अत्याधिक नुकसान होता है। यह रोग ज्यादातर बरसाती और सिंचित ज्वार मे पाया जाता है। रोग के लक्षण: यह रोग केवल दाने बनने के समय में आता है। रोग ग्रस्त बालियों में कुछ दाने सामान्य दाने से बडे होते है। जब रोग की तीव्रता बढ जाती है उस वक्त...

Multi cut fodder sorghum cultivation technique.  भारत में मात्र 4 प्रतिशत भूमि पर चारे की खेती की जाती है तथा एक गणना के अनुसार भारत में 36 प्रतिशत हरे चारे एवं 40 प्रतिशत सूखे चारे की कमी है | अत:  हमें उन चारा फसलों की खेती करनी होगी जो लम्बे समय तक पशुओं को पोष्टिक हरा चारा उपलब्ध कराने के साथ साथ हमारी जलवायु में आसानी से लगाई जा सके| शरद ऋतू में बरसीम, जई, रिजका, कुसुम आदि की उपलब्धता मार्च के पहले पखवाड़े तक बनी रहती है किन्तु बहु कट चारा ज्वार से पशुओं को लम्बे समय तक हरा चारा आसानी से मिल सकता है। ज्वार का चारा स्वाद एवं गुणवत्ता में बहुत अच्छा होता...

Multi harvesting sorghum fodder crop cultivation techniques  भारत में  मात्र 4 प्रतिशत भूमि पर चारे की खेती की जाती है तथा एक गणना के अनुसार भारत में 36 प्रतिशत हरे चारे एवं 40 प्रतिशत सूखे चारे की कमी है | अत: बढती हुई आबादी एवं घटते हुए कृषि क्षेत्रफल को ध्यान में रखते हुए हमें उन चारा फसलों की खेती करनी होगी जो लम्बे समय तक पशुओं को पोष्टिक चारा उपलब्ध कराने के साथ साथ हमारी जलवायु में आसानी से लगाई जा सके | शरद ऋतू में बरसीम, जई, रिजका, कुसुम आदि की उपलब्धता मार्च के पहले पखवाड़े तक बनी रहती है किन्तु बहु कट चारा ज्वार से पशुओं को लम्बे समय...