crop rotation Tag

प्राकृतिक संसाधनों के सिमित उपयोग से फसल नियोजन Crop planning is a type of technique under which, what, when, where, which crops are to be grown and their related location, sunlight, water, maturity, planting season and tolerance etc. requirements have to be decided. In this, the study of the crops grown in different categories through the cropping pattern and after that crops are grown in cycles at continuous intervals to maintain the system through crop rotation. प्राकृतिक संसाधनों के सिमित उपयोग से फसल नियोजन भारतीय कृषि भिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों जैसे की भूमि, पानी, मिट्टी के पोषक तत्वों और जलवायु कारकों पर बहुत अधिक निर्भर करती है। प्राकृतिक संसाधनों की निरंतर कमी...

Harmful effects of current agricultural systems हरित क्रांति ने भारतवर्ष में खाद्यान्न के उत्पादन एवं आपूर्ति तथा खाद्यान्न सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। परिणामस्वरूप पारम्परिक कृषि पद्धतियां का स्थान कृषि की आधुनिक तकनीकों जैसे कि रासायनिक खादों, कृषि रसायनों (कीटनाशी) तथा फार्म मशीनरी ने ले लिया है तथा इस प्रकार का क्रांतिकारी परिवर्तन सिर्फ भारतीय परिदृश्य में ही नहीं अपितु समस्त विश्व की कृषि में देखा जा सकता है। बहुआयामी विकास एवं आधुनिकीकरण के पश्चात भी वर्तमान कृषि विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रही है। वाह्य कृषि निवेशों के अत्यधिक प्रयोग से मृदा, जल एव अनुवांशकीय स्रोतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है तथा मृदा अपरदन, मृदा में पोषक...

How to improve soil fertility and crop productivity कृषि उत्पादन मौसम और जलवायु स्थिति पर अत्यधिक निर्भर है। मौसम के तत्वों को प्रबंधित या बदलना असंभव है, लेकिन मृदा गुणों को फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यकतानुसार प्रबंधित किया जा सकता है। यह लेख मिट्टी के गुणों के प्रबंधन के माध्यम से मिट्टी की उर्वरता को सुधारने और बनाए रखने के लिए काम करेगा। मिट्टी की उर्वरता पौधे को उपलब्ध पोषक तत्व को इंगित करती है। यह मिट्टी के सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को नियंत्रित करता है जो मिट्टी में पोषक तत्वों के परिवर्तन में महत्वपूर्ण हैं। मिट्टी की उर्वरता किसी विशेष फसल की उपज का संकेत देती है। मिट्टी की उर्वरता का अर्थ...

शुष्क क्षेत्रों में मिट्टी से पैदा होने वाले पौध रोग जनकों का पर्यावरण हितैषी प्रबंधन Crops of Indian arid region suffer heavily every year due to biotic stresses caused by soil born plant pathogens. These pathogens remain viable in soil as a dormant propagules and control of these pathogens by chemical means is not economical and also not advisable due to environment concerns. Management of these pathogens through eco-friendly approaches have been discussed here that provides long term benefit to the farmers for sustainable development of arid crops. Soil borne plant pathogens like Fusarium spp., Macrophomina phaseolina etc. causes severe yield losses in major arid land crops like Cumin, Pearl millet Clusterbean,...

Watermelon and Muskrmelon cultivation for more income in less time     तरबूज (वैज्ञानिक नाम - सिटीलुस लैनाटस ) और खरबूजा (वैज्ञानिक नाम - कुकुमिस मेलो ), जायद मौसम की प्रमुख फसल हैं। इसकी खेती मैदानों से लेकर नदियों के पेटे में सफलतापूर्वक की जा सकती हैं। ये कम समय, कम खाद और कम पानी में उगाई जा सकने वाली फसलें हैं। उगने में सरल, बाजार तक ले जाने में आसानी और अच्छे बाजार भाव से इसकी लोकप्रियता बढती जा रही हैं इसके कच्चे फलो का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता हैं।  इनके पके हुऐ फल अत्यंंत लोकप्रि‍य,  मीठे, शीतल, मृदुल वि‍‍‍‍‍‍रेचक एवं प्यास को शांत करने वाले होते हैं।  तरबूज एक महत्वपूर्ण ककड़ी सब्जी...

