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Importance of fish farming in rural areas For the social and economic upliftment of rural areas, it is necessary to make good use of all available resources. At present, fish farming has been established as a profitable employment in other agriculture related businesses. Protein-rich food can be obtained in the form of fish by utilizing the water of ponds and ponds. Importance of fish farming in rural areas हमारे देश की अधिकतम जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों से है, जो कि अपनी आजीविका कृषि आधारित कार्यों से प्राप्त करती है। गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी एवं कुपो षण आदि अनेक तरह की परेशानियाँ ग्रामीण क्षेत्रों में देखी जा सकती है। केवल कृषि से समस्त ग्रामीण क्षेत्रों के...

Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: Small premium, big protection शुष्क एवं अति शुष्क क्षेत्रो मे कृषि करना किसानो के लिए बड़ा ही जोखिम भरा कार्य है। राज्य मे इस समय किसान खरीफ फसलों जैसे मूंग, बाजरा, तिल, ग्वार इत्यादि की बुवाई कर रहे है। कई किसानो ने क्षेत्र मे बारिश के अनुसार पहले ही बुवाई कर चुके है। इन क्षेत्रो मे प्राकृतिक आपदाओ जैसे कि सूखा पड़ना, बारिश मे अनिश्चितता, आँधी, तूफान, ओले पड़ना आदि से अधिक सामना करना पड़ता है। राज्य के किसानों की उन्नति के लिए सरकार द्वारा काफी सारी योजनाएं चलायी जा रही है। फसल को सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना आरंभ की गई...

Pollution reduction and wealth creation from agricultural crop wastes with the help of briquetting plant ब्रिकेटिंग प्लांट वानिकी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट जैसे विविध अवशेषों को जैव-ईंधन के ठोस ब्लॉकों में परिवर्तित करने के लिए एक पर्यावरण के अनुकूल तकनीक है। बेलनाकार आकार के ब्रिकेट्स (white coal) उच्च यांत्रिक दबाव के साथ बाइंडर रहित तकनीक का उपयोग करके बनाए जाते हैं। इसके लिए किसी बाइंडर या केमिकल की जरूरत नहीं है। जैव-ब्रिकेट गैर-नवीकरणीय जीवाश्म ईंधन (Non- renewable fossil fuels) के विकल्प हैं और इसका उपयोग कई विनिर्माण उद्योगों जैसे भट्टों, भट्टियों और बॉयलरों में किया जा सकता है। ब्रिकेटिंग का अर्थ थोक घनत्व वाले कच्चे माल के आकार को कॉम्पैक्ट रूप में...

बिहार में कृषि आधारित उद्योगों की संभावनायें कृषि उत्पाद की अधिक मात्रा गाँवों में उपलब्ध होती है। अतः कृषि उत्पाद पर आधारित उद्यम का विकास गाँवों में सुनिश्चित होना चाहिए। कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ गाँवों के बेरोजगार ग्रामीण युवकों को नये-नये उद्यम लगाने के लिए प्रेरित करना भी आवश्यक है। इस प्रकार के प्रयास बेरोजगार ग्रामीणों को गाँवों से पलायन रोकने तथा अलगाव एवं अन्य सामाजिक बुराईयों में भी कमी आयेगी। कृषि उत्पादों में अनेक ऐसे उद्योग है जिन्हें ग्रामीण एवं बेरोजगार बन्धु अपनाकर अपना सामाजिक-आर्थिक स्थिति बेहतर बना सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कई तरह के उद्योग लगाये जा सकते हैं जैसे मशरुम उद्योग, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, पौलटरी...

FPO A boon for farm women empowerment and livelihood security भारतीय कृषि में महिलाओं का योगदान सर्वविदित है | एक आंकलन के अनुसार आर्थिक रूप से सक्रिय महिलाओं में से  80 प्रतिशत महिलाओं की जीविका कृषि सम्बन्धी गतिविधि पर निर्भर करती है | हाल में ही, (मई, 2020) फिक्की लेडीज ऑर्गनाइज़ेशन ने देश में महिलाओं के कृषि में योगदान के समीक्षा कर उनके सशक्तिकरण के लिए महिलाओं आधारित कृषक उत्पादन संघ की वकालत की है | उनके अनुसार यह महिलाओं को  वाजिब हक तथा मान्यता प्रदान करने में मददगार होगी | देश के बहुसंख्यक कृषक (लगभग 86%) लघु एवं सीमांत श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, जिनके पास औसतन 1.10 हैo से कम...

