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मिर्च की न्यूट्रास्युटिकल क्षमता और स्वास्थ्य लाभ Chili is one of the most important vegetable cum spice crops in the world. Green chili is used as vegetable whereas ripe dried fruits as spice because of their pungent test and appealing colour and flavours. Indian chilli is considered world famous for colour and pungency. The North Eastern region of India, is considered as ‘hot spots’ for different land races. Some of them like ‘Bhut Jolokia’, Dalle Khursani recorded among the top pungent type in the world. Many varieties have been developed which differs according to growth habit, size, shape, color, yield, pungency and preference of customer. Chili is a good source of vitamin A...

Red chilli: Harvest and Post Harvest Handling भारत मिर्च का विश्व में सबसे बड़ा निर्माता एवं उपभोक्ता है। इसका योगदान वैश्विक उत्पादन का लगभग २५ प्रतिशत है। इसकी खेती भारत के विभिन्न भागों में होती है और यह सालभर उपलब्ध रहता है। इसकी तुड़ाई ज्यादातर दिसंबर से मार्च तक होती है तथा इसकी आपूर्ति फरवरी से अप्रैल तक चरम पर होती है। इसके रोपाई का मुख्य समय खरीफ का मौसम है।  लाल मिर्च की तुड़ाई: लाल मिर्च की तुड़ाई सवेरे करनी चाहिए.  बारिश या बारिश के पश्चात् तुड़ाई से बचना चाहिए. तुड़ाई के समय फलों के डंठल को मजबूती से पकड़ कर ऊपर के तरफ खींचना चाहिए. इससे फलों का टूटना बचाया जा सकता...

मिर्च की खेती के लिए नर्सरी की तैयारी मिर्च को सामान्य रूप से प्रत्यारोपित किया जाता है क्योंकि बहुत बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं और विशेष देखभाल दी जा सकती है, जब पौध नर्सरी में तैयार की जाती है| मि‍र्च नर्सरी के लिए साइट का चयन चयनित क्षेत्र अच्छी तरह से सूखा होना चाहिए, और जल जमाव से मुक्त होना चाहिए उचित धूप होनी चाहिए, नर्सरी को पानी की आपूर्ति पास होनी चाहिए ताकि सिंचाई आसान हो सके। इस क्षेत्र को पालतू और जंगली जानवरों से अच्छी तरह से संरक्षित किया जाना चाहिए। कार्बनिक पदार्थों से भरपूर रेतीली दोमट और दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है ।। स्वस्थ रोपाई के लिए, बीज और मिट्टी को रोगज़नक़ और कीट से...

Leaf curl disease in chilli and its control पर्ण कुंचन या मुरड़ा, मिर्च पौध की भारत में एक विनाशकारी बीमारी। यह बीमारी विषाणु से होता है और सफ़ेद मक्खी द्वारा फैलता है। उत्तर और मध्य भारत में यह बीमारी ज्यादा विनाशकारी थी परन्तु अब यह दक्षिण भारत में भी दर्ज की जाने लगी है। एक बार पर्ण कुंचन बीमारी लगने के बाद मि‍र्च के पोधे की पत्तियां मुड़ने लगती है और पौधों में फल लगना बंद हो जाते है। अगर फल बनते भी है तो विकृत होते है। बहुत छोटी अवस्था में बीमारी लगने पर पौधों का विकास रुक जाता है और एक भी फल नहीं बनते है। यह बीमारी मानसून या खरीफ...

मिर्च की पौध की तैयारी व देखभाल मिर्च की खेती पौध तैयार कर के की जाती है। अच्छे और स्वस्थ पौध अच्छी खेती का आधार होती है। पौध की तैयारी पौधशाला या नर्सरी में की जाती है। इसके लिए जगह का चुनाव बहुत मत्वपूर्ण है। पौधशाला ऐसी जगह पर होना चाहिए जहाँ छाँव न हो और पर्याप्त मात्रा में धूप उपलब्ध हो। पौधशाला का क्षेत्र सीमित होना चाहिए ताकि देखभाल आसान हो। पौधशाला की मिट्टी उपजाऊ और दोमट होनी चाहिए जहाँ जल निकासी की व्यवस्था हो। अगर पौधशाला की भूमि ऊंचाई पर हो तो अच्छा है जिससे वर्षा काल में पानी ठहरने का भय न हो साथ ही साथ सिंचाई की व्यवस्था...

