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Mesorhizobium siceri, the unsung hero of agriculture and the magic of nitrogen fixation Plants depend on a complex process called nitrogen fixation, which converts atmospheric nitrogen into a form that plants can absorb and use. Mesorhizobium siceri helps in this process and forms mutually beneficial relationships with certain plants, especially chickpea (Cicer arietinum), changing the way we look at sustainable agriculture. जब हम कृषि के बारे में सोचते हैं, तो फसलों के विशाल खेतों, व्यस्त किसानों और विशाल ट्रैक्टरों की कल्पना करते हैं। लेकिन उन फलते-फूलते खेतों की सतह के नीचे एक मूक नायक है, जो कुछ फसलों के विकास और सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लेख में हम मेसोरहिज़ोबियम...

Soil Health for Agriculture and Environmental Sustainability Soil health, like human health, is an interaction between physical, chemical and biological processes. Adequate food production for the increasing population is not possible without healthy and fertile soil. Soil is one of the natural resources that supports human civilization. Soil Health for Agriculture and Environmental Sustainability मृदा स्वास्थ्य, मृदा की वह क्षमता जो जैविक  उत्पादकता और पर्यावरणीय गुणवत्ता बनाए  रखने, पौधे, पशु और मानव स्वास्थ्य को बढावा देने के लिए  एक महत्वपूर्ण  जीवित  प्रणाली के  रूप में  कार्य करती  है। मृदा स्वास्थ्य, मानव स्वास्थ्य की तरह भौतिक, रासायनिक और जैविक  प्रक्रियाओं  के  बीच परस्पर क्रिया है।  बढती हुई जनसंख्या के विए पर्याप्त खाद्य उत्पादन बिना...

पौधों के विकास में सूक्ष्मजीवों की भूमिका Microorganisms have developed diverse strategies to survive and compete for the resources of their habitat, and one of them is the production of inhibitory substances. Growth-inhibitory microbes are microorganisms that produce compounds or enzymes that inhibit other microorganisms. inhibit the growth or metabolism पौधों के विकास में सूक्ष्मजीवों की भूमिका एक सूक्ष्मजीव एकल-कोशिकिय या बहुकोशिकीय सूक्ष्म जीव हो सकता है जो आम तौर पर केवल एक माइक्रोस्कोप के माध्यम से देखा जा सकता है। सूक्ष्मजीवों में बैक्टीरिया, कवक, आर्किया, प्रोटोजोआ, वायरस इत्यादि शामिल हैं। ये पृथ्वी पर सबसे गहरे महासागरों से लेकर सबसे ऊंचे पहाड़ों तक हर जगह पाए जाते हैं, और विभिन्न पारिस्थितिक प्रक्रियाओं जैसे पोषक...

Importance and factors affecting of earthworms in soil मृदा मानव जाति की सबसे बड़ी विरासत है और सबसे मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन भी है। इंसान ऐतिहासिक रूप से शिकार पर निर्भर थे और जीवनयापन के लिए भोजन का संग्रह  मृदा  से करते थे। हमारे मृदा के साथ संबंध मृदा की जुताई से जुड़े है। जिसके कारण आज मानव सभ्यता का विकास हुआ है और ये मानव और मृदा के संबंध को देख कर हम कह सकते है की मृदा कृषि के लिए एक आधारभूत हिस्सा है । आज-कल देखा जा रहा है की वन कटाई, अधिक चराई, फसल जलाना, अधिक मात्रा में कृषि रसायन एवं कम कार्बनिक खाद का प्रयोग और कृषि योगय...

Soil erosion and its management in the current environment   मानव सम्यता का अस्तित्व प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित है। उनमें मिट्टी, प्रकृति की एक अनुपम भेंट है। प्रकृति इसका संरक्षण वनस्पतियों के माध्यम से करती हैं। प्रकृति ने मिट्टी के संरक्षण के लिए जो कवच प्रदान किया है, उसे मानव हस्तक्षेप से क्षति पहुंच रही है। फलस्वरूप, मृदा क्षरण तेजी से होने लगाहै। भूमि कटाव की समस्या न केवल भारत में, बल्कि विश्वव्यापी है। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र 32 करोड़ 90 लाख हेक्टेयर में, 17 करोड़ 50 लाख हेक्टेयर अर्थात 50 प्रतिशत से अधिक, भूमि, जल, वायु और स्थानविशिष्ट कारणों से प्रभावित हो रहा है। देश में 58 प्रतिशत भूमि की खेती...

 Soil and Groundwater Management to Improve Agriculture भारत की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या अपनी आजीविका हेतु कृषि पर ही निर्भर है। कृषि की सकल घरेलू उत्पादन में भागीदारी लगभग 22 प्रतिशत है। किसानों और मजदूरों को आजीविका प्रदान करने के अतिरिक्त कृषि क्षेत्र देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है। कृषि उत्पादकता कई कारकों पर निर्भर करती है। इनमें कृषि इनपुट्स, जैसे जमीन, पानी, बीज एवं उर्वरकों की उपलब्धता और गुणवत्ता, कृषि ऋण एवं फसल बीमा की सुविधा, कृषि उत्पाद के लिए लाभकारी मूल्यों का आश्वासन, और स्टोरेज एवं मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर इत्यादि शामिल हैं। पिछले कुछ दशकों में खाद्य उत्पादन का स्तर बढ़ा है लेकिन इसके साथ कई समस्याएं भी खड़ी हुई हैं जैसे...

Importance of soil testing and method of collecting soil samples भारत में मिट्टी परीक्षण सेवा 1956 मे 24 प्रयोगशालाओं के साथ शुरू हुई थी।  मृदा की जाँच एक रसायनिक प्रक्रिया है जिससे मिट्टी मे उपस्थित पौधों के पोषक तत्वों का निर्धारण व प्रबंधन किया जाता है।मृदा जांच से फसल बोने से पूर्व ही पोषक तत्वों की आवश्यक मात्रा ज्ञात की जाती है। जिससे आवश्यक उर्वरकों की पूर्ति फसल की आवश्यक्ता के अनुसार किया जा सके। मृदा जाँच के उददेश्य:– मृदा में पोषक तत्वों की सही मात्रा ज्ञात करना तथा उसके आधार पर संतुलित उर्वरकों का उपयोग करना। मृदा की विशिष्ठ दशाओं का निर्धारण करना जिससे मृदा को कृषि विधियों और मृदा सुधारक पदार्थों की...

Necessity of soil health card and soil testing कृषि‍ उत्‍पादकता बढाने के लि‍ए मृदा स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान केंदि‍‍‍त करना अत्‍यंत आवश्‍‍‍‍यक है इस बात को ध्‍यान मे रखते हुऐ वर्तमान सरकार ने पूरे देश में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की है। इसमे मृदा का परीक्षण करना तथा उसका ब्‍योरा रखना बहुत महत्‍वपूर्ण कार्य माना गया है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड की विशेषताएं सरकार ने इस योजना के तहत पुरे भारत के 14 करोड़ से भी ज्यादा किसानों तक इस स्कीम से जोडने की सोचा है। यह योजना भारत के हर क्षेत्र में उपलब्ध है। इस योजना से जुड़े हुए सभी किसानों को उनका मृदा स्वास्थ्य कार्ड ऑनलाइन और प्रिंट कर के दिया जाता है। मिटटी...