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Improved cultivation of groundnut Groundnut is a crop which, despite being a leguminous crop, has its own special identity as an oilseed. Whose botanical name is Arechis hyphaegia, which is an important source of oil in our food, about 80 percent of its production is used in the form of oil. Improved cultivation of groundnut  भारत में दलहन, तिलहन, खाद्य व नकदी सभी प्रकार की फसलें उगायी जाती है। तिलहनी फसलों की खेती में सरसों, तिल, सोयाबीन व मूँगफली आदि प्रमुख हैं। मूँगफली गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडू तथा कर्नाटक राज्यों में सबसे अधिक उगाई जाती है। अन्य राज्य जैसे मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान तथा पंजाब में भी यह काफी महत्त्वपूर्ण फसल मानी जाने लगी...

कुसुम की खेती किसानों के लिए लाभदायक उपक्रम  कुसुम एक औषधीय गुणों वाली तिलहनी फसल है। कुसुम को करडी, कुसुबे, कुसुम्बा आदि नामों से भी पुकारा जाता है। इसके दानों में 29 से 33 प्रतिशत तेल, 15 प्रतिशत प्रोटीन, 15 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेड, 33 प्रतिशत रेशा पाया जाता है। इसके तेल में पाये जाने वाले असंतृप्त वसीय अम्ल में 77 प्रतिशत लिनोलिक अम्ल तथा 14 प्रतिशत ओलिक अम्ल पाया जाता है। यह तेल उच्च रक्तचाप तथा हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है। अन्य खाद्य तेलों की अपेक्षा कुसुम तेल में असंतृप्त वसीय अम्ल की मात्रा अधिक होती है। यह खून में कोलेस्ट्राल की मात्रा को कम करता है। इससे तैयार खल को पशुओं के...

Sesame (Sesamum indicum L.) the queen of oilseeds as export potential crop तिल (सीसेमम इंडीकम एल.), भारतीय मूल की एक तिलहनी फसल जो मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों तक सीमित है, उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य तेल और बीज के लिए प्रत्यक्ष कन्फेक्शनरी उपयोग के लिए विंटेज मूल्य है। यह सोयाबीन, रेपसीड - सरसों और मूंगफली के बाद भारत में खेती की जाने वाली चौथी सबसे बड़ी तिलहनी फसल है । तिल का महत्व विश्व स्तर पर पहचाना गया है और इसलिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक प्रमुख स्थान रखता है।तिल के वैश्विक व्यापार का मूल्य लगभग $ 1.49 बिलियन है, जबकि इसके अलावा, पिछले एक दशक के दौरान तिल के तेल...

बदलती जलवायु परिस्थितियों में ऑरफन फसलों की भूमिका Orphan crops are  crops that are not traded internationally and very less attention is provided to them in terms of research, training and extension. These are grown in Asia, Africa and South America. Generally these constitute major part of local diet. In comparison to major food crops like rice, wheat and maize, breeding technology for orphan crops is far away behind. Similar to major crops, orphan crops are also member of different types of food i.e. cereals, legumes, vegetables, root and tuber crops. Orphan crops are also called as neglected, minor, promising, niche, traditional, alternative crops, future smart food and many more. Worldwide, around 12000 crop...

सरसों की उन्‍नत किस्में और उसकी वैज्ञानिक खेती  सरसों रबी में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल है। इसकी खेती सिचिंत एवं संरक्षित नमी द्वारा बारानी क्षेत्रों में की जाती हैl राजस्थान का देश के सरसों के उत्पादन में प्रमुख स्थान है। सरसों की खेती मुख्‍यत: तेल के लि‍ए की जाती हैै जि‍से लहटा सरसों कहते है । सरसों का उत्‍पादन साग सब्‍जी व सलाद के लि‍ए भी कि‍या जाता है पत्‍ति‍यों के लि‍ए उगाई जाने वाली सरसों को गोभी सरसों या मीठी सरसों या जापानीज सरसों भी कहते है।  इसकी पत्तियां बड़ी-बड़ी मुलायम तथा स्वदिष्ट होती हैं जो कि बोने के 20 दिन के बाद मिलने लगती हैं । सरसों की उन्‍नत किस्मेें किस्म पकने...

Engineering of Stem rot resistance in oil seeds through biotechnology   ति‍लहनी फसलों का एक अति मत्वपूर्ण फफूंदी कारक रोग, स्क्लेरोटिनिया तना सड़न / गलन नाम से जाना जाता हैं। इसी रोग को उदाहरण के रूप में लेते हुए प्रस्तुत समीक्षा इस तथ्य को विस्तार से प्रस्तुत करेगी की, किस प्रकार कृषि जैव-प्रौद्योगिकी, किसानों की समस्याओं का प्रभावी समाधान ढूंढ़ने में सक्षम है । स्क्लेरोटिनिया स्क्लेरोटियोरम बैक्‍ट्रीया जनित तना गलन रोग स्क्लेरोटिनिया स्क्लेरोटियोरम (Sclerotinia sclerotiorum (Lib) de Bary) जीवाणु एक नेक्रोट्रॉफिक पैथोजन है , यानि‍ यह अपना भोजन पौधों के सडे-गले अवशेषों से प्राप्त कर जीवित रहता है। इस जीवाणु की जीवन चक्र की चार अवस्थाएं: स्केलोरेसिया (sclerotia), एपोथेसिएम (apothecium), एस्कोस्पोर (ascospores) तथा माइसीलियम (mycelium)...

6 major diseases of mustard and their management 1. सरसों का सफेद रोली (White rust) रोग यह सरसों का अति भयंकर रोग है। यह बीज व भूमि जनित रोग है। इस रोग के कारण बुवाई के 30-40 दिनो के बाद पतियों की निचली सतह पर सफेद रंग के ऊभरे हुए फफोले दिखाई देते है। फफोलो की ऊपरी सतह पर पतियों पर पीले रंग के धबे दिखाई देते है। उग्र अवस्था मे सफेद रंग के ऊभरे हुए फफोले पतियों की दोनो सतह पर फैल जाते है। फफोलो के फट जाने पर सफेद चूर्ण पतियों पर फैल जाता है। पीले रंग के धबे आपसमे मिलकर पतियों को पूरी तरह से ढक लेते है। पुष्पीय...

Increase profits by scientific cultivation of sunflower सूरजमुखी एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है यह पहले भारत में अलंहत पौधे के रूप में उगाई जाती थी। सूरजमुखी को तिलहनी फसल के रूप में 1969 में परिचय कराया गया। पिछले कुछ वर्षों से अपनी उत्पादन क्षमता व अधिक मूल्य के कारण सूरजमुखी की खेती, हरियाणा के किसानों में दिनोंदिन लोकप्रिय होती जा रही है। सूरजमुखी को बड़े पैमाने पर उगाने से न केवल खाद्य तेल उपलब्ध होगा बल्कि विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। सूरजमुखी जल्दी पकने वाली फसल है, सूखा को सहन कर सकती है, तापमान एवं प्रकाश के प्रति असंवेदनशील है अतःसूरजमुखी को खरीफ, रबी एवं ज़ायद मौसम में उगा सकते हैं। लेकिन उत्तरी भारत...