मिट्टी की उर्वरता का संरक्षण और जैविक पदार्थों की भूमिका Maintenance of soil fertility is a great problem to our farmers. Cultivation of particular crop year after year in the same field decreases the soil fertility. To increase the soil fertility, it is necessary to check the loss of nutrient and to increase the nutrient content of soil. The following things must be properly followed for increasing the fertility of soil. Proper use of land improve soil fertility Good yield of crop is not possible if we cultivate any crop in any land. So it is necessary to select the crop which is suitable for a particular land. Practical experience will be helpful...

फसलों की रोपाई की नाली सि‍चि‍त उभरी क्‍यारी प्रणाली और फसल उत्पादन में उभरी क्‍यारी रोपाई के फायदे In bed planting systems, wheat or other crops are planted on the raised beds in ridge - furrow system. This system is often considered more appropriate for growing high value crops that are more sensitive to temporary water logging stress. Farmers often raise crops such as cotton, maize-soybean and wheat on the raised beds. However, the practice of growing rice, the major water-using crop in rice-wheat systems, on narrow raised beds was introduced only very recently in the Indo-Gangetic Plains (IGP) to reduce water use, conserve rainwater and improve system productivity. Recent work shows...

धान्‍य फसलों एवं शाकीय फसलों पर आधारित 7 अधि‍क आय देने वाली फसल चक्र् आनाज या धान्‍य फसलों व शाकीय फसलों पर आधारि‍त 7 अधि‍क आय देने वाले फसल चक्रों का वि‍वरण यहांं पर दि‍या गया है। अपने क्षेत्र तथा जलवायु के आधार पर कि‍सान इन फसल चक्रों को अपनाकर अपनी आय बढा सकते हैं। फसल प्रणाली उपज  (क्‍विंटल / हैक्‍टेयर) बुवाई समय कटाई समय अनुमानि‍त आय  (रू/हैक्‍टेयर) (मार्च 2010 में) बासमती धान  फूलगाभी  सब्‍जी लोबिया 35 - 40 250 - 300 70-80 जून नवम्‍बर फरवरी नवम्‍बर जनवरी अप्रैल 45000-55000 37000-52000 20000-25000   बासमती धान  मटर  लौकी 35 - 40 70 - 80 300-325 जून नवम्‍बर मार्च नवम्‍बर मार्च मई 45000-55000 40000-50000 50000-58000   बासमती धान  फूलगोभी  प्‍याज 35 - 40 250 - 300 225-250 जून नवम्‍बर जनवरी नवम्‍बर जनवरी मई  45000-55000 37000-52000 52000-62000   धान  गाजर  गेहूं 55 - 60 250 - 300 35- 40 जून सितम्‍बर दिसम्‍बर सितम्‍बर दिसम्‍बर अप्रैल  57000-65000 45000-60000 25000-30000   धान  फूलगोभी  गेहूं 55 - 60 150 - 200 35- 40 जून सितम्‍बर दिसम्‍बर सितम्‍बर दिसम्‍बर अप्रैल  57000-65000 50000-65000 25000-30000   भिण्‍डी  मूली  गेहूं 130 - 140 150 - 200 45- 50 जून सितम्‍बर नवम्‍बर सितम्‍बर नवम्‍बर अप्रैल  35000-40000 25000-40000 35000-40000   बैंगन पालक गेहूं 350 - 400 150 - 175 45- 50 जून सितम्‍बर नवम्‍बर सितम्‍बर नवम्‍बर अप्रैल  70000-90000 30000-37000 35000-40000   Authors:   स्रोत: भा.क्.अ.सं. नर्इ दि‍ल्‍ली प्रकाशन संख्‍या- ISBN978-81-88708-56-7 ...

