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छिलका रहित जौ एक उपयोगी फसल Huskless barley is a nutrient rich food grain. Consumption of this grain is very beneficial for health. Sources of high amounts of beta-glucans, proteins, starch, iron and zinc have been discovered by the ICAR-Indian Wheat and Barley Research Institute, Karnal. जौ विश्व में सदियों से उगाई जाने वाली रबी सीजन की महत्वपूर्ण अनाज फसल है। वैश्विक परिवेश में जौ की फसल उत्पादन एवं क्षेत्रफल की दृष्टि से धान, गेहूँ एवं मक्का के बाद चौथे स्थान पर है। जिसे किसी भी अन्य अनाज की तुलना में अधिक पर्यावरणीय परिस्थितियों में उत्पादित किया जा सकता है। हमारे देश में जौ की खेती मुख्यतः राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र,...

गेहूँ एवं जौ की फसलों में लगने वाले महत्वपूर्ण रोग एवं उनकी रोकथाम   कृषि फसलों में लगने वालें रोग अनेक पादप रोगजनकों (जैसे कवक, जीवाणु, विषाणु, सूत्रकृमि, फाइटोप्लाज्मा इत्यादि) एवं वातावरण कारकों के द्वारा उत्पन्न होते हैं। रोगजनकों से होने वाले रोग अनुकूल परिस्थितियों में फसल को भारी क्षति पहुंचा सकते है। अतः इन रोगों का शुरूआत में ही नियंत्रण करना अति आवश्यक है। गेहूँ एवं जौ प्रमुख रबी फसलों में से एक हैं जो हमारे देश भारतवर्ष में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में महती योगदान देती हैं। इन फसलों के महत्वपूर्ण रोग एवं उनका प्रबंधन इस प्रकार है -    गेहूं में लगने वाले प्रमुख रोग: 1. पीली गेरूई (धारीदार रतुआ):...

भारत में नमक सहिष्णु जौ किस्म के विकास में प्रगति Barley (Hordeum vulgare) is the fourth most important crop of the world after rice, wheat and maize with respect to area and production. It is known as a hardy crop compared to  wheat, rice and maize and more suitable for areas with limited water (drought or less water availability), nutrients and soil health (salinity/alkalinity). The geographical range in which barley can be grown as a staple crop is quite wide and therefore it is grown from sub-tropical and arid plains to hills and cold desert ecologies under rainfed or limited irrigated conditions around the world except tropics. It is an ancient crop...

हिमाद्री (बीएच एस 352): उत्तरी-पर्वतीय क्षेत्रों के लिए जौ की छिलका रहित प्रजाति  जौ एक महत्वपूर्ण अनाज है जो विभिन्न जलवायु और मिट्टी के लिए अनुकूल है और विभिन्न उपयोगों के लिए उपयुक्त है। जौ अनाज फसलों में चौथे स्थान में आती है और विश्व के अनाज उत्पादन में 7प्रतिशत का सहयोग देती है । भारत में उत्तरी मैदानी औरउत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी खेती सर्दियों ( रबी ) में की जाती है । इसकी खेती देश के पर्वतीय राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू एवं कश्मीर में एक महत्वपूर्ण खाद्य फसल के रूप में की जाती है। इन पहाड़ी राज्यों के अत्यधिक ऊँचाई वाले इलाकों में जौ की खेती गर्मियों में...

Various value added products of Barley जौ विश्व में प्राचीन काल से उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों में से एक है। कुल उत्पादन की दृष्टि से अनाज फसलें जैसे धान, गेहूँ एवं मक्का के बाद जौ की फसल को विश्व में चौथा स्थान प्राप्त है। भारत में इसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों, खाद्य पदार्थों, पशु आहार एवं पशु चारे के रुप में सदियों से होता आ रहा है। संस्कृत में इसे ”यव” के अतिरिक्त अन्य भाषाओं में जव, जवा, वियाम, आरिसि, तोसा एवं चीनो आदि नाम से जानते हैं। लेकिन पिछले कुछ दशकों से मानव स्वास्थ्य के लिए जौ के लाभकारी गुणों का पता चला है। विकासशील देशों के बदलते परिवेश में शाकाहारी...

जौ उत्पादन की आधुनिक तकनीकियाँ भारत में जौ की खेती प्राचीनतम काल से की जा रही है। भारत के उत्तर पश्चिमी एवं पूर्वी मैदानी क्षेत्रों की जौ एक महत्वपूर्ण रबी फसल है। वर्ष 2019-20 के दौरान भारत में जौ का 16.9 लाख टन उत्पादन 6.20 लाख हैक्टर भूमि पर 26.17 किलोग्राम/हैक्टर उत्पादकता के साथ किया गया। प्राचीन काल से जौ का उपयोग मनुष्य के खाद्य पदार्थों (आटा, दलिया, सत्तू व पेय पदार्थ), पशु आहार एवं इसके अर्क व सीरप का प्रयोग व्यावसायिक रूप से तैयार किए गए खाद्य एवं मादक पेय पदार्थों में स्वाद, रंग या मिठास जोड़ने के लिए किया जाता है। वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर जौ को औषधीय रूप में...

DWRB.137: Barley's high productive, anti yellow-rustic and six-line new variety जौ का उपयोग प्राचीन समय से ही भोजन एवं पशु चारा के लिए किया जाता रहा है । पुरातन समय मैं जौ का उपयोग योद्धाओं द्वारा शक्ति विकास एवं पोषण के लिए किया जाता था । वर्तमान मैं भी जौ की फसल एक बहुविकल्पीय फसल है क्योंकि यह अन्य रबी खाधान्नों की अपेक्षा कम लागत मे तैयार हो जाती है एवं यह लवणीय और क्षारीय भूमि एवं शुष्क क्षेत्रों के लिए भी वरदान है। जौ के निरंतर प्रयोग से  यह एक औषधि का भी काम करती है और इसके रोजाना उपयोग कुछ बिमारियों जैसे मधुमेह, कोलेस्ट्रोल मे कमी एवं मूत्र रोग मैं...

Major Diseases of Fodder Crops And Their Management भारत विश्व में सबसे अधिक पशु जनसंख्या वाले देशों में से एक है। दुधारू पशुओं के अधिक दुध उत्पादन के लिए हरे चारे वाली फसलों की भूमिका सर्वविदित है। इन फसलों में अनेक प्रकार के रोग आक्रमण करते है जो चारे की उपज एवं गुणवत्ता में ह्रास करते है एवं हमारे पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक सिद्ध होते हैं। अतः इन रोगों का प्रबन्धन अति आवश्यक है। चारे की फसलों में प्रमुख रोग एवं उनका प्रबन्धन इस प्रकार हैः बाजरे की मॄदुरोमिल आसिता या हरित बाली रोगः रोगजनक: यह एक मृदोढ रोग है। इसका रोगकारक स्क्लेरोस्पोरा ग्रैमिनिकॉला नामक कवक है। मॄदुरोमिल आसिता या...