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Organic solution for making soil fertile – Sanjeevak Sanjeevak is a type of organic solution which contains beneficial microorganisms for farming in abundance. When this solution is poured into a moist field, they rapidly increase their numbers and decompose the organic matter and inert nutrients already present in the soil and make them available to the plants, along with improving the general structure of the soil. Also helpful in improving. यह एक सर्वमान्य तथ्य है की वर्त्तमान कृषि में रासायनिक खाद और हानिकारक कृषि रसायनो का उपयोग बहुत अधिक बढ़ गया है और इससे न सिर्फ पर्यावरण बल्कि मृदा के पारिस्थितिक तंत्र पर भी बहुत नकारात्मक प्रभाव पढ़ रहा है l मिटटी...

जैविक खेती के जरिए युवाओं का विकास एवं सशक्तिकरण  सर अल्बर्ट हॉवर्ड, एफएच किंग, रुडोल्फ स्टेनर और अन्य लोगों द्वारा 1900 के दशक की शुरुआत में जैविक कृषि की अवधारणाओं को विकसित किया गया था, जो मानते थे कि पशु खाद , फसलों को कवर, फसल रोटेशन, और जैविक आधारित कीट नियंत्रण। हावर्ड, भारत में एक कृषि शोधकर्ता के रूप में काम कर रहे थे, उन्होंने पारंपरिक और टिकाऊ खेती प्रथाओं से बहुत प्रेरणा प्राप्त की, जो उन्होंने वहां सामना किया और पश्चिम में उनके गोद लेने की वकालत की। इस तरह की प्रथाओं को विभिन्न अधिवक्ताओं ने आगे बढ़ाया - जैसे कि जे.आई. रोडले और उनके बेटे रॉबर्ट, 1940 और उसके...

जैविक खेती में जैव उर्वरकों की भूमिका जैविक कृषि एक उत्पादन प्रणाली है जो मिट्टी, पारिस्थितिक तंत्र और लोगों के स्वास्थ्य को बनाए रखती है। यह पारिस्थितिक प्रक्रियाओं, जैव विविधता और स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल चक्रों पर निर्भर करता है। जैव उर्वरक प्राकृतिक खाद हैं जिसमें जीवाणुओं, शैवाल के सूक्ष्म जीवाणु , बीजाणु के रूप में रहते हैं। अकेले कवक या उनका संयोजन पौधों को पोषक तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि करते हैं। कृषि में जैव उर्वरक की भूमिका विशेष महत्व रखती है, विशेष रूप से वर्तमान में रासायनिक उर्वरक की बढ़ती लागत और मिट्टी के स्वास्थ्य पर उनके खतरनाक प्रभावों के संदर्भ में। आधुनिक कृषि,  संकर बीज और उच्च उपज देने वाली...

Fungus biofertilizer that increases crop productivity बढ़ती आबादी की माँगों को पूरा करने और भूख की समस्याओं को कम करने के दबाव ने शानदार  वैज्ञानिक प्रौद्योगिकियों और कृषि विज्ञान प्रथाओं को आगे बढ़ाया है। कवक (फफूंद) समुदायों के विविध समूह मृदा-पादप प्रणालियों के प्रमुख घटक हैं, जहां वे राइजोस्फीयर / एंडोफाइटिक / फेलोस्फेरिक इंटरैक्शन के गहन नेटवर्क में लगे हुए हैं। कवक स्थायी कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण और आशाजनक उपकरण के रूप में उभरा है।  कवक को स्थायी कृषि के लिए रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैव उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। जैविक विज्ञान के तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक, माइक्रोबायोलॉजी, उपयोगी उत्पादों के उत्पादन...

Blue Green Algae Generated Biofertilizer भूमि की उर्वरा शक्ति बरकरार रखने तथा इसे बढ़ाने के लिए एक जैव उर्वरक जो नील हरित शैवालों के संवर्धन से बनाया जाता है अति महत्वपूर्ण है। यह जैव उर्वरक खरीफ सीजन में 20-25 कि.ग्रा. नेत्रजन प्रति हे. पैदा करता है तथा मिट्टी के स्वास्थ्य को ठीक रखता है। इसके अतिरिक्त भूमि के पानी संग्रह की क्षमता बढ़ाना एवं कई आवश्यक तत्व पौधों को उपलब्ध कराता है। भूमि के पी.एच. को एक समान बनाये रखने में मदद करता है तथा अनावश्यक खरपतवारों को पनपने से रोकता है। इसे जैव उर्वरक के लगातार प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है तथा धान एवं गेहूं की उपज...