भारत में सि‍चि‍त क्षेत्रों के लि‍ए 30 अधि‍क आय वालेे फसल चक्र  भारत के सि‍चि‍ंत क्षेत्रों मे द्वीफसलीय , त्रि‍फसलीय और चर्तुफसलीय फसल प्रणालीयो का प्रयोग होता है।  अधि‍क आय वाले 10 फसल चक्र (द्वीफसलीय), 16 फसल चक्र ( त्रि‍फसलीय) तथा 4 फसल चक्र (चर्तुफसली) की जानकारी यहां पर दी गई है। फसल प्रणाली फसल चक्र उपज (टन/ हैक्‍टेयर) बुवाई समय कटाई समय अनुमानि‍त आय (रू/हैक्‍टेयर)(मार्च 2010 में) दोफसलीय धान  गेहूं 5 - 6 4.5 - 5 जून/जुलाई नवम्‍बर अक्‍तूबर अप्रैल 50000-60000  धान  बरसीम 5 - 6 60 - 70 जून/जुलाई अक्‍तूबर अक्‍तूबर मई 70000-80000 बासमती धान  सूरजमुखी 4 - 5 2 - 2.5 जून/जुलाई फरवरी नवम्‍बरमई 60000-65000  मक्‍का  गेहूं 4 - 4.5 5 - 5.5 जून नवम्‍बर अक्‍तूबर अप्रैल 40000-50000  अरहर गेहूं 1.8 - 2 5 - 5.5 जून दि‍संबर नवंबर-दि‍संबर अप्रैल 45000-50000 कपास गेहूं 2 - 2.5 4.5 - 5 मई दि‍सम्‍बर नवम्‍बर/दि‍सम्‍बर अप्रैल 40000-50000 मूंगफली  गेहूं 1.8 - 25 - 5.5 जुलाईनवम्‍बर अक्‍तूबरअप्रैल 40000-50000 धान  चना 5 - 6 1.8 - 2 जून/जुलाई अक्‍तूबर अक्‍तूबर अप्रैल 40000-50000 सोयाबीन  गेहूं 1.8 - 2 5 - 5.5 जुलाई नवम्‍बर नवम्‍बर अप्रैल 40000-50000 सोयाबीन  आलू 1.8 - 220 - 25 जुलाई नवम्‍बर नवम्‍बर फरवरी 45000-55000 त्रि‍फसलीय हरी खाद (ढैंचा/ सनई/ लोभि‍या)  धान  गेहूं   5.5 - 6 4.5 - 5 अप्रैल  जून/जुलाई नवम्‍बर जून  अक्‍तूबर अप्रैल 55000-65000 चारा (लाबि‍या+बाजरा/मक्‍का/ज्‍वार)  मक्‍का  गेहूं 20-25  4 - 4.5 5 - 5.5 अप्रैल जुलाई  नवम्‍बर जून  अक्‍तूबर  अप्रैल 65000-70000 हरी...

शाकीय फसलो पर आधारि‍त अधि‍क आय वाले 11 फसल चक्र Crop rotation is the key principle of conserving agriculture. It improves the soil structure and fertility. Also it helps control weeds, pests and diseases. Farmers use different combinations of crops to get maximum profitability from same piece of land. These are 11 best crop rotations for vegetable cultivation in India for more profitability. क्षेत्र फसल चक्र उपज  (कुन्‍तल / एकड) अनुमानि‍त लागत  (रू / एकड) अनुमानि‍त आय  (रू / एकड) अनुमानि‍त लाभ  (रू / एकड) बि‍क्री दर  (रू / कि‍.ग्रा.) उत्‍तर मैदानी क्षेत्रों के लि‍ए अगेती गोभी (जुलाई - अक्‍तूबर) मटर (अक्‍तूबर - जनवरी टमाटर ( जनवरी - जून) 50 35 100 20000 8000 25000 100000 35000 100000 80000 27000 75000 20 10 10 भि‍न्‍डी (जून- सि‍तंम्‍बर) गाजर (अक्‍तूबर - दि‍सम्‍बर) फूलगोभी (दि‍संम्‍बर - मार्च) मूली (अप्रैल - मई) 50 100 100 70 15000 12000 15000 6000 40000 50000 30000 21000 25000 38000 15000 15000 8 5 3 3 खीरा (जुलाई - सि‍तम्‍बर) आलू (अक्‍तूबर - दि‍सम्‍बर) प्‍याज (जनवरी - जून) 50 100 110 12000 15000 25000 50000 60000 110000 38000 45000 85000 10 6 10 पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के लि‍ए फूल गोभी (जुन - अगस्‍त) मटर (सि‍तंबर-नवम्‍बर)  मूली (दि‍सम्‍बर-जनवरी)  शि‍मला र्मि‍र्च(जनवरी-मई) 50 40 70 70 16000 10000 8000 25000 75000 40000 21000 105000 59000 30000 13000 80000 15 10 3 15 हरी र्मि‍र्च (जुन -...