 Nutritional benefits and medicinal uses of chilli मिर्च के फलों के आकार, रंग, स्वाद और तीखेपन में काफी भिन्नता है. यह भिन्नता मिर्च के पोषण सरंचना में भी पायी जाती है जो मिर्च के प्रजातियों पर, किस्मों पर, फसल उगाने के तरीके पर और फलों के परिपक्वता पर निर्भर करता है. साथ ही साथ पोषण तत्वों की भिन्नता तुड़ाई उपरान्त रखरखाव और उसके भण्डारण पर भी निर्भर करता है. यह पाया गया है की विटामिन ए, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा फलों के परिपक्वता के साथ ही सभी प्रजातियों और किस्मों में बढ़ जाती है. लाल मिर्च में विटामिन बी 6 हरी मिर्च की तुलना में काफी ज्यादा होता है.  विटामिन ए कई...

Integrated management of Major diseases of Okra and Chilli 1. भिण्डी में पाऊडरी मिल्डयू अथवा चूर्ण फंफूदी रोग रोग के लक्षण - यह भिण्डी का एक प्रमुख रोग है जो देरी से बोई गई फसल पर अत्यधिक संक्रमण करता है। रोग के लक्षण की शुरूआत पुरानी पत्तियों पर सफेद चकते के रूप में दिखाई देते है। ये चकते कुछ ही दिनो में ऊपर की और अन्य पत्तियों पर फैल जाते है। संक्रमित पौधों की पत्तियों पर सफेद पाऊडर जैसा रोगजनक देखा जा सकता है जो पत्तियों के दानो तरफ तथा पौधे के सभी भाग पर (जड़ के अतिरिक्त) पर देखा जा सकता है बाद में पौधे का ऊपरी भाग पीला पड़कर सूखने लगता है। पौधे...

13 Major Insect pests and diseases of Chilli and their prevention measures मिर्च के फसल का सबसे घातक तथा ज्यादा नुकसान करने वाली बीमारी है पत्ता मोडक बीमारी। जिसे विभिन्न स्थानों में कुकड़ा या चुरड़ा-मुरड़ा रोग के नाम से जाना जाता है। यह रोग न होकर थ्रिप्स व माइट के प्रकोप के कारण होता है। थ्रिप्स के प्रकोप के कारण मिर्च की पत्तियां ऊपर की ओर मुड़ कर नाव का आकार धारण कर लेती है। माइट के प्रकोप से भी पत्तियां मुड़ जाती है परन्तु ये नीचे की ओर मुड़ती हैं। मिर्च में लगने वाली माइट बहुत ही छोटी होती है जिन्हें साधारणत: आंखों से देखना सम्भव नहीं हो पाता है। यदि...

भारत में मिर्च की उन्‍नत किस्‍में   Varieties प्रजाति Developed By विकसित की Average yield औसत उपज (q/ha) Characters गुण पूसा ज्‍वाला Pusa Jawala भाकृअसं 85 बौनी किस्‍म, झाडीदार, हल्‍का हरा,फल 9-10 सेंमी. लम्‍बा, पका फल हलका लाल, बहुत अधिक तिक्‍त, थ्रिप्‍स व माईट के लिए सहनशील। 1983 मे अनुमोदित हुई प्रजाति। भाग्‍यलक्ष्‍मी Bhagyalakshi Guntur Lam 45 Fruit length 8.2 cm & width 0.7cm. Duration 180 days Good for North Hills regions जे-218 J-218 Jabalpur 65 Plants dwarf, Fruits 10-11cm long. Suitable for Arid western plains. एआरसीएच 236 ARCH-236 Ankur Seeds,Nagpur 40-45 Plants are semi spreading and profused branching, Elongated fruits, undulated, pointed and green, turns red at maturity, good shelf life and good for fresh marketing, high capsicin content crop duration 210-240 days, Suitable for Punjab, Bihar & UP...