Beekeeping a means of successful employment मधुमक्खी अर्थात मौन हमारे जीवन में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार से लाभदायक है। प्रत्यक्ष रुप से इसके पालन से हमें मधु, मोम, रॉयलजैली या राजअवलेह, मधुमक्खी गाेंद आदि बहुमूल्य पदार्थों की प्राप्ति होती है। अप्रत्यक्ष रुप से ये फसलों में पर-परागण की क्रिया करके उनकी पैदावार में वृध्दि कर देती है। हमारे प्रदेश में भूमि के जोत प्राय: बहुत ही छोटे हैं। इसके पालन में अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस व्यवसाय को किसान, बागवान एवं खेतिहर मजदूर भी आसानी से कर सकते हैं। इसमें शारीरिक परिश्रम अधिक न होने से ग्रामीण महिलाएं भी अपने घरेलू कार्य के साथ कर सकती है। इसमें...

मशरूम की खेती: अतिरिक्त आय का साधन मशरुम एक प्रोटीनयुक्त खाद्य फसल है। इसमें शुष्क भार के आधार पर 28 से 30 प्रतिशत तक उच्च श्रेणी का प्रोटीन होता है। मशरुम खाने से प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों का बचाव होता है। प्रोटीन के अतिरिक्त इसमें विटामिन-सी एवं विटामिन-बी काॅम्प्लेक्स ग्रुप में थाइमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, फोलिक एसिड़ तथा कोबालएमिन (बी- 12) है जो कि गर्भवती महिलाओं व बच्चों के लिये आवश्यक है। इसमें लवण जैसे सोडियम, पोटेशियम, फाॅस्फोरस व लोहा प्रचुर मात्रा में होते हैं। मशरुम खाने से खुन की कमी के ‘एनिमिक’ रोगियों को लाभ होता है। सोडियम तथा पोटेशियम का अनुपात अधिक होने के कारण यह उच्च रक्तचाप...

Role of A1 and A2 cow Milk in Farmer’s Income गाय के दूध को प्रकृति का सबसे अच्छा भोजन माना गया है, जो उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और सूक्ष्म पोषक तत्वों सहित एक महत्वपूर्ण स्रोत प्रदान करता है। दूध कैल्शियम और प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत है। दूध हमारे लिए मूल और मुख्य भोजन है। गाय के दूध को माँ के दूध के बाद सबसे अच्छा स्रोत कहा जाता है। गाय के दूध के लाभों में आसान पाचन, विकासको बढ़ावा देना, कैल्शियम और आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करना शामिल है। गाय के दूध में 87.7% पानी, 4.9% लैक्टोज (कार्बोहाइड्रेट), 3.4% वसा, 3.3% प्रोटीन और 0.7% खनिज होते है । दूध में कुल...

Crop diversification: a new dimension to increase farmers' income पिछले पांच दशकों में कृषि उत्पादन में वृद्धि और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना कृषि विकास के लिए मुख्य विषय था। भारत की अधिकतर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है जहाँ कृषि मुख्य व्यवसाय है। भारत में लगभग 93 प्रतिशत किसानों की जोत का आकर 4 हेक्टर से भी कम है एवं इसकी 55  प्रतिशत भूमि ही कृषि योग्य है। भारत सरकार द्वारा 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का निर्धारित लक्ष्य किसान कल्याण को बढ़ावा देने, कृषि संकट को कम करने और किसानों की आय और गैर-कृषि व्यवसाय के श्रमिको के बीच समानता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कृषि विकास...

Contribution of information technology in increasing agricultural income हमारे देश में कृषि का अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। आज भी गाँवों की खुशहाली कृषि पर निर्भर करती है। इसी वजह से सरकार भी कृषि में सुधार के लिए नई-नई तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है जिससे कृषि उत्पादन बढ़ाकर किसानों को और अधि‍क खुशहाल बनाया जा सके। इस दिशा में सरकार किसानों को उन्नत खेती की जानकारी देने , उपकरण व सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। टेलीफोन, कम्प्यूटर रेडियो, दूरदर्शन तथा इंटर्नेट आदि की मदद से किसानों तक आवश्यक जानकारी जल्दी पहुँचाने का प्रयत्न कर रही है। गाँवों को विकसित करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के...