Seed treatment: the basis of prosper farmers हमारेे देश में ऐसे किसानों की संख्या ज्यादा है जिनके पास छोटे-छोटे खेत है और प्रायः खेती ही उनके जीवन-यापन का प्रमुख साधन है। आधुनिक समय मे खाधान्न की मांग बढ़ती जा रही है तथा आपूर्ति के संसाधन घटते जा रहे है।  विज्ञान के नवीन उपकरणों, तकनीकों तथा प्रयोगों से किसानों की स्थिति मे सुधार हुआ है। नवीन तकनीकों के प्रयोग करने से उनकी जीवन शैली में तीव्र बदलाव आये है। इन्ही में से एक तकनीक बीचोपचार है। जिसको सुनियोजित तरीके से अपनाने से खेती की उत्पादकता बढ़ सकती है। बीजोपचार एक सस्ती तथा सरल तकनीक है, जिसे करने से किसान भाई बीज जनित एवं...

एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन दृष्टिकोण मिट्टी की उत्पादकता और स्थिरता को प्रभावित करता है। Integrated Nutrient Management approach to the management of plant nutrients for maintaining and enhancing soil, Soil fertility maintenance requires a balanced application of inorganic and organic nutrient sources. Sustainable agricultural productivity might be achieved through a wise use of integrated nutrient management. Integrated use of organic and inorganic source of plant nutrients on growth and yield attributes is very crucial for assurance of food security.   The integrated plant nutrient supply/ management is important approach for maintenance or adjustment of soil fertility and plant nutrient supply to an optimum level for sustainable crop productivity. It includes optimization benefit...

जैव उर्वरक: टि‍काऊ खेती के लिए एक साधन After the introduction of chemical fertilizers in the last century, farmers were happy of getting increased yield in agriculture in the beginning. However, slowly chemical fertilizers started displaying their ill effects such as leaching out and polluting water basins, destroying microorganisms and friendly insects, making the crop more susceptible to diseases, reducing the soil fertility and thus causing irreparable damage to the overall system. A number of intellectuals found that biofertilizers can help in increasing the yield without causing the damage associated with chemical fertilizers. What is Bio Fertilizer?  Biofertilizers are preparations containing microorganisms, with capability of mobilizing nutritive elements from non-usable form to usable form...

Panchagavya - an important medicine for plants  पिछले दो-तीन दशकों से निरंतर रासायनिक खादों के प्रयोग से जमीन की उर्वरक शक्ति में कमी आई है। इसी तरह आने वाले समय में जमीन रसायनों का ढे़र बन जायेगी और हम सिर्फ पुरानी बातों को दोहरा के चीजों को बढ़ावा देते रहेंगे। आज जरुरत है तो हमारी कृषि कार्य प्रणाली में बदलाव लाने की फिर से हमे हमारे पुरखों के बताए पथ पर अग्रसित होना होगा। उनकी कृषि कार्य प्रणाली को अपनाना होगा और कम लागत में अधिक मुनाफे का मूल मंत्र अपनाना होगा। जैसा कि हमारे माननीय प्रधान मंत्री जी भी बोलते हैं कि 2022 तक किसानों की आमदनी दौगुनी हो जाएगी लेकिन...

Organic Farming: Land and Life Requirementsभारत वर्ष में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है और कृषकों की मुख्य आय का साधन खेती है। 60वें दशक की हरित क्रांति ने यद्यपि देश को खाद्यान्न की दिशा में आत्मनिर्भर बनाया लेकिन इसके दूसरे पहलू पर यदि गौर करें तो यह भी वास्तविकता है कि खेती में अंधाधुंध उर्वरकों के उपयोग से जल स्तर में गिरावट के साथ मृदा की उर्वरता भी प्रभावित हुई है एक समय बाद खाद्यान्न उत्पादन न केवल स्थिर हो गया बल्कि प्रदूषण में भी बढ़ोतरी हुई है और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हुआ है। इसलिए इस प्रकार की उपरोक्त सभी समस्याओं से निपटने के लिये गत...