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Role of nutrition in reproductive health and management of dairy animals Fertility of dairy animals is influenced primarily by a nexus of genetic, environmental, and management indicators, and their complex interactions make it even more difficult to isolate the exact cause of this decline. The physical condition and reproductive capacity of dairy animals depend on nutrition.  Role of nutrition in reproductive health and management of dairy animals दूध और उसके उत्पाद एक पोषण का महत्वपूर्ण स्रोत हैं और उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में यह ग्लोबल स्तर पर बढ़ेगा, जो बढ़ती वैश्विक जनसंख्या के साथ मेल खाता है। हालांकि आनुवांशिक उन्नति ने पशु उत्पादकता को बढ़ावा दिया है, डेयरी गायों की विफलता...

महिलाओं के पोषण और आजीविका सुधार में डेयरी की सम्भाब्य भूमिका Dairying is a livelihood option after agriculture in most parts of India. But due to industrialization, privatization, male migration for employment, many women farmers in hilly and natural calamity areas have accepted dairy as their primary option of livelihood. महिलाओं के पोषण और आजीविका सुधार में डेयरी की सम्भाब्य भूमिका भारत में पशुधन क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद का 4.11 प्रतिशत और कुल कृषि सकल घरेलू उत्पाद का 25.6 प्रतिशत योगदान देता है। भारत के लगभग 20.5 मिलियन लोग अपनी आजीविका के लिए पशुधन पर निर्भर हैं और उनमें से 69 प्रतिशत कार्यबल का योगदान महिलाओं द्वारा किया जाता है। अन्य क्षेत्रों के...

ठण्ड में पशुओं की देखभाल In most parts of our country, the winter season lasts from the month of November to February. The changing weather and cold cause stress on the animals. Due to which their growth, diet, nutrition and production are affected. That's why it is necessary to take proper care of animals at this time.  ठण्ड में पशुओं की देखभाल हमारे देश के अधिकतर भागों में ठण्ड का मौसम नवम्बर से फरवरी माह तक रहता है। बदलते मौसम तथा ठण्ड से पशुओं पर तनाव पड़ता है। जिसके कारण उनके बढ़वार, खान-पान, पोषण एवं उत्पादन प्रभावित होता है। इसलिए इस समय पशुओं की उचित देखभाल करना आवश्यक है। पशु आवास, आहार और...

डेयरी एनालॉग्स डेयरी उत्पादों का विकल्प Products obtained by processing milk of any milch animal are termed dairy products.  However dairy analogues (Soy milk, Tofu, Cheese analogues etc.) are alternate of dairy products. Dairy analogues are cost effective and offer good nutritional value.  Nowadays, people are demanding plant based milk instead of animal milk due to many illness reasons like lactose intolerance, high level of cholesterol in animal milk and hypersensitivity towards milk protein. Plant based analogues of milk are produced from legumes, cereals, seeds etc.  There are many orthodox varieties of milk analogues are present in market like sikhye (cooked rice), Boza (fermented drink from wheat, rye, maize etc.), soy milk. Soy milk is very...

Silage: Best source of food management in dairy business साइलेज को पशु पालन व्यवसाय के लिए एक संजीवनी आहार के तौर पर देखा जा सकता है। यह पोषक तत्वों मे हरे चारे के सामान ही होता है। पशु पालन व्यवसाय पर होने वाले कुल खर्च या लागत का लगभग 65 - 70% चारा एवं दाना पर होता है। चारे की लागत को कम करने के लिए और चारे की अधिकता के समय, साइलेज तकनीक से हरे चारे को अचार के रूप में सरंक्षण करना एक लाभकारी विकल्प सिद्ध हो सकता है। इस तकनीक का मुख्य उदेश्य चारे की अधिकता के समय इसे उपयुक्त तरीके से सरंक्षित करके चारे की आवश्यकता को आशा...

Motivating and Attracting Youth in Agriculture Entrepreneurship भारत मे 25 वर्ष से कम आयु के युवाओं की जनसंख्या लगभग पचास प्रतिशत है और 15 से 29 वर्ष के युवाओं का भारत के सकल राष्ट्रीय आय (GNI) में योगदान लगभग 34% है। कृषि गतिविधियों में उनकी भागीदारी और भी बढ़ाने और रचनात्मक रूप से उन्हें संलग्न करके इस समूह के योगदान को और अधिक बढ़ाने की एक बड़ी क्षमता मौजूद है । भारत सरकार ने इस महत्वपूर्ण समूह पर ध्यान दिया है, जिसे राष्ट्र निर्माण में लगाया जा सकता है, यदि वे कौशल प्रशिक्षण पाकर और कौशल उन्मुख नौकरियों में संलग्न हो सकें। ICAR ने 2015-16 में युवाओं को आकर्षित करने और कृषि में बने...

अजौला: दुधारु पशुओ के लिए एक पौष्टिक आहार  भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि‍ व्यवसाय के सहायक उद्यम के रूप में पशुपालन की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रायः मानसून के अलावा पशुओं को फसल अवशेषों, सूखे चारें आदि खिलाया जाते है। पौष्टिक चारें के अभाव में पशुओं के विकास, उत्पादन तथा प्रजनन क्षमता में कमी आती है जिससे पशुपालक की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस समस्या से उभरने के लिए पशुपालको द्वारा अजौला उगाकर पशुओं को पौष्टिक चारा खिलाया जा सकता है। क्या है अजौला : अजौला एक जलीय फर्न है जो छोटे-छोटे समूह के रूप में सघन हरित गुच्छे की तरह जल की सतह पर मुक्त रूप से तैरती रहती हैं। भारत...

How to properly nurture newborn calf? पशुपालन व्यवसाय की सफलता के लिये उचित संख्या में उत्तम गुणों वाले बच्चों का विकास आवश्यक है। यही बछड़े बड़े होकर पुराने, बूढ़े तथा अनुत्पादक पशुओं का स्थान लेते है। इस तरह यह सतत प्रक्रिया चलती रहती है एवं उत्पादकता और लाभ दोनों ही बढ़ते हैं। यदि बछड़े पर्याप्त संख्या में ना हों तो अगली पीढ़ी के लिये उच्च उत्पादकता के पशु चयन करने में सफलता नहीं मिल पाएगी । यदि पालन पोषण पर ध्यान नहीं दिया जाए तो बछड़ों की मृत्युदर अधिक हो जाती है साथ ही जो बच्चे बच जाते हैं उनकी वृधिदर कम हो जाती है तथा उत्पादकता घट जाती है। बछड़ों की मृत्